
एक भारतवंशी समेत शोधकर्ताओं के दल ने पाया है कि केटोजेनिक आहार से कैंसर दवाओं के प्रभाव को और बेहतर किया जा सकता है। इस तरह के आहार में उच्च वसा, पर्याप्त प्रोटीन और निम्न कार्बोहाइड्रेट होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, ट्यूमर को खत्म करने के उपचार की क्षमता बढ़ाने का नया तरीका खोजा गया है। इसमें इंसुलिन प्रेरित एंजाइम फॉस्फेटिडिलिनोजिटोल-3 काइनेज (पीआइ3के) को साधा जाता है। इस एंजाइम का संबंध कोशिकाओं की वृद्धि से होता है। अमेरिका के वेल कार्नेल मेडिसिन के शोधकर्ता लेविस सी केंटली ने कहा, 'पीआइ3के को साधने वाली दवा ब्लड शुगर का निम्न स्तर होने पर ही प्रभावी हो सकती है।
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हमने पाया कि केटोजेनिक आहार से इंसुलिन को नियंत्रित करने से कैंसर दवाओं का प्रभाव बेहतर किया जा सकता है।' कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सिद्धार्थ मुखर्जी ने कहा, 'यह अध्ययन कैंसर उपचार को लेकर नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।' कुछ मरीज हाइपरग्लेसेमिया को पैदा करने के लिए और हाई लेवल के ब्लड सुगर को कम करने के लिए यह दवा लेते हैं क्योंकि इससे अग्नाश्य ग्रंथि ज्यादा इंसुलिन पैदा करती है। अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इरविन मेडिकल सेंटर के शोधकर्ता सिद्धार्थ मुखर्जी का कहना है कि इस दवा को लेने के बाद भी अगर मरीज का ब्लड सुगर सामान्य स्तर पर नहीं आता है तो उसे दवा लेने बंद कर देना चाहिए। यह अध्ययन कैंसर के लिए विशिष्ट दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है।
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उनका कहना है कि दशकों से हम मनुष्य के रस प्रक्रिया को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। कीमोथेरपी या इन दवाओं से कैंसर कोशिकाओं को संवदेनशील बनाते हैं। यह तथ्य है कि ये दवाएं प्रतिरोध क्षमता को विकसित कर रही हैं कम से कम पशुओं के मॉडल के रूप में। हम मनुष्यों में इसे आजमाने के लिए उत्साहित हैं।
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