मेनोपॉज हर महिला की जीवन का वो फेज है, जब पीरिएड्स आना बंद हो जाते हैं। वहीं मेनोपॉज की सामान्य अवधि 51 वर्ष की होती है, हालांकि कई महिलाओं में कुछ स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के कारण 30 की उम्र के बाद भी हो सकती है। यह निर्धारित करने के लिए कोई ठोस प्रयोगशाला परीक्षण नहीं है कि एक महिला में मेनोपॉज की सही उम्र क्या है। प्रारंभिक मेनोपॉज आमतौर पर 40 और 45 वर्ष की उम्र के बीच शुरू होती है। असामयिक मेनोपॉज 40 वर्ष की आयु से काफी पहले ही शुरू हो जाती है और इसे 'प्रीमैच्योर मेनोपॉज' (Premature Menopause)भी कहा जाता है। आनुवांशिकी, बीमारी या चिकित्सा प्रक्रियाओं के कारण, कुछ महिलाएं 40 वर्ष की आयु से पहले ही इससे गुजरने लगती हैं। इस उम्र से पहले होने वाले मेनोपॉज के कारण महिलाओं में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। वहीं इसके कारण शरीर में कई सारे बदलाव भी होते हैं। आइए जानते हैं।
प्रीमैच्योर मेनोपॉज के कारण शरीर में होने वाले बदलाव
वजाइनल ड्राइनेस
वजाइनल ड्राइनेस कई कारणों से होता है पर लेकिन प्रीमैच्योर मेनोपॉज में ज्यादा ही परेशान करते हैं। इस दौरान महिलाएं अक्सर योनि में सूखापन महसूस करते हैं। वहीं धीरे-धीरे वजाइन पतली और कम लचीली होने लगती है। इस तरह की परेशानियों के कारण शरीर में प्रजनन क्षमता ना के बराबर हो जाती है और व्यक्तित्व चिड़चड़ा होने लगता है।
मूत्राशय से जुड़ी परेशानियां
प्रीमैच्योर मेनोपॉज के बाद मूत्राशय से जुड़ी परेशानियां बढ़ने लगती हैं। इसके साथ ही अक्सर मूत्राशय में इंफेक्शन का खतरा बढ़ने लगता है। मूत्राशय की खुजली और मूत्रा के नियंत्रण करने में भी कमी आ जाती है, जिसके कारण बार-बार पेशाब आने की समस्या और इस पर असंयम से जुड़ी परेशानियां बढ़ने लगती हैं।
भावनात्मक परिवर्तन
प्रीमैच्योर मेनोपॉज में महिलाओं को ज्यादातर भावनात्माक परेशानियां होने लगती हैं। स्वभाव में चिड़चिड़ापन, खराब मिजाज और हल्का अवसाद का भी अनुमान हो सकता है। इसके अलावा सेक्स ड्राइव में कमी और
मन में तमाम चीजों को लेकर बढ़ता स्ट्रेस भी महिलाओं को परेशान कर सकता है। वहीं इसके अन्य लक्षणों की बात करें, तो
- -सूखी त्वचा
- -आंखें या मुंह में खुजली
- - नींद में कमी इत्यादि।
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प्रीमैच्योर मेनोपॉज के मुख्य कारण
- -आप कीमोथेरेपी या विकिरण से गुजर चुकी हैं
- - परिवार के किसी सदस्य को हाइपोथायरायडिज्म, ग्रेव्स रोग या ल्यूपस जैसे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होना
- - एक वर्ष से अधिक समय तक गर्भवती होने का असफल प्रयास किया है
- -मां या बहन को प्रीमैच्योर मेनोपॉज का अनुभव हुआ हो तो।
प्रीमैच्योर मेनोपॉज से निपटने के कुछ सामान्य तरीके:
कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट्स
कैल्शियम और विटामिन डी ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद कर सकते हैं। अगर आप अपने सामान्य आहार से इन सप्लीमेंट्स को पर्याप्त तरकी से नहीं ले पा रहे हैं, तो इसके सप्लीमेंट्स जरूर लें। 19 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं को भोजन या सप्लीमेंट्स लेना ही पड़ता है। वहीं एक महिला को लगभग 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम का उपभोग करने की आवश्यकता होती है। 51 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को प्रत्येक दिन 1,200 मिलीग्राम का सेवन करने की आवश्यकता होती है। वयस्क महिलाओं के लिए को भी वम्र बढ़ने के साथ इसकी जरूरत होती है। पर कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेने से पहले एक डॉक्टर से प्रिस्क्रिप्शन लेना जरूरी है।
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन युक्त सप्लीमेंट्स शरीर में आपके कुछ प्रजनन हार्मोन को बदलने में मदद कर सकते हैं, जो अब इसे अकेले नहीं बना सकते हैं। हड्डियों के नुकसान से बचने में मदद के लिए इसे अक्सर मेनोपॉज की सामान्य अवधि (लगभग 50) तक लिया जाता है।
बांझपन से निपटने के लिए अन्य रणनीति
असामयिक रजोनिवृत्ति वाली कुछ महिलाएं बिना किसी उपचार के गर्भवती नहीं हो सकती हैं। वैसे महिलाएं, जो बच्चे पैदा करना चाहती हैं, जो जल्दी या असामयिक रजोनिवृत्ति के बाद बांझ हो जाती हैं, इन-विट्रो उपचार, निषेचन या यहां तक कि गोद लेने पर विचार करने की आवश्यकता होती है।
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प्रीमैच्योर मेनोपॉज को लेकर बातचीत करें
कई महिलाओं को पता चलता है कि उनकी चिंता के अनुकूल होने के लिए एक चिकित्सक से बातचीत सहायक हो सकती है। यह उन्हें अपनी भावनाओं को शांत करने में मदद करता है और उनकी समस्याओं के बारे में स्पष्टता और संतुष्टि देता है। कॉग्निटिव बिहेवियरल थैरेपी जैसे टॉक थैरेपी हमेशा फायदेमंद होते हैं क्योंकि वे उन लक्षणों और दुष्प्रभावों को दूर करने में मदद करते हैं, जो एक महिला को रजोनिवृत्ति के शुरुआती दौर में आते हैं।
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