गर्भवती महिलाओं को कैसे रखना चाहिए अपना और अपने होने वालों बच्चा का ख्याल, जानें कुछ विशेष टिप्स

मां बनना हर एक औरत के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और खूबसूरत अहसास होता है। लेकिन गर्भधारण करने और गर्भावस्था से प्रसव तक अपना खयाल किस तरह से रखना चाहिए, इसको लेकर वे अक्सर दुविधा में पड़ जाती हैं। 
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गर्भवती महिलाओं को कैसे रखना चाहिए अपना और अपने होने वालों बच्चा का ख्याल, जानें कुछ विशेष टिप्स


अक्सर कहा जाता है कि मात्रत्व का सुख भोगे बिना कोई भी महिला पूर्ण नहीं होती। मां बनना हर एक औरत के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और खूबसूरत अहसास होता है। लेकिन गर्भधारण करने और गर्भावस्था से प्रसव तक अपना खयाल किस तरह से रखना चाहिए, इसको लेकर वे अक्सर दुविधा में पड़ जाती हैं। जिस कारण वे अपना उचित ध्यान नहीं रख पाती हैं। गर्भवती को न सिर्फ खुद के लिए बल्की आने वाले शिशु के लिए भी सही जानकारी रखना बेहद जरूरी होता है। आइए, जानते हैं कि किसी गर्भवती महिला को कैसे अपना और आने वाले शिशु का ध्यान रखना चाहिए।

सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करनाहर गर्भवती महिला अपनी तरफ से सुरक्षित प्रसव और सुरक्षित मातृत्व के प्रयास करती है। लेकिन जरा सी चूक या लापरवाही गर्भ को नुकसान पहुंचा सकती है। इसका एक बड़ा कारण काफी हद तक दकियानूसी सलाहें और सही जानकारी की कमी भी होता है। हमारे देश में मातृत्व मृत्यु दर सबसे अधिक है इसलिए मातृत्व स्वस्थ सेवाओं में इजाफा कर सुरक्षित मातृत्व का प्रयास और भी ज़रूरी हो जाता है। आइए जानें सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जाये।

सुरक्षित मातृत्व के लिए रखें इन बातों का ख्याल

  • सुरक्षित मातृत्व का अर्थ है गर्भवती महिला स्वयं स्वस्थ रहे और अपने होने वाले बच्चे को भी स्वस्थ रखें।
  • सुरक्षित मातृत्व के अंतर्गत महिलाओं को गर्भावस्था से लेकर प्रसव तक हर प्रकार की आवश्यक जानकारी की सुविधा मुहैया करवाई जाएं। गर्भवती मां को गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं से भी रूबरू होना चाहिए।
  • सुरक्षित मातृत्व‍ योजना के अंतर्गत गर्भवती महिला को गर्भावस्था की संपूर्ण जानकारी दी जानी चाहिए।
  • गर्भवती स्त्री को प्रसवपूर्व, प्रसव के दौरान और प्रसव के बाद भी उचित देखभाल मिलनी चाहिए।
  • होने वाले बच्चे और मां को पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के उपाय किए जाने चाहिए।
  • प्रसव के दौरान व बाद में पर्याप्त स्वास्थ्‍य संबंधी सुविधाएं दी जानी चाहिए।

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  • महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होने वाली जटिलताओं के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को आपातकालीन स्थिति से जूझने के लिए संसाधन उपलब्ध करवाए जाने चाहिए।
  • प्रसव के समय मातृत्व मृत्यु दर की अधिकतर घटनाएं रक्त की कमी या रक्त स्राव के कारण अधिक होती है, ऐसे में रक्त की कमी को दूर करने के लिए ब्लड बैंक की पूरी सुविधा होनी चाहिए।
  • समय-समय पर अपने हीमोग्लोबिन की जांच करानी चाहिए। ध्यान रखें कि गर्भकाल में खून की कमी न हो पाए, अन्यथा प्रसव के समय समस्याएं हो सकती हैं।

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गर्भावस्था के हर महीने पहली तारीख को वजन नापना भी हा जरूरी। गर्भावस्था में वजन बढना आम बात है। वजन बढ़ने के कारण उच्च रक्तचाप, ह्वदयरोग, मधुमेह आदि समस्याएं हो सकती हैं।

सप्ताह में दो बार पेशाब की जांच भी होनी चाहिए। सामान्यत: पेशाब में एल्ब्यूमिन प्रोटीन मौजूद नहीं होत है लेकिन गर्भावस्था में कोई जटिलता होने पर पेशाब में एल्ब्यूमिन प्रोटीन आने लगता है।

प्रसव के दौरान होने वाली अधिकांश जटिलताओं के विषय में पहले से ही कुछ कहा नहीं जा सकता है। अतः प्रत्येक गर्भावस्था में किसी भी संभावित आपात स्थिति के लिए तैयारी की आवश्यकता होती है। जिससे सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित किया जा सकें। गर्भवती की पुष्टी होते ही डाक्टर से मिलें और सलाह लें। हर अस्पताल में एंटीनेटल केयर के तहत गर्भावस्था का ख्याल रखा जाता है। आप वहां अपना नामांकन कराकर कार्ड भी बनवा सकती हैं और हर 15 दिन बाद डाक्टर से अपना चेकअप करवा सकती हैं।

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