छोटे बच्चों में कई बार घुटने से नीचे पिंडलियों में दर्द की शिकायत देखी जाती है। इस समस्या का कारण मांसपेशियों में होने वाला खिंचाव हो सकता है। बच्चों का शरीर विकसित होने (Growing Age) के दौरान कई बार ये समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। इसके अलावा इसका एक कारण बच्चे का गलत बॉडी पोश्चर भी हो सकता है। मदरहुड हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट एंड पीडियाट्रिशन, डॉक्टर सुमित गुप्ता के मुताबिक मसल्स ट्रेचिंग को मसल फेसिकुलेशन भी कहा जाता है। इस क्रिया में छोटी मांसपेशियों में सिकुड़न या खिंचाव महसूस होता है। हालांकि यह कोई बीमारी नहीं, लेकिन हो सकता है कि यह ब्रेन और नर्वस सिस्टम में हुई किसी असामान्य स्थिति का संकेत हो। यह एक ही नहीं बल्कि कई मसल्स में भी हो सकता है। बच्चों की यह स्थिति उनकी डाइट और स्लीप पैटर्न को बदल कर ठीक की जा सकती है। हालांकि किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले एक बार डॉक्टर से बात जरूर कर लेनी चाहिए।
बच्चों में मसल्स क्रैम्प का कारण
कई बार सेंट्रल नर्वस सिस्टम से ब्रेन स्टेम, कॉर्टेक्स, नर्व्स और मसल्स के ग्रुप में जो संकेत भेजे जाते हैं, उनमें किसी गड़बड़ी के कारण मसल्स में मरोड़ की समस्या होने लगती है। अगर पेरीफेरल नर्व्स में डेमेज हो जाता है तो इस कारण भी मसल ट्विच हो सकती है। बच्चों में यह स्थिति आने के निम्न कारण भी हो सकते हैं :
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बच्चों में मसल क्रैम्प के लक्षण
इसके लक्षण कारण पर ही निर्भर करते हैं और अलग अलग हो सकते हैं। आमतौर पर मुख्य लक्षण पैर में होने वाला दर्द है। इस स्थिति में ऐसा महसूस होता है जैसे पैर की नसें फटने वाली हैं। आमतौर पर डॉक्टर्स सबसे पहले यह पता लगाते हैं कि कौन सी बच्चे की कौन सी मसल प्रभावित हो रही है। इसके अलावा अगर दर्द का कोई अन्य कारण है तो उसका भी पता लगाया जाता है।
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इसकी पहचान कैसे की जा सकती है?
इलेक्ट्रोमीयोग्राफी: यह इलेक्ट्रिकल इंपल्स के रिस्पॉन्स में मसल एक्टिविटी को जानने के लिए की जा सकती है।
इलेक्ट्रोएंसीफेलोग्राफ: यह ब्रेन की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को जानने के लिए किया जाता है।
इमेजिंग टेस्ट: जैसे एमआरआई, सीटी स्कैन और पीटी स्कैन आदि ताकि ट्यूमर आदि का पता लग सके।
ब्लड टेस्ट: वायरल इंफेक्शन और कुछ जेनेटिक स्थितियों को जानने के लिए ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं।
बच्चों में मसल्स क्रैम्प का इलाज
इसका इलाज भी मुख्य तौर से कारण पर ही निर्भर करता है। अगर जांच के दौरान कारण पता नहीं लग पाता है तो लक्षणों से राहत मिलने वाली दवाइयों को डॉक्टर सुझा सकते हैं। इसमें कुछ न्यूरोलॉजिकल ड्रग्स शामिल होती हैं। अगर इसका कारण किसी तरह की ट्यूमर है तो सर्जिकल तरीके से उसे निकालना या कीमो थेरेपी का प्रयोग करना ही उचित रहता है। नींद न आने पर बिहेवियरल थेरेपी भी ली जा सकती है। अपने बच्चे की खाने पीने की आदतों का भी ध्यान रखना चाहिए और उन्हें अच्छी नींद मिले यह भी सुनिश्चित करना चाहिए। बच्चों को ज्यादा कैफ़ीन से युक्त चीजें भी न दें और उन्हें रोजाना एक्सरसाइज करने को भी मिलें।
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