मछली में आपकी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है। मछली में पाये जाने वाले लो सेचुरेटेड फैट, प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड के कारण मछली का सेवन स्वास्थ्यवर्धक होता है। मछली में विटामिन, खनिज और कई अन्य पोषक तत्व पाये जाते हैं, जिस यह कैंसर के बचाव के साथ, दिमाग, दिल, त्वचा व बालों के साथ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मददगार है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मछली ब्रेन ट्यूमर यानि कि ब्रेन कैंसर के इलाज में भी मददगार है। एक नए शोध में पाया गया कि एक विशेष प्रकार की मछली जिनमें जबड़े नहीं होते, उनमें एक प्रकार का रसायन पाया जाता है। जिसके जरिये ब्रेन ट्यूमर में कैंसर रोधी दवाओं को सीधे तौर पर पहुंचाया जा सकता है।
अध्ययन के अनुसार
साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित शोध में पाया गया कि 'सी लैम्प्रे' इस मछली के प्रतिरोधक तंत्र में पाये जाने वाले कीटाणुओं को अन्य उपचारों के साथ मिलाया जा सकता है। इससे ब्रेन कैंसर के साथ मस्तिष्क के अन्य विकारों जैसे मल्टीपिल क्लिरोसिस, अल्जाइमर के उपचार के तौर पर इस्तेमाल करके, इन विकारों को दूर करने में मदद मिलती है।
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मस्तिष्क संबंधी विकारों में मदद
अमेरिका के मैडिसन-विस्कोन्सिन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एरिक शुस्ता का कहना है, कि कई स्थितियों में इसे मूल प्रोद्योगिकी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जब दवा को इंजेक्शन के जरिये दिया जाता है, तो दवाएं मस्तिष्क के कई हिस्सों तक पहुंच नहीं पाती क्योंकि रक्त-मस्तिष्क अवरोधक अणुंओं को जाने से रोकते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि 'सी लैम्प्रे' मछली की मदद से ब्रेन कैंसर, मस्तिष्काघात(स्ट्रोक), ट्रॉमा जैसे बीमारियों में अवरोधक रोग वाले क्षेत्र में छिद्रयुक्त हो जाते है। छिद्रयुक्त अवरोध वहां से प्रवेश का बेहतरीन अवसर देते हैं। यहां से अणु मस्तिष्क में दवा को सटीक रूप से पहुंचा सकते हैं।
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बेन उमलॉफ का कहना है कि अनेक बीमारियां ऐसी हैं, जो रक्त मस्तिष्क अवरोधक को बाधित करते हैं। ऐसे में उन अणुओं में दवा मिलाकर अनेक उपचार दिये जा सकते हैं। 'सी लैम्प्रे' यह विशेष प्रकार की बिना जबड़े वाली मछली ब्रेन कैंसर का प्रभावी उपचार हो सकती है।
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