शिशु का पालन-पोषण एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। शिशु के सही विकास के लिए उसकी खुराक एक अहम बिंदु है। आपको पता होना चाहिए कि शिशु का पेट ठीक से भर पा रहा है या नहीं। शिशु बोलकर अपनी बात समझा नहीं पाते। इसी कारण से आपको कुछ संकेतों से ही इस बात का अंदाज लगाना होता है कि उन्हें पर्याप्त दूध मिल रहा है या नहीं। छह माह तक शिशु केवल मां के दूध का सेवन करते हैं। छह माह बाद दूध के साथ उसे ठोस आहार भी दिया जाता है। दूध पीकर शिशु का पेट भर पा रहा है या नहीं ये समझने के लिए कुछ लक्षणों पर आपको गौर करना चाहिए जिनके बारे में हम आगे बात करेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के झलकारीबाई अस्पताल की गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।
1. चिड़चिड़ापन
अगर शिशु भूखा है, तो उसमें चिड़चिड़ापन नजर आएगा। डायपर कम गीले होने का मतलब भी ये है कि शिशु ठीक से दूध नहीं पी पाया है।
2. सुस्त होना
दूध पीने के बाद शिशु एक्टिव नजर आएगा। अगर शिशु सुस्त है, तो समझ जाएं उसका पेट नहीं भरा है। शिशु के पेशाब का रंग ज्यादा पीला है, तो हो सकता है शिशु को पर्याप्त दूध न मिला हो।
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3. मुंह सूखना
शिशु की आंख और मुंह में सूखापन नजर आ रहा है, तो ये डिहाइड्रेशन के संकेत हैं। इसका मतलब है शिशु पर्याप्त दूध का सेवन नहीं कर रहा है।
4. दूध पीकर सोना
शिशु कितने समय तक दूध पीते हैं, इसका संबंध दूध की मात्रा या पेट भरने से नहीं है। शिशु दूध पीना बंद कर दे और थोड़ा नींद में आने लगे, तो आप कह सकते हैं कि उसका पेट भर गया है।
5. दूध निगलना
स्तनपान के दौरान आपको शिशु के दूध का घूंट भरने की आवाज सुनाई दे, तो समझ जाएं कि वो दूध पी रहा है। शिशु के दूध पीने के बाद आपको सख्त और भारी ब्रेस्ट में हल्कापन महसूस होगा।
6. वजन बढ़ना
अगर शिशु का वजन बढ़ रहा है और विकास ठीक ढंग से हो रहा है, तो चिंता की बात नहीं है। इसका मतलब है कि शिशु का पेट भर रहा है और वो पर्याप्त मात्रा में दूध का सेवन कर रहा है।
शिशु की खुराक
- जन्म से दो माह तक शिशु हर दिन 8 से 12 बार दूध पीते हैं।
- यानी हर 2 से 3 घंटे के अंतराल पर शिशु को दूध चाहिए होता है।
- दो माह की उम्र में शिशु 3 से 4 घंटे के अंतराल पर दूध पीते हैं।
- चार माह की उम्र में शिशु 5 से 6 घंटे के अंतराल पर दूध का सेवन करते हैं।
- छह माह की उम्र में शिशु हर 6 से 8 घंटे में एक बार दूध पीते हैं। इस उम्र में ठोस आहार देना शुरु किया जाता है। शिशु की डाइट भी बढ़ती है।
अगर शिशु दूध पीने या भूख लगने का संकेत नहीं दे रहे हों, तो भी आपको समय-समय पर उसे दूध पिलाना चाहिए।
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