आपको पता है क्यों होता है थाइराइड रोग?जानें इसका कारण और इससे बचाव के तरीके

थायरायड को कुछ लोग साइलेंट किलर मानते हैं क्योंकि इसके लक्षण बहुत देर में पता चलते हैं। आमतौर पर महिलाएं इस रोग का ज्यादा शिकार होती हैं।
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आपको पता है क्यों होता है थाइराइड रोग?जानें इसका कारण और इससे बचाव के तरीके


आजकल की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल और स्वस्थ खान-पान ना होने के कारण कई बीमारियों का खतरा रहता है। उन्हीं बीमारियों से एक है थाइराइड। थायराइड के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई लोग थायरायड को एक साइलेंट किलर मानते हैं क्योंकि इसके लक्षण बहुत समय बाद दिखाई देते हैं। 

ज्यादातर महिलाएं इस रोग का शिकार होती हैं। थाइरायड गर्दन में श्वास नली के ऊपर, वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। इस हार्मोन से शरीर की एनर्जी, प्रोटीन उत्पादन और दूसरे हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता कंट्रोल होती है। इसके साथ ही ये ग्रंथि शरीर में मेटाबॉलिज्म की ग्रंथियों को भी कंट्रोल करती है। हम आपको बताते हैं कि थाइराइड कैसे आपको नुकसान पहुंचाता है और साथ ही इसके क्या लक्षण होते हैं। 

थायराइड के लक्षण क्या है?

थायराइड के सामान्य लक्षणों में जल्दी थकान, शरीर सुस्त रहना, थोड़ा काम करते ही एनर्जी खत्म हो जाना, तनाव में रहना, किसी भी काम में मन न लगना, याद्दाश्त कमजोर होना और मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना शामिल हैं। इन सभी समस्याओं को आम समझकर ज्यादातर लोग इसे नजरअंदाज करते हैं जो बाद में खतरनाक साबित हो सकता है और कई बार तो जानलेवा साबित हो सकता है।

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थाइराइड ग्रंथि क्या है

थाइराइड कोई रोग नहीं बल्कि एक ग्रंथि का नाम है जिसकी वजह से ये रोग होता है। लेकिन आम भाषा में लोग इस समस्या को भी थाइराइड ही कहते हैं। दरअसल, थाइराइड गर्दन के निचले हिस्से में पाई जाने वाली एक इंडोक्राइन ग्रंथि है। ये ग्रंथि एडमस एप्पल के ठीक नीचे होती है। थाइराइड ग्रंथि का नियंत्रण पिट्यूटरी ग्लैंड से होता है जबकि पिट्यूटरी ग्लैंड को हाइपोथेलमस कंट्रोल करता है। थाइराइड ग्रंथि का काम थाइरॉक्सिन हार्मोन बनाकर खून तक पहुंचाना है जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित रहे। ये ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन बनाती है। एक टी3 जिसे ट्राई-आयोडो-थाइरोनिन कहते हैं और दूसरी टी4 जिसे थाइरॉक्सिन कहते हैं। जब थाइराइड से निकलने वाले ये दोनों हार्मोन असंतुलित होते हैं तो थाइराइड की समस्या हो जाती है।

इलाज 

थाइराइड दिखने और सुनने में ये बीमारी काफी हल्की नजर आती है लेकिन इसका परिणाम बाद में बहुत खतरनाक हो सकता है। थाइराइड में डॉक्टरी इलाज करवाना बहुत जरूरी है लेकिन इसके साथ-साथ आप घरेलू नुस्खे भी अपना सकते हैं, इसमें कॉफी फायदा मिलता है। प्याज खाने से हमे स्वाद तो आता है साथ ही साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसमें एंटी बैक्टिरियल, एंटी फंगल के अलावा और भी बहुत से जरूरी तत्व होते हैं। 

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प्रयोग करने का तरीका 

अगर आपको थाइराइड है तो आप रात को सोने से पहले कम आकार के लाल प्याज को लेकर दो हिस्सों में काट लें। इन कटे हुए हिस्सों को आप गर्दन में थाइराइड ग्लैंड के आसपास रगड़ें। इसे रात भर ऐसे ही रहने दें। रोजाना लगातार इसका प्रयोग करने से काफी आराम मिलेगा। 

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