
आयुर्वेद में स्वास्थ्य के लिए अनेखों हर्ब या जड़ी बूटिंयां हैं। आयुर्वेद में आपकी हर समस्या का हल है, इसमें आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए अनेंखों जड़ी बूटियां हैं। ऐसी ही एक जड़ी-बूटी का नाम है कुटकी, यह एक हिमालयी हर्ब है। कुटकी का इस्तेमाल वजन घटाने से लेकर लिवर को स्वस्थ रखनें और कई अन्य समस्याओं के लिए किया जाता है। आप में से अधिकांश लोगों ने शायद कभी इस जड़ी-बूटी के बारे में पहले कभी नहीं सुना होगा, लेकिन आइए यहां हम आपको इसके फायदों के बारे में बताते हैं।
हिमालयी हर्ब कुटकी, पहाड़ों में पाई जाने वाली एक जड़ी-बूटी है, जो कि काफी दुर्लभ जड़ी-बूटियों में से एक है और कई बीमारियों से राहत दे सकती है। यदि आप कुटकी के इस कड़वी जड़ को अपनी डाइट में शामिल करते हैं, तो यहां इसके आपको कुछ प्रमुख लाभ होते हैं, जो कि आपको इस आयुर्वेदिक बुटी की जड़ और अर्क के साथ मिलेंगे।
वजन घटाने के लिए
वजन घटाने को वैश्विक मुद्दा घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि लगभग हर तीसरा व्यक्ति या तो मोटापे का शिकार हैं या उसे वजन बढ़ने की समस्या है। ऐसे में अधिकतर लोग वजन घटाने की कोशिश में रहते हैं। लेकिन यदि आप वजन घटाना चाहते हैं या वजन बढ़ता महसूस कर रहे हैं, तो कटुकी का सेवन करना इसमें मदद कर सकता है। इस औषधीय जड़ी-बूटी का रस पीने से पाचन में सहायता मिलती है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा मिलता है। इससे आपको वजन बढ़ने से रोकने और एक्सट्रा फैट को बर्न करने में मदद मिलती है।
असथमा रोगियों के लिए फायदेमंद
आजकल हर शहर की बुरी हालत है, हम सभी इन दिनों जहरीली हवा यानि प्रदूषण में रह रहे हैं। जिसकी वजह से प्रदूषण में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। इसके चलते कई सांस संबंधी समस्याओ का खतरा और सांस लेने में तकलीफ होती है। ऐसे में अस्थमा के रोगियों के लिए प्रदूषण विशेष रूप से अधिक घातक है, लेकिन यदि आप कुटकी को अपनी डाइट में शामिल करेंगे, तो इससे आपको मदद मिल सकती है।
कटुकी में प्राकृतिक रूप से एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो आपके नाक के रास्ते को खोलते हैं और किसी भी प्रदूषक या बैक्टीरिया को खत्म करते हैं। अस्थमा रोगियों के लिए, यह अत्यधिक फायदेमंद है क्योंकि यह उनके शरीर में हिस्टामाइन को सीमित करता है, जो स्थिति को खराब कर सकता है।
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लिवर को स्वस्थ रखे
इस हिमालयी जड़ी-बूटी का सेवन करने से लिवर से जुड़ी समस्याओं को दूर रखने औ आपके लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। कटुकी में 'कुटकिन' या 'पिक्रोलिव' एंजाइम होता है, जो यकृत के कार्यों को बढ़ावा देता है और पित्त के विकारों जैसे मुद्दों को कम करता है। यह लिवर के कामकाज को बढ़ाने के लिए फेफड़ों को साफ करता है और लिवर को बैक्टीरिया के हमले से बचाता है। इस प्रकार, आप अपने फेफड़ों को डिटॉक्स करने के लिए कुटकी का सेवन कर सकते हैं।
चोट का जख्म भरने के लिए
जिस प्रकार चोट और घावों पर हल्दी लगाने से घाव भरने में तेजी आती है, उसी प्रकार कटुकी भी काम करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट गुणों की वजह से यह घाव, संक्रमण और चोटों के लिए फायदेमंद है। यह घाव को तेजी से ठीक करने में मदद करता है और कुछ अध्ययनों की मानें, तो यह जड़ी-बूटी सोरायसिस का इलाज में भी प्रभावी है।
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बुखार में फायदेमंद
बुखार होने पर आप क्या करते हैं? एक गोली खा लेते हैं, यह सबसे आम जवाब है। लेकिन इन गोलियों का सेवन सुरक्षित नहीं है। इसके बजाय, शरीर के तापमान को विनियमित करने और बुखार से लड़ने के लिए आप कटुकी का सेवन करें। इस जड़ी-बूटी के अद्भुत एंटीपायरेटिक गुण शरीर के तापमान में अचानक परिवर्तन यानि बुखार से राहत के लिए सूजन से लड़ते हैं। इसलिए आप अपने आहार में कुटकी की जड़ का पीसकर पाउडर को शामिल करें। कुटकी पाउडर आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और इसका सेवन करने से आप मौसमी बीमारियों के से भी दूर रहेंगे।
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