Syphilis is sexually transmitted disease true or false In Hindi: ट्रेपोनेमा पैलिडम नाम के बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, सिफलिस। यह एक तरह का संक्रामक रोग है। यह ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए एक से दूसरे व्यक्ति को फैलता है। इसके अलावा, अगर किसी प्रेग्नेंट महिला को सिफलिस है, तो उनके गर्भ में पल रहे शिशु को भी यह बीमारी हो सकती है। सिफलिस अलग-अलग स्टेज में होने वाली बीमारी है, इसलिए इसके लक्षण भी स्टेजेस के आधार पर ही नजर आते हैं। इसके सामान्य लक्षणों की बात करें, तो इसमें दाने, रैशेज, बुखार, सूजी हुई लिम्फ नोड आदि शामिल हैं। इसके एड्वांस स्टेज में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होने लगती हैं। बहरहाल, यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि क्या सिफलिस एक सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है? अगर हां, तो इससे बचने रहने के लिए क्या किया जा सकता है? आइए, जानते हैं Gr Noida West स्थित सर्वोदय अस्पताल में Consultant - Urology डॉ. मिथिलेश यादव से।
क्या सिफलिस सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है?- Is Syphilis Sexually Transmitted Disease In Hindi
हां, सिफलिस एक क्या सिफलिस सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है, जिसे हम सिफलिस सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन भी कहते हैं। यह संक्रामक है और यौन संबंध के जरिए एक व्यक्ति तक यह बीमारी आसानी से फैल सकती है। यह न सिर्फ वजाइनल और एनल सेक्स के जरिए फैलता है, बल्कि ओरल सेक्स भी इस बीमारी को फैलाने में अहम भूमिका निभा सकता है। आमतौर पर लोगों को यही लगता है कि किसी भी तरह की सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती हैं। ऐसा ही सिफलिस को लेकर भी भ्रम है। डॉक्टर की मानें, तो सिफलिस एक ऐसा सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है, एंटीबयोटिक्स की मदद से पूरी तरह ठीक हो सकता है। हालांकि, अगर इसका सही समय पर ट्रीटमेंट न किया जाए, तो इसकी वजह से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसमें कार्डियोवास्कुलर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियां शामिल हैं।
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सिफलिस से जुड़े जोखिम
- सिफलिस होने के किसी भी स्टेज में सिरदर्द की समस्या बनी रहती है। मरीज को यह सामान्य दर्द भी महसूस हो सकता है।
- सिफलिफस के मरीजों में सिर घूमना, चक्कर आना जैसी बीमारियां भी कॉमन नजर आती हैं।
- ऑक्यूलर सिफलिस भी इसके जोखिमों में जुड़ा हुआ है। इसमें आंखों से संबंधित दिक्कत मरीज को हो जाती है। जैसे आंखें की रोशनी कमजोर होना या धुंधला नजर आना।
- कुछ मामलों में सिफलसि के मरीजों को खड़े होने के दौरान बैलेंस बनाने में दिक्कतें महसूस होती हैं।
- अगर सिफलिस का इलाज समय न किया जाए, तो मरीज के कई मुख्य अंग प्रभावित हो सकते हैं, इसमें हार्ट, ब्रेन, ब्लड वेसल्स और नर्वस सिस्टम शामिल हैं।
सिफलिस से बचाव
जैसा कि इस बात का जिक्र हम पहले ही कर चुके हैं कि सिफलिस एक सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है। इसलिए, थोड़ी-सी सावधानी बरतकर आप बीमारी से बचाव कर सकते हैं, जैसे-
- किसी भी तरह के यौन संबंध के दौरान सुरक्षा यानी कंडोम का इस्तेमाल करना न भूलें।
- जिन लोगों को सिफलिस है, ऐसे लोगों के साथ यौन संबंध बनाने से बचें।
- अपने पार्टनर और अपना नियमित रूप से एसटीडी की जांच करवाएं। अपने पार्टनर की यौन गतिविधियों पर नजर रखें।
- नियमित रूप से एसटीडी और सिफलिस की जांच करवाएं। इससे पहले से ही बीमारी के बारे में पता लगाया जा सकता है और समय मिला ट्रीटमेंट रिकवरी में मदद करता है।
FAQ
क्या सिफलिस एक जीवन भर की बीमारी है?
सिफलिस एक एसटीआई है। अगर समय पर इसका इलाज किया जाए, तो यह बीमारी ठीक हो सकती है। वहीं, अगर समय पर इसका ट्रीटमेंट न किया जाए, तो गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।आपको कैसे पता चलेगा कि सिफलिस ठीक हो गई है?
सिफलिस ठीक होने पर इसके लक्षणों में कमी आने लगती है। लेकिन, इसके कंफर्मेशन के लिए जरूरी है कि आप एक सिफलिस की जांच करवाएं। इसके अलावा, सिफलिस पूरी तरह ठीक न होने तक यौन संबंध बनाने से बचें। इस दौरान किसी संक्रामक व्यक्ति के साथ भी शारीरिक संबंध न बनाएं।सिफलिस कितने साल तक रहती है?
सिफलिस ऐसी बीमारी है, जिसके अलग-अलग चरण होते हैं। कुछ लोगों में यह जल्दी ठीक हो जाता है। अगर यह अंदरूनी अंगों को प्रभावित करने लगे, तो कई सालों तक यह बीमारी बनी रह सकती है।