रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है अणुवित्तसना (Anuvittasana) योग, मंदिरा बेदी से सीखें इसे करने का सही तरीका

अणुवित्तसना से कूल्हों और पीठ के निचले हिस्से के मांसपेशियों में संकुचन को कम करता है। इससे मांसपेशियों को टोनिंग और लचीलेपन पाने में मदद मिलती है।
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रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है अणुवित्तसना (Anuvittasana) योग, मंदिरा बेदी से सीखें इसे करने का सही तरीका


कोरोनावायरस के कारण पूरी दुनिया एक सदमें और घबराहट में जी रही है। वहीं इसके चलते हुए लॉकडाउन में लोग फिट रहने के लिए डाइट समेत अपनी दिनचर्या तक का खास ख्याल रख रहे हैं और हेल्दी चीजों का पालन करने में कोई भी चूक करने से बच रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य से जुड़ी एक चुनौती उन लोगों के लिए भी है, जो वर्क फ्रॉर्म होम कर रहे हैं। लंबे समय तक एक खराब वर्क सेंटर पर काम करने के कारण पीठ दर्द और मांसपेशियों से जुड़ी परेशानियां लोगों को लगातार परेशान कर रही है। ऐसे में अभिनेत्रि मंदिरा बेदी (Mandira Bedi), जो नियमित रूप से अपने वर्कआउट साझा करती हैं, ने हालही में इंस्टाग्राम पर एक स्थायी बैकबेंड योगा (Standing Backbend Yoga) करते हुए एक वीडियो साझा किया है। 

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रीढ़ की हड्डी से जुड़ी प्रॉब्लम को कम करता है अणुवित्तसना (Standing Backbend Pose Yoga)

अणुवित्तसना को करना आपके दिल और कमर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है पर विशेष तौर पर इसे लोग रीढ़ की हड्डियों से जुड़ी परेशानियों को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। इस योगा पोज को करने से आपकी मांसपेशियो को काफी आराम मिलता है। वहीं मांसपेशियों में तनाव की शिकायत करने वालों के लिए भी ये एक रामबाण इलाज साबित हो सकता है। साथ ही ये शरीर के तनाव को रिलीज करने में मदद करता है, खासकर गर्दन और कंधों में। यह मुद्रा गहरी, फुलर सांस के लिए श्वसन प्रणाली को खोलने में मदद करती है। 

 

 

 

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A post shared by Mandira Bedi (@mandirabedi) onApr 28, 2020 at 10:57pm PDT

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जब एक उचित आसन के साथ किया जाता है, तो एक खड़ा बैकबेंड गहरी योग प्रथाओं का आधार बन जाता है। ये व्यायाम दिन की शुरुआत करने या इसका अंत करने के लिए एक अच्छा व्यायाम है जिसका अर्थ है कि यह तनाव को बेहतर तरीके से रिलीज करने में मददगार है। वहीं इससे घंटो एक जगह पर बैठने से होने वाले पीठ के दर्द से भी आपको राहत मिल सकती है। साथ ही ये शरीर में ऊर्जा को बढ़ावा देने में भी मदद करता है, जिसकी वजह से यह प्रवाह योग अनुक्रमों का एक अभिन्न अंग बन जाता है। वहीं इसके अन्य फायदों की बात करें, तो

  • - हार्ट और ब्लड प्रेशर: दिल को खोलने के लिए यह साधारण बैकबेंड योग बहुत कारगर हो सकता है। ये दिल के कामकाज को बेहतर बनाता है। ये अभ्यास रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है।
  • -फेफड़े और श्वसन: छाती और डायाफ्राम के आसपास की मांसपेशियों में खिंचाव, फेफड़ों के साथ अधिकतम सांस लेने को प्रोत्साहित किया जाता है। यह स्ट्रेचिंग किसी भी श्वसन विकारों को कम करने वाले फेफड़ों के कामकाज में सुधार करता है।
  • -संतुलन और जागरूकता: अणुवित्तसना रीढ़ की हड्डी के साथ शरीर और सांस का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही ये शरीर और मन दोनों के साथ संतुलन में सुधार करता है। यह जागरूकता पैदा करता है, जो संतुलन के लिए आवश्यक है।

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अणुवित्तसना करने का तरीका (How to do Standing Backbend Pose)

  • - इस करने के लिए अपने पैरों के बीच एक अच्छ गैप बनाते हुए खड़े हो जाइए।
  • - ऐसा करते वक्त अपने पैरों को सीधा रखें, ताकि इसे करते वक्त आपके पैरों की सभी मांसपेशियों को व्यस्त रहें।
  • -अब अपने घुटने को ऊपर की ओर खींचने पर ध्यान दें।
  • -अपने हाथों को अपनी पीठ के निचले हिस्से की तरफ रखें।
  • -अपने सिर को ऊपर उठाने हुए एक गहरी श्वास लेते रहें। यह सब करते हुए, सुनिश्चित करें कि आपका कोर स्थिर रहे।
  • - रीढ़ को पीछे छोड़ें और शरीर के लिए जहां तक हो आरामदायक पॉजिशन में ले आएं। 
  • -अब अपने सिर को पीछे की ओर छोड़े और ज्यादा से ज्यादा शरीर को लचीला बनाएं रखने की कोशिश करें।
  • - तीन से पांच बार सही सांस लेते हुए ये आसन करें। इसे करते हुए रीढ़ को मजबूत बनाते हुए एब्स को भी सही मुद्रा में रखें।

योग को लेकर कितने जागरूक हैं आप? खेलें ये क्विज:

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अणुवित्तसना करते समय किन बातों का रखें ध्यान

  • - बैकबेंड करते समय शरीर को लचीला रखने की कोशिश करें।
  • -धीरे-धीरे बैक को बेंड करें, नहीं तो एक बार में इसे करने के चक्कर में मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है।
  • - अगर आप अपनी गर्दन या पीठ पर किसी भी तरह की चोट का सामना कर रहे हैं, तो बैकबेंड योग करने से बचें।

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