
हमारे शरीर में आंत सबसे अहम अंगों में से एक होता है, जहां सबसे अधिक बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इनमें कुछ अच्छे बैक्टीरिया होते हैं तो कुछ बुरे। आज के इस आर्टिकल में हम आपको शरीर में मौजूद इन्हीं अच्छे बैक्टीरिया के बारे में बताएंगे, वहीं बताएंगे कि किन-किन बीमारियों से उन्हें नुकसान पहुंचता है। जमशेदपुर के डिमना रोड के गेस्ट्रोसर्जन डॉ. एन सिंह से बात कर बीमारी के बारे में जानेंगे। इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।
गट बैक्टीरिया शरीर को कैसे करता है प्रभावित
डॉक्टर बताते हैं कि वैसे तो हमारे पूरे शरीर में बैक्टीरिया होते हैं। हमारे शरीर में जितने सेल्स व कोशिकाएं होती हैं उनसे ज्यादा संख्या बैक्टीरिया की होती है। ज्यादातर बैक्टीरिया आंत में पाए जाते हैं। ये खाने को ब्रेक डाउन कर उसे पचाने में मदद करते हैं। ये हमारे शारिरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होते हैं। इंटेस्टाइन को देखें तो इसमें सबसे ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इनका काम है ये खाने को तोड़ें, उसमें से निकले न्यूट्रिएंट्स को शरीर में भेजता है। ताकि उन न्यूट्रिएंट्स को हमारा शरीर इस्तेमाल कर सके।
दो तरह के हैं बैक्टीरिया, पहला गुड और दूसरा बैड
डॉक्टर बताते हैं कि गुड बैक्टीरिया खाने को पचाने में मदद करने के साथ पौष्टिक तत्वों को शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचाते हैं। बैड बैक्टीरिया शरीर के लिए काफी हानिकारक होता है। इसके कारण कई प्रकार की बीमारी की संभावना भी रहती है। गुड बैक्टीरिया काफी मात्रा में होते हैं, इंटेस्टाइन में इनकी कोशिश यही होती है कि बैड बैक्टीरिया को पनपने से रोकें। एक समय के बाद गुड और बैक्टीरिया के बीच सामंजस्य बन जाता है, जिसमें अधिक मात्रा गुड बैक्टीरिया की होती है। गुड बैक्टीरिया हमेशा बैड बैक्टीरिया को नियंत्रण में रखते हैं ताकि बीमारी न हो।
इंटेस्टाइन में बैक्टीरिया से पूरा शरीर होता है प्रभावित
डॉक्टर बताते हैं कि इंटेस्टाइन में बैक्टीरिया है तो ऐसा नहीं है कि समस्या व बीमारी का खतरा सिर्फ इंटेस्टाइन में ही है। बल्कि पूरे शरीर में बीमारी का खतरा रहता है।
गुड और बैड बैक्टीरिया का बैलेंस बिगड़ने पर होती है ये बीमारियां
डॉक्टर बताते हैं कि गुड और बैड बैक्टीरिया का बैलेंस बिगड़ने पर कई प्रकार की परेशानियां होती हैं। यदि अनहेल्दी बैक्टीरिया ज्यादा पनपने लगे तो उस स्थिति में कई प्रकार की बीमारी हो सकती है। जिसके कारण अंतड़ियों में बीमारी होती है।
1. इरीटेबल बॉवेल सिंड्रोम का खतरा
डॉक्टर बताते हैं कि बैक्टीरिया में इन्हीं असमानताओं के होने के कारण इरीटेबल बॉवेल सिंड्रोम का खतरा रहता है।
2. अल्सरेटिव कोलाइटिस का है खतरा
डॉक्टर बताते हैं बैक्टीरिया में असमानताओं की वजह से अल्सरेटिव कोलाइटिस की समस्या भी हो सकती है। ये बीमारी ऑटो इम्मयून डिजीज की श्रेणी में आने वाली बीमारी है।
3. क्रॉन्स डिजीज की संभावना
डॉक्टर बताते हैं कि इन्हीं बैक्टीरिया की वजह से लोगों को क्रॉन्स डिजीज होने की संभावना होती है। ये बीमारी भी ऑटो इम्मयून डिजीज की श्रेणी में आती है। अगर बैक्टीरिया अनहेल्दी रूप से पनप रहे हैं तो निश्चित तौर पर ये बीमारी होगी।
4. बैक्टीरिया की वजह से दिल की बीमारी का खतरा
डॉक्टर बताते हैं कि इन बैक्टीरिया की वजह से दिल की बीमारी का खतरा रहता है। हार्ट में सबसे अधिक समस्या कोलेस्ट्रोल जन्म देता है, कोलेस्ट्रोल प्लेक्स बनाता है और अंतत: हार्ट डिजीज का कारण बनता है। ऐसे में व्यक्ति जो ज्यादा मात्रा में अंडे, मीट आदि का सेवन करते हैं तो उससे एक खास प्रकार का कैमिकल रिलीज होता है, जिसे ट्राई मिथाइल अमीन ऑक्सी नेट (टेमो), यही टेमो कोलेस्ट्रोल को हार्ट में ले जाने का काम करता है। ऐसे में आपने इन चीजों को खाया, फिर टेमो जेनरेट हुआ और टेमो ने हार्ट की कोशिकाओं तक कोलेस्ट्रोल पहुंचाने का काम किया।
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टेमो कम करने के लिए जानें क्या करें
टेमो कम करने के लिए एक्सपर्ट हेल्दी खाद्य पदार्थ का सेवन करने की सलाह देते हैं। उसमें खासतौर पर ऑलिव्स, ग्रेप्स फूड आदि। इसका सेवन करने से डीएमबी नामक कैमिकल का रिसाव होता है। ये डीएमबी टेमो को नियंत्रण में रखता है। ऐसे में आपके दिल की कोशिकाओं में कोलेस्ट्रोल को जमने से ये रोकता है।
5. किडनी को भी पहुंचाते हैं नुकसान
डॉक्टर बताते हैं कि जिस मरीज के शरीर में टेमो ज्यादा होगा तो उसे क्रॉनिक किडनी डिजीज होने की संभावनाएं होती है।
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6. दिमाग में भी हो सकती है बीमारी
डॉक्टर बताते हैं कि गट बैक्टीरिया में इंबैलेंस की वजह से दिमाग की बीमारी के होने की संभावनाएं भी रहती है। क्योंकि ये आपके इमोशन पर असर डालता है। समस्या होने के कारण ये पूर्व की भांति काम नहीं करती है। साइंटफिकली ऐसा माना जाता है कि कुछ समस्याएं हैं, जैसे ऑटिज्म, एंजायटी न्यूरोसिस, डिप्रेशन और क्रॉनिक पेन जैसी बीमारियों का कारण भी गट बैक्टीरिेया में अनियमितता हो सकती है।
7. मोटापे का है सीधा संबंध
डॉक्टर बताते हैं कि गट बैक्टीरिेया में अनियमितता के कारण ये हमारे दिमाग को सही-सही सिग्नल नहीं भेजेते हैं। इससे लोगों को यह पता नहीं चलता है कि हमें भूख लगी है भी या नहीं। इस वजह से लोग मोटापे का शिकार होते हैं। इतना ही नहीं ये दिमाग में मौजूद पिट्युरिटी ग्लैंड को भी प्रभावित करता है। पिट्युरिेटी कई प्रकार हार्मोन बनाती है। यदि इसमें गड़बड़ी हुई शरीर पर असर दिखेगा।
जानें ये बैक्टीरिया कहां से आते हैं
- शिशु के जन्म के समय मां से आते ये बैक्टीरिया।
- आसपास के वातावरण से आते हैं बैक्टीरि्या
- आप क्या खाते हैं, कितना खाते हैं, कितना बैलेंस डाइट लेते हैं उसपर भी ये बैक्टीरिया निर्भर करता है
- आप कहां रहते हैं व नहीं उसपर भी निर्भर करता है बैक्टीरिया
प्रोबायोटिक्स हैं गुड बैक्टीरिया
ये गुड बैक्टीरिया होते हैं। ये कई प्रकार के होते हैं। ये अलग अलग तरीकों से काम कर डायेशन को ठीक करते हैं। शरीर को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स प्राकृतिक तौर पर हासिल करने के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स में दही, एजेड चीज, फर्मेंटेड वेजिटेबल का सेवन करने से, सीजनल पिकल्स वेजिटेबल्स का सेवन करने से प्रोबायोटिक्स हासिल कर सकते हैं।
प्रीबायोटिक्स एक प्रकार का प्रोबायोटिक्स का है खाना
डॉक्टर बताते हैं कि प्रीबायोटिक्स भी हमें कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन करने से हासिल होता है, जिसमें केला, प्याज, अदरक, सोयाबीन, लीक्स और अनाज शामिल है। इनका सेवन करने से प्रोबायोटिक्स में बढ़ोतरी होती है, अंतत: शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की अधिकता रहता है।
ट्रीटमेंट पर दें ध्यान
डॉक्टर बताते हैं कि आज के दौर में जितने भी प्रकार के ट्रीटमेंट का इस्तेमाल किया जाता है उसमें बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इन बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसके लिए जरूरी है कि आप डॉक्टरी सलाह लें व खानपान व अन्य पर ध्यान देकर उसे फॉलो करें।
खानपान पर दें ध्यान, ऐसी बीमारी होने पर लें डॉक्टरी सलाह
डॉक्टर बताते हैं कि इसलिए हमें खाने में पौष्टिक व संतुलित आहार का ही सेवन करना चाहिए। वहीं बताई गई बीमारी होने पर डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए।
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