स्लिप डिस्क का आसान और सुरक्षित इलाज है ये थेरेपी, जानें खास बातें

मानव शरीर की रीढ़ की हड्डियों के बीच टायर के आकार वाली 24 संरचनाएं होती हैं, जिन्हें डिस्क कहते हैं। डिस्क में बाहरी कवच होता है और इसके केंद्र में तरल जेली नुमा पदार्थ होता है।
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स्लिप डिस्क का आसान और सुरक्षित इलाज है ये थेरेपी, जानें खास बातें


सुधा एक कंपनी में अधिकारी हैं। एक दिन टेबल टेनिस खेलते समय अचानक उनकी कमर और दाएं पैर में तेज दर्द होने लगा। डॉक्टर को दिखाने और एमआरआई कराने पर पता चला कि उन्हें रीढ़ की हड्डी में एल 4/5 में स्लिप डिस्क की समस्या उत्पन्न हो चुकी है। डॉक्टर द्वारा सुधा को एक महीने तक दवाएं दी गईं और आराम न मिलने पर ऑपरेशन की सलाह दी गई, लेकिन सुधा ने ऑपरेशन न कराने का निर्णय लिया। उन्हें अपने दोस्त से जानकारी मिली कि सीटी गाइडेड ओजोन न्यूक्लियोप्लास्टी से भी उन्हें राहत मिल सकती है। फिर सुधा का सीटी गाइडेड ओजोन न्यूक्लियोप्लास्टी से इलाज किया गया और उन्हें तीन घंटे बाद घर भेज दिया गया। सुधा अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।

क्या है स्लिप डिस्क

मानव शरीर की रीढ़ की हड्डियों के बीच टायर के आकार वाली 24 संरचनाएं होती हैं, जिन्हें डिस्क कहते हैं। डिस्क में बाहरी कवच होता है और इसके केंद्र में तरल जेली नुमा पदार्थ होता है। बाहरी कवच के कमजोर होने पर यह जेली नुमा पदार्थ बाहर निकल जाता है और नसों पर दबाव डालता है। इससे रोगी को कमर से पैर तक दर्द, झनझनाहट व सुन्नपन महसूस होता है। इस स्थिति को स्लिप डिस्क कहते हैं और इस तरह के दर्द को सियाटिका कहते हैं।

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ओजोन न्यूक्लियोप्लास्टी

सीटी गाइडेड ओजोन न्यूक्लियोप्लास्टी में एक विशेष प्रकार के इंजेक्शन द्वारा ओजोन गैस को डिस्क के केंद्र में पहुंचाया जाता है। ओजोन गैस डिस्क के केंद्रीय तरल पदार्थ को सुखा देती है, जिससे डिस्क सिकुड़ कर अपने स्थान पर आ जाती है और नसों से दबाव हट जाता है।

जानें विशेषताएं

  • सीटी गाइडेड ओजोन न्यूक्लियोप्लास्टी में मरीज को बेहोश करने की आवश्यकता नहीं होती। तीन घंटे बाद मरीज घर जा सकता है।
  • ओजोन न्यूक्लियोप्लास्टी की लागत ऑपरेशन से कम होती है।
  • ऑपरेशन के बाद लगभग 5 से 15 प्रतिशत मरीजों में ऑफ्टर इफेक्ट की आशंका होती है, जबकि ओजोन न्यूक्लियोप्लास्टी से ऐसे दुष्परिणाम की संभावना न के बराबर होती है।

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गर्दन दर्द का कारण

सर्वाइकल डिजेनरेटिव डिस्क रोग गर्दन में होने वाले दर्द का सबसे मुख्य और आम कारण है। इस रोग में गर्दन में काफी दर्द होता है। साथ ही गर्दन में खिंचाव, स्तब्धता, जलन और झुनझुनी का एहसास होता है। इस बीमारी में गर्दन और सिर को हिलाने पर काफी दर्द होता है जो बहुत ही असहनीय होता है।
ये बीमारी गर्दन में दर्द का कारण बनती है। इसमें गर्दन में कड़ापन महसूस होता है। इसमें गर्दन में दर्द होता है जो कंधों तक में रहता है। इसमें गर्दन में जकड़न आ जाती है जिससे सिर हिलाने में दर्द होता है। कई बार इस बीमारी के घातक होने पर चक्कर और उल्टियां भी होती हैं। ये सब गर्दन की  डी-जेनरेशन वाली नसों पर दबाव पड़ने के कारण होता है।

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