
सुबह-शाम योग करने से न केवल आप शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं बल्कि आपको मानसिक शांति भी मिलती है। इससे आपके शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है और आप खुद को तनावमुक्त महसूस कर सकते हैं। नियमित रूप से योगासन का अभ्यास करने से आपकी इम्यूनिटी मजबूत होती है और आप दिनभर अपने काम पर बेहतर ढंग से ध्यान दे पाते हैं और खुद को काफी ऊर्जावान महसूस करते हैं। लेकिन आज हम आपको ऐसे आसन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके अभ्यास से आप अपने कमर की चर्बी कम कर सकते हैं और बढ़ते वजन से राहत पा सकते हैं। यह आपको अंदर से मजबूत और फुर्तीला बनाता है। कटिचक्रासन आपकी मांसपेशियों के विकास और मस्तिष्क को शांत बनाने में मदद करता है। इसके अलावा यह आपकी पैरों को भी मजबूती प्रदान करता है। इस लेख में हम आपको कटिचक्रासन करने के लाभ और तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं।
कटिचक्रासन के फायदे
1. कटिचक्रासन की मदद से आप अपनी कमर को लचीला बना सकते हैं। इससे मांसपेशियों में खिंचाव आता है और कमर की चर्बी कम हो सकती है। इससे आप वजन कम करने के लिए भी कर सकते हैं।
2. फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए आप इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं। बार-बार सांस भरने से फेफड़े फूलने व सिकुड़ने से शरीर को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है और कॉर्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलता है।
3. रीढ़ की हड्डी का दर्द अगर आपको बार-बार परेशान करता है, तो आपको इस योगासन का अभ्यास करना चाहिए। इससे आपकी पीठ और रीढ़ की हड्डी के दर्द की दिक्कत दूर हो सकती है।
4. पाचन तंत्र में भी कटिचक्रासन काफी फायदेमंद हो सकता है। इससे अपच और गैस की दिक्कत नहीं होती है।
5. पैरों की मांसपेशियों में मजबूती आती है और साथ ही हड्डियां भी मजबूत हो सकती है।
कटिचक्रासन करने का तरीका
1. कटिचक्रासन के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएँ। दोनों पैरों में कंधों जितनी दूरी रखें। फिर दोनों हाथ शरीर के दाएं-बाएं रखें।
2. सांस भरते हुए दोनों हाथ सामने की ओर उठाएं व कंधों की सीध में लाएं। दोनों हथेलियाँ एक दूसरे के सामने रखें।
3. फिर सांस छोड़ते हुए, कमर के भाग से दाईं ओर घूमते हुए, अपने दोनों हाथों को अपने दाईं तरफ ले जाएँ। पैरों को न घूमने दें अर्थात् एक जगह टिकाकर रखें।
4. बाएं हाथ से दहिने कंधे को छुने की कोशिश करें। इस दौरान अपनी आंखों को दाएं हाथ के अंगूठे पर रखें। सामर्थ्य के अनुसार दाईं ओर अधिक से अधिक घूमें, हाथों को पीछे की ओर खींचने का प्रयास करें।
5. जितनी देर सांस को रोकना संभव हो उतनी देर तक आप इस अवस्था में रुकने का प्रयास करें।
6. सांस भरते हुए धीरे-धीरे वापस मध्य में आएं मतलब प्रांरभिक स्थिति में आएं।
7. श्वास छोड़ते हुए अपने बाएं ओर घूमें, दायां हाथ बाएं कंधे को छुए व नजर बाएं हाथ के अंगूठे पर रखें।
8. अंदर सांस भरते हुए धीरे-धीरे वापिस मध्य में आयें।
9. इस प्रकार आसन का एक चक्र पूरा हुआ। इसी तरह 2-3 चक्र पूरे करें और फिर विश्राम करें।
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सावधानियां
1. पीठ व रीढ़ में दर्द ज्यादा हो तो इस आसन का अभ्यास न करें।
2. स्लिप डिस्क की समस्या हो तो ये आसन नहीं करना चाहिए।
3. पीरियड्स होने पर भी ये आसन नहीं करना चाहिए।
4. पेट की सर्जरी हुई हो तो ये आसन नहीं करना चाहिए।
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