स्तन के टिशूज में असामान्य वृद्धि या परिवर्तन की पहचान करने के लिए विशेष प्रकार की एक्स रे को मैमोग्राफी कहा जाता है। इसमें एक मशीन और स्तन टिशू के लिए निर्मित एक्सरे फिल्म का उपयोग होता है। एक टेक्नीशियन स्तन का कम से कम दो एंगल से इसके चित्र लेता है। दोनों स्तनों के अलग अलग छवि के सेट बनाये जाते है। इस सेट को मैमोग्राम कहते हैं। स्तन टिशू सफेद, अपारदर्शी और फैटी टिशू की अपेक्षाकृत गहरे और ट्रान्सल्यूसेंट दिखते हैं। मैमोग्राम की स्क्रीनिंग में स्तन को ऊपर से नीचे और बाजू से बाजू तक एक्स रे लिया जाता है।
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मैमोग्राफी की जरूरत
जरूरी नही कि मैमोग्राफी सिर्फ वही महलायें करायें जो ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं या फिर जिनको ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका है। यह सामान्य भौतिक जांच का एक हिस्सा होता है या किसी प्रकार की स्तन की असामान्यता की जांच मैमोग्राम द्वारा हो जाती है। अगर स्तनों में कोई समस्या जैसे-गांठ या सूजन है, तो चिकित्सक मैमोग्राफी करके निश्चित कर लेते हैं कि यह किस प्रकार की समस्या है। भौतिक परीक्षा में अत्यंत छोटी गठान प्रतीत नहीं हो सकती जबकि मैमोग्राम द्वारा इसका पता लगाया जा सकता है।
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मैमोग्राफी से जुड़े कुछ तथ्य
- मैमोग्राफी एक्स-रे की ही एक श्रृंखला है जो कि स्तन के कोमल टिश्यू के चित्र को दिखता है। यह एक मंहगी स्क्रीनिंग प्रक्रिया है, जिससे स्तन कैंसर की पहचान आसानी से हो सकती हैं। यह एक्स-रे गांठ महसूस होने से दो वर्षों तक किया जा सकता है।
- पहले स्तन कैंसर की समस्या केवल उम्रदराज महिलाओं में होती थी लेकिन आजकल कम उम्र की महिलाओं में भी स्तन कैंसर की आशंका तेजी से बढ़ रही है। वार्षिक मैमोग्राम करवाने के लिए सभी 50 साल और उससे बड़ी उम्र की महिलाओं को बोला जाता है।
- कुछ शोधों द्वारा यह बात भी सामने आई हैं कि सभी महिलाओं को 40 साल की उम्र में मैमोग्राफी के साथ नियमित स्क्रीनिंग शुरू करानी चाहिए। अगर आपके परिवार में पहले से ही किसी को स्तन कैंसर रहा है, तो आपको समय-समय पर मैमोग्राम करानी चाहिए।
- मैमोग्राफी एक पीड़ारहित परीक्षण है, जो कि आमतौर पर 30 मिनट से भी कम समय लेता है। एक्स-रे का प्रयोग व्यक्ति विशेष के स्वास्थ्य को देखकर किया जाता है। एक्स–रे लेने में सिर्फ कुछ सेकंड लगते है, लेकिन इसमें अधिक समय इसलिए लग जाता है, क्योंकि प्रत्येक पोज़ीशन के लिए एक्स-रे की स्थिति भी बदलनी पड़ती है।
- मैमोग्राफी से स्तन कैंसर के लगभग 5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत केसेज़ में सुरक्षा की जा सकती है। यह असामान्य है कि एक मैमोग्राम से सब कुछ पता चल जाये, इसके लिए अतिरिक्त परीक्षण की आवश्यकता भी होती है।
- ज्यादातर परिक्षण सुविधाएं प्रभावित असामान्य क्षेत्र की बडी-बड़ी छवियां लेती हैं। कभी-कभी असामान्य क्षेत्र को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड भी करना पड़ता है। एक मैमोग्राफी के दौरान बहुत सारी असामान्यताएं पाए जाने पर यह कैंसर नहीं होता हैं।
- कुछ स्थितियों में, डॉक्टर सुई की मदद से बायोप्सी क्रम निर्धारित करने की सलाह देता है, अगर यह घातक हो तो बायोप्सी के इस प्रकार में स्तन के संदिग्ध क्षेत्र से कोशिकाओं को जांच के लिए एक सुई के प्रयोग से हटा कर, उसके बाद स्लाइड पर फैलाया जाता है। इसके पश्चाशत यह स्लाइड प्रयोगशाला में भेजी जाती है, जिसकी माइक्रोस्कोगप से जांच की जाती है।
- मैमोग्राफी का मकसद स्तन कैंसर का पता लगाना है। समय पर स्तन कैंसर का पता लगने पर कैंसर से बचा जा सकता है और प्रारंभिक अवस्था में इसका पता लगने पर इससे बचना बहुत ही आसान है।
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