भोजन के रूप में अखरोट कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। वहीं ये भी माना जाता है कि अखरोट त्वचा के लिए समान रूप से अच्छा है और इसके कई कायाकल्प लाभ हैं, खासकर स्क्रब के रूप में। लेकिन क्या सच में ऐसा है? अखरोट का स्क्रबर बनाकर चेहरा स्क्रब करने चहरे से जहां डेड सेल्स साप हो जाते हैं वहीं इसके कई नुकसान भी हैं। अखरोट (वॉलनट) से बने स्क्रब क्रीम में बहुत छोटे-छोटे दानेदार कण होते हैं, जिनका चहरे पर बहुत नुकसान होता है। वहीं चेहरे पर इसे देर तक रगड़ने से भले की डेड सेल्स साफ हो जाएं पर इससे स्किन लाल हो सकती है। बहुत देर तक इसे चहरे पर रगड़ने से एक घर्षण पैदा होती है, जो हर किसी के फेस के लिए अच्छा नहीं हो सकता है। इस तरह अखरोट का फेस स्क्रब, त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है। एक एक्सफ़ोलीएटर के रूप में अखरोट स्क्रब का उपयोग करना अधिक शुष्क त्वचा का कारण बन सकता है। वहीं इससे स्किन छिल भी सकती है।
त्वचा के लिए कैसे नुकसानदेह है वॉलनट स्क्रब
वॉलनट स्क्रब चेहरे के मॉडरेशन को खराब कर देता है। वहीं इसके कण और इसके बनाने का तरीका इस्तेमाल करना अनिवार्य है। बहुत अधिक एक्सफोलिएशन आपको वह चिकनी त्वचा नहीं देगा बल्कि इससे आपकी त्वचा को नुकसान भी पहुंच सकता है। इससे आपके चहरे के प्राकृतिक तेलों और सुरक्षात्मक परत भी हट सकती है। वहीं अखरोट की बात आती है, तो इसकी तरह इसका पाउडर भी बहुत कठोर होता है।कई चेहरे के स्क्रब अपने मुख्य घटक के रूप में अखरोट को कुच कर उपयोग करते हैं, जो त्वचा में सूक्ष्म परत का निर्माण कर सकते हैं। वहीं हर बार और हर किसी को ये जरूरत नहीं होती है। ऐसा इसलिे क्योंकि आपकी त्वचा स्वयं की मरम्मत करने में माहिर है, किसी भी प्रकार की त्वचा के लिए हमेशा स्क्रबिंग फायदेमंद नहीं होती है। वहीं, अगर त्वचा को बार-बार स्क्रब किया जाता है, तो यह स्क्रबिंग के कारण मृत त्वचा कोशिकाओं की एक समान मोटी परत बनना भी शुरू हो जाती है और फिर आपको बार-बार स्क्रब की जरूरत पड़ने लगेगी। वहीं इससे जलन पैदा करने वाले तत्व होते हैं जिससे त्वचा में सूखापन और सूक्ष्म-खरोंच होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। साथ ही इससे चहरे में जलन और सूजन भी बढ़ जाती है।
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क्या आपको फेशियल स्क्रब का इस्तेमाल करना चाहिए?
यह सब आपके चेहरे, आपकी त्वचा के प्रकार और आपकी जरूरतों पर निर्भर करता है। विशेषज्ञ स्किन के लिए स्क्रब को दो श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं। पहला -प्राकुतिक और दूसरा- रासायनिक। जबकि शारीरिक एक्सफोलिएंट्स में बीड्स, मिट्टी, चीनी और नमक जैसे तत्व शामिल हैं। वहीं रासायनिक स्क्रब में आप वाशक्लॉथ, स्पंज या ब्रश के इस्तेमाल से माइक्रोडर्माब्रेशन से भी गुजर सकते हैं। ये तरीका आपकी त्वचा को एक प्रोसेस से गुजर कर साप करता है। रासायनिक एक्सफोलिएंट में एसिड का भी उपयोग किया जाते हैं, जिनमें सबसे आम ग्लाइकोलिक एसिड, लैक्टिक एसिड और अन्य जैसे सैलिसिलिक एसिड आदि हैं।
कौन सा स्क्रब बेहतर है?
आम तौर पर, आपके चेहरे के लिए, बिना किसी जलन के गंदगी और जमी हुई त्वचा से छुटकारा पाने के लिए रासायनिक एक्सफोलिएंट सबसे अच्छा विकल्प है। वास्तव में, जबकि 'केमिकल' शब्द इंसुलेशन को बढ़ाता है, प्रभाव काफी विपरीत है। रासायनिक में ज्यादा स्क्रबिंग शामिल नहीं होती है इसलिए ये बेहतर माना जाता है। हालांकि, शारीरिक स्क्रबिंग बहुत कठोर मानी जाती है। वहीं अगर इसे ठीक से नहीं किया जाता है तो ये बहुत बार करना पड़ता है।
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क्या आप अपने चेहरे पर ज्यादा स्क्रब कर सकते हैं?
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस एक्सफ़िलिएंट का उपयोग कर रहे हैं या नहीं। आपको को पहले अपनी स्किन के टाइप का ख्याल रखना चाहिए। फिर अगर आपकी त्वचा प्राकृतिक तौर अच्छी है तो आपको इसके लिए ज्यादा स्क्रब करने की जरूरत नहीं पड़ सकती है। वहीं ओवर-एक्सफोलिएशन से जलन होती है, मुंहासे जैसी सूजन होती है। वहीं इससे नमी खोने और प्राकृतिक त्वचा के अवरोध को बाधित करते हुए आपको सनबर्न होने की अधिक संभावना होती है। इसके अलावा, मृत त्वचा कोशिकाएं पहले से अधिक जमा होने लगती हैं। विशेषज्ञों की मानें तो आपको सप्ताह में एक या दो बार एक्सफोलिएशन का इस्तेमाल करना चाहिए।
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