जब कोई महिला मां बनती है तो ना चाहते हुए भी उसके शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। वजन का बढ़ना, स्तन के आकार का बढ़ना, हॉर्मोंस में बदलाव और पीरियड्स में देरी आदि परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इन्हीं परिवर्तन में सबसे बड़ी समस्या वो है जब असमय पीरियड के दौर से गुजरना पड़ता है। दरअसल डिलीवरी के बाद कुछ महिलाओं को पीरियड्स कुछ महीनों बाद शुुरू होते हैं तो किसी को तुरंत ही शुरू हो जाते हैं। यानि कि डिलीवरी के बाद महिलाओं का आंतरिक फंक्शन पूरी तरह से बिगड़ जाता है। आज हम आपको डिलीवरी के बाद पीरियड्स में होने वाली देर का कारण बता रहे हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वो कारण—
स्तनपान है कारण
डिलीवरी के बाद पीरियड्स के असमान्य होने का एक कारण कारण मां द्वारा बच्चे को स्तनपान कराना भी माना जाता है। जो पीरियड्स के देर से होने का सबसे बड़ा कारण बनता है। जितने अधिक समय तक मां अपने बच्चे को स्तनपान कराती है उतना ही ज्यादा समय उनके माहवारी के सामान्य होने में लगेगा। यानि कि दूध को उत्पादन करने वाला प्रोलैक्टिन हार्मोन ओव्यूलेशन को कम करता है।
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इस प्रकार समय पर माहवारी के आने की संभावना कम हो जाती है। कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो अपने शिशु को दिन में 3 से 4 घंटे अपना दूध पिलाती हैं उन्हें 6-8 महीने के बाद माहवारी आती है। यानि कि जब महिलाएं दूध पिलाना बंद कर देती हैं तब पीरियड्स सामान्य रूप से शुरू हो जाता है। ऐसे में साफ होता है कि पीरियड्स में देरी का कारण स्तनपान करना भी है।
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मानसिक बदलाव
कई बार प्रसव के बाद महिलाओं को रोने का मन करता है या कई अलग-अलग तरह के विचार दिमाग में आते हैं। यह शरीर में हुए हार्मोनल बदलाव के कारण हो सकता है। जरूरी नहीं कि आपको उपरोक्त में से हर किसी बदलाव से होकर गुजरना ही पड़े। हो सकता है कि आपमें कुछ ही बदलाव हों। इस लिए धीरज से काम लें और मां बनने के अनुभव का पूरा आनंद लें। साथ ही समय-समय पर डॉक्टर से जांच करती रहें। इस चीज का असर भी पीरियड्स पर पड़ता है।
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वजन बढ़ना या घटना
कई रिसर्च में ये चीज साफ हो चुकी है कि डिलीवरी के बाद महिलाओं का वजन बढ़ना या घटना लगभग तय होता है। ये बदलाव सिर्फ शारीरिक बनावट तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि इस चीज का असर पीरियड्स पर भी पड़ता है। इसके अलावा थाइरायड के बढ़ने से और सही पोषण ना लेने की वजह से भी शरीर में कमजोरी आ जाती है। इसके साथ ही बच्चे को जन्म देने के बाद मां के बच्चे को दूध देने की वजह से शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी होने लगती है, जिसे पूरा करने के लिये इन महिलाओं को हरी सब्जियों का सेवन काफी मात्रा में करना चाहिये।
कम या बिल्कुल ओव्यूलेशन ना होना
प्रसव के बाद अण्डकोष साइकिल का असर मासिक धर्म साइकिल पर पड़ता है। यदि आप ओव्यूलेट नहीं कर रही हैं तो आपको पीरियड की परेशानी बढ़ सकती है। इसके बाद भी अगर किसी महिला को डिलेवरी के 1 साल तक मासिक धर्म नहीं आता है तो इस समस्या को देखते हुये लापरवाही ना बरतें और तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।
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