डिप्रेशन की समस्या से आजकल हर उम्र के लोग परेशान हैं, यहां तक कि बच्चों में भी अब डिप्रेशन की मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बच्चों में कोविड-19 के बाद से डिप्रेशन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, बच्चों में डिप्रेशन का एक कारण मोबाइल फोन और पेरेंट्स का ज्यादा बिजी होना भी है। दरअसल, वर्किंग पेरेंट्स अपने बच्चे के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाते हैं, जिसका असर बच्चों की मेंटल हेल्थ (children's mental health) पर पड़ता है। माता-पिता बच्चे को बिजी रखने के लिए उन्हें कम उम्र में ही मोबाइल फोन थमा देते हैं, जिसमें वह दिनभर बिजी रहते हैं। यही मोबाइल फोन भी बच्चों में डिप्रेशन का एक कारण भी बन चुका है। इस लेख में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अछल्दा के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर गौरव कुमार से जानेंगे कि बच्चों में डिप्रेशन की क्या वजहें हैं।
पेरेंट्स के पास समय की कमी- Parents spend less time with child
वर्किंग पेरेंट्स अपने बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाते हैं, ऐसे में कई बच्चे घर में काम करने वाले वर्कर्स के भरोसे दिनभर रहते हैं। बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ सकता है, क्योंकि घर में काम करने वाले वर्कर्स कई बार बच्चों के साथ गलत व्यवहार कर देते हैं, जिसके कारण बच्चा गुमसुम रहने लगता है और अपने माता-पिता से भी दिल की बात नहीं बताता और डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
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माता-पिता के बीच लड़ाई- Fight between parents
तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसका असर बच्चों पर पड़ता है। तलाक से पहले माता-पिता के बीच होने वाले लड़ाई-झगड़े देखकर बच्चे उदास रहने लगते हैं। बच्चों पर इनका बुरा असर पड़ता है और वह धीरे-धीरे डिप्रेशन के शिकार (depression in children) बन जाते हैं। तलाक के बाद बच्चों को समझ नहीं आता कि वह किस के पास रहें क्योंकि अगर वह अपनी मां के साथ रहते हैं तो उन्हें पिता का प्यार नहीं मिलता और अगर पिता के साथ रहते हैं तो वह मां के दुलार से दूर हो जाते हैं।
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घर या स्कूल बदलना
बच्चों को उनके घर के आस-पास और स्कूल के दोस्त बहुत प्यारे होते हैं लेकिन कई बार पेरेंट्स का ट्रांसफर होने के कारण या फिर घर बदलने के कारण बच्चों को अपना स्कूल बदलना पड़ता है। ऐसे में बच्चे अपने स्कूल के दोस्तों से दूर हो जाते हैं, जिसके कारण वह उदास रहने लगते हैं और धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार बन जाते हैं।
आगे निकलने की होड़
बचपन से ही बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर पड़ने लगता है। कुछ माता-पिता अपने बच्चे की तुलना पढ़ाई और खेलकूद के मामलों में दूसरों के बच्चों से करने लगते हैं और ऐसे में बच्चे लगातार निराशा मिलने और डांट पड़ने के कारण शांत रहने लगते हैं और धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।
यह लेख सीनियर सब एडिटर आकांक्षा तिवारी द्वारा लिखा गया है। आकांक्षा को हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े विषयों की अच्छी समझ है। वे इन विषयों पर पिछले 5 वर्षों से काम कर रही हैं।
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