ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन एक गंभीर समस्या है जिसके कारण शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। जिन लोगों को ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन की समस्या होती है उन्हें कई गंभीर समस्या भी हो सकती है जैसे ऐसे व्यक्ति कभी भी बेहोश हो सकते हैं। बेहोश होकर गिरना ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन का सबसे कॉमन और गंभीर लक्षण है। ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के चलते बीपी में बदलाव आता है और इससे व्यक्ति के दिमाग पर असर पड़ता है और दिमाग तक खून अच्छी तरह से नहीं पहुंच पाता और स्ट्रोक की समस्या हो सकती है। वहीं ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन हार्ट के लिए भी कम खतरनाक नहीं है, इससे हार्ट के रोग का खतरा बढ़ता है और हार्ट फेल होने का डर रहता है। इस लेख में हम जानेंगे कि ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के लक्षण क्या हैं, इस बीमारी का कारण और इलाज। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने Asian Heart Institute, Mumbai के Senior Interventional Cardiologist Dr Tilak Suvarna से बात की।
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन क्या होता है? (Orthostatic hypotension in hindi)
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन अचानक बीपी कम होने की बीमारी है जिसमें व्यक्ति के अचानक से खड़े होने पर बीपी डाउन हो जाता है और उसे चक्कर आना या जी मिचलाहट जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। अगर आपको कभी-कभी चक्कर आते हैं या आंखों के आगे धुंंधलापन छा जाता है तो आपको ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन की समस्या हो सकती है। डिहाइड्रेशन या शुगर लेवल कम होने पर भी आपको ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन की समस्या हो सकती है। चक्कर आने की समस्या ड्राइविंग के दौरान भी हो सकती है इसलिए इलाज में देरी बिल्कुल न करें।
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ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के लक्षण (Orthostatic hypotension symptoms)
जिन लोगों को ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन की समस्या होती है उनमें निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं-
- खड़े होने पर चक्कर आना।
- धुंधला नजर आना।
- बेहोश होना।
- जी मिचलाने की समस्या।
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के कारण (Orthostatic hypotension causes)
- अगर आप बीटा-ब्लॉकर्स जैसी दवाओं का सेवन करते हैं तो आपको ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन की समस्या हो सकती है।
- अगर आपको खून की कमी या एनीमिया की समस्या है तो भी ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन हो सकता है।
- अगर आप गरम मौसम में धूप में ज्यादा समय के लिए रहते हैं तो ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन की समस्या हो सकती है।
- प्रेगनेंसी या पार्किंसंस रोग के दौरान ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।
- बॉडी में रेड ब्लड सैल्स की कमी होने पर चक्कर आने जैसी समस्या हो सकती है।
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन का इलाज (Orthostatic hypotension treatment)
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन का इलाज करने के लिए डॉक्टर हेडअप टिल्ट टेबल टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट के जरिए ये देखा जाता है कि बीपी शरीर की स्थिति में बदलाव के प्रति कैसे बिहेव कर रहा है। इस टेस्ट में अल्ट्रासाउंड या इकोकार्डियोग्राम का उपयोग करके हार्ट वॉल्व का आंकलन किया जाता है। ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन का इलाज मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन में डॉक्टर आपके लक्षणों को कम करने के लिए दवा दे सकते हैं या पहले से चल रही दवा में बदलाव कर सकते हैं। ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन होने पर जीवनशैली में भी बदलाव करने की सलाह दी जाती है। इस बात का ध्यान रखें कि ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के इलाज के लिए बीपी नॉर्मल होना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर कुछ एक्सरसाइज या थैरेपी करने की सलाह भी दे सकते हैं। डॉ तिलक ने बताया कि ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के मरीजों को हम खुद को हाइड्रेट रखने, नमक का सेवन करने और आराम से उठने या चलने की सलाह देते हैं।
डॉक्टर के पास कब जाएं?
- अगर आपको चक्कर आ रहा है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं।
- कमजोरी महसूस हो रही है तो भी आप फौरन डॉक्टर के पास जाएं।
- अगर आपको आंख से धुंधला नजर आ रहा है तो भी आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
- बेहोशी या ड्राइव करने में समस्या आने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के लक्षण नजर आने पर आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और जांच करवाकर पुष्टि करें कि कहीं आपको सच में ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन की समस्या है या नहीं।