
15 से 21 नवंबर तक नयूबॉर्न केयर वीक (newborn care week) मनाया जाता है, इसका उद्देश्य है नवजात शिशु की सेहत के प्रति लोगों को जागरूक करना। इसी कड़ी में हम नवजात शिशु के लिए राई का तकिया बनाने का तरीका और फायदे जानेंगे। नवजात शिशु अपने सिर को खुद से घुमा नहीं पाता और इसी कारण से बच्चा एक ही पोजिशन में सोता है और जिस पोजिशन में वो सोता है वहां से सिर चपटा हो सकता है। इस समस्या से बचने के लिए आप बच्चे के सिर के नीचे राई का तकिया लगा सकते हैं। राई का तकिया लगाने से बच्चे की गर्दन में लचक नहीं आती और सिर सुरक्षित रहता है। राई के तकिए को घर पर भी तैयार किया जा सकता है। इसे बनाने का तरीका बेहद आसान है। राई का तकिया, सामान्य तकिए से ज्यादा मुलायम होता है इसलिए इसे नवजात शिशु के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस लेख में हम राई का त किया बनाने का तरीका, फायदों पर चर्चा करेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के झलकारीबाई अस्पताल की गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।
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शिशु को तकिए की जरूरत क्यों होती है? (Importance of pillow for newborn)
नवजात शिशु का सिर जन्म के समय मुलायम होता है जिसके कारण उसमें चोट लगने का डर रहता है, वहीं कुछ बच्चों के सिर का आकार जन्म के समय सामान्य नहीं होता। शिशु के सिर की हड्डियां लचीली होती हैं और सिर पर हल्का सा भी दबाव बच्चे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए बच्चे के लिए मुलायम तकिए की जरूरत पड़ती है ताकि उसके सिर को सपोर्ट मिल सके और सिर की शेप सही रहे।
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नवजात शिशु के लिए राई का तकिया क्यों फायदेमंद है? (Importance of musturd pillow)
राई की तासीर गरम होती है जिससे बच्चे को ठंड के दिनों में सर्दी लगने की आशंका भी कम हो जाती है। राई के तकिए से बच्चे के सिर का आकार भी नहीं बिगड़ता और गर्दन में दबाव भी नहीं पड़ता। राई का तकिया एक सही वजन में बनता है जिससे बच्चे के सिर के पीछे समान दबाव पड़ता है, इससे तकिया बच्चे के सिर का आकार ले लेता है और बच्चे को सोने में परेशानी नहीं होती। जन्म के समय जब बच्चे को गर्भनाल से अलग किया जाता है तब भी बच्चे के सिर का आकार बिगड़ जाता है जिसे ठीक करने के लिए राई का तकिया फायदेमंद होता है।
किस उम्र में लगाएं राई का तकिया?
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नवजात शिशु को जन्म के पहले दिन से ही आप उसके सिर के नीचे राई का तकिया लगा सकते हैं। शुरूआत में बच्चे का सिर नरम होता है और बच्चे जब तक करवट नहीं लेना सीखते तब तक वो एक ही पोजिशन में लेटे रहते हैं जिसके कारण उनके सिर का आकार भी बिगड़ सकता है। शुरूआत से ही आप बच्चे के सिर के नीचे राई का तकिया लगाएंगे तो उसके सिर को सही गोल आकार मिल जाएगा। नवजात शिशु के सिर को जन्म से उसके 6 माह के होने तक ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि ये एक नाजुक समय होता है इसमें सिर पर लगी मामूली चोट भी गंभीर समस्या का रूप ले सकती है। ऐसे में अगर आप बच्चे के सिर के नीचे राई का तकिया लगाएंगे तो वो फायदेमंद होगा। आप बच्चे को एक साल का होने तक भी राई का तकिया लगा सकते हैं।
राई का तकिया लगाने के फायदे (Benefits of musturd pillow)
- राई का तकिया लगाने से बच्चे का दिमाग तेजी से बढ़ता है, मानसिक स्वास्थ्य के लिए राई का तकिया फायदेमंद माना जाता है।
- राई का तकिया लगाने से बच्चे के सिर की शेप अच्छी रहती है, बच्चे के सिर का भाग बाहर की तरफ नहीं निकलता।
- गर्दन को स्थिर रखने और लचक आने से बचने के लिए राई का तकिया लगाना फायदेमंद होता है।
- राई के कारण बच्चे को ठंड लगने की संभावना कम हो जाती है और बच्चा आरामदायक तरीके से सो पाता है।
- बच्चे का सिर, राई के तकिए से एडजस्ट हो जाता है जिससे नींद में बच्चे को डिस्टर्ब नहीं होता और गर्दन भी नुकसान से बच जाती है।
राई का तकिया कैसे बनाएं? (How to make musturd pillow)
- राई को अच्छी तरह से धोकर सुखा लें, इससे नमी चली जाएगी।
- एक मीटर सूती कपड़ा लें 10 x 5 इंच का तकिया बनाएं और उसे तीन साइड से सिल दें।
- जिस साइड से तकिया खुला रहता है, उधर से राई भर दें, आपको साइज के मुताबिक राई भरनी है।
- सिर के जगह खाली छोड़ें और बाकि जगह राई भर दें, अंत में आप चारों तरफ से सिल दें।
- तकिया तैयार है, आपको तकिया को सूखा और साफ रखना चाहिए।
- आप राई की जगह तकिए में थर्माकोल बॉल भी भर सकते हैं।
- आपको बच्चे को तकिए से पहचान करवाना चाहिए ताकि बच्चा अपने तकिए को पहचाने और उस पर सोना चाहे।
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राई का तकिया बनाते समय इन बातों का ध्यान रखें (Musturd pillow for newborn)
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- आपको इस बात का ध्यान रखना है कि जिस राई को आप तकिए में भर रहे हैं उसमें नमी न हो।
- तकिया में आपको सही मात्रा में राई भरनी है ताकि तकिया किसी एक तरफ न लुढ़के या उसमें गैप न हो।
- आपको इस बात का ध्यान रखना है कि तकिया में गैप न हो ताकि राई बाहर न निकल जाए नहीं तो बच्चे के मुंह या कान में राई के कण जा सकते हैं।
- आपको इस बात का ध्यान रखना है कि बच्चे का तकिया बहुत ज्यादा टाइट न बंधा हो नहीं तो बच्चे की गर्दन में दर्द हो सकता है।
- तकिया लगाने के बाद आपको इस बात का भी ध्यान रखना है तकिया बच्चे के सिर के नीचे फिट हो जाए नहीं तो सिर का संतुलन बिगड़ जाएगा।
- अगर तकिया ज्यादा कठोर बन जाएगा तो बच्चे का सिर लुढ़कता रहेगा इसलिए आपको सही मात्रा का ध्यान रखना है।
आपको राई के तकिए का इस्तेमाल करते समय इस बात का ध्यान रखना है उसकी पोजिशन बदलते रहें ताकि बच्चे का सिर एक ही पोजिशन में न हो नहीं तो सिर चपटा हो सकता है।
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