Is Heart Failure More Common in Men or Women : आजकल लोग अपने काम और करियर में इतने व्यस्त हो गए हैं कि उनके पास अपनी ही सेहत का ख्याल रखने के लिए भी समय नहीं होता है। ऐसे में लाइफस्टाइल और खानपान से जुड़ी बिगड़ी हुई आदतें व्यक्ति को बीमार बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ती हैं। आपको जानकार हैरानी हो सकती है कि आपकी रोजमर्रा की कुछ गलत आदतें आपको दिल से जुड़ी गंभीर समस्याओं का शिकार भी बना सकती हैं। बीते कई सालों में हार्ट से जुड़ी समस्याओं का खतरा लगातार बढ़ा है। पहले के समय में लोग यह मानते थे कि बढ़ती उम्र के लोगों को दिल से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि, आजकल दिल की बीमारी के सबसे ज्यादा मामले युवाओं में पाए जाते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि हार्ट से जुड़ी ये समस्याएं महिलाओं और पुरुषों में से किसे ज्यादा होती हैं? आइए इस सवाल का जवाब डॉ. निरंजन हिरेमठ, अपोलो इंद्रप्रस्थ में वरिष्ठ सलाहकार कार्डियोवैस्कुलर और महाधमनी सर्जन (Dr. Niranjan Hiremath, Senior Consultant Cardiovascular and Aortic Surgeon at Apollo Indraprastha) से जानते हैं।
महिलाओं और पुरुषों में अलग होता है हार्ट फेलियर?- Is Heart Failure Different in Women and Men
डॉ. निरंजन के मुताबिक, पुरुषों और महिलाओं में हार्ट फेलियर अलग-अलग तरीके से होता है। यही वजह है कि हार्ट फेलियर की समस्याओं का निदान और उपचार भी एक-दूसरे से अलग होता है। पुरुषों में आमतौर पर कम इजेक्शन अंश (HFrEF) के साथ हार्ट फेलियर होता है। वहीं, महिलाओं में अक्सर संरक्षित इजेक्शन अंश (HFpEF) के साथ हार्ट फेलियर का अनुभव होता है। यह अंतर जैविक (बायोलॉजिकल), हार्मोनल और जीवनशैली कारकों (Lifestyle Factors) से उपजा है, जो समय के साथ हार्ट हेल्थ पर बुरा असर डाल सकता है।
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स्टडी में हुआ दावा- Study claimed
हार्ट फेलियर को लेकर नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन में प्रकाशित स्टडी में दावा किया गया है कि महिलाओं में दिल की विफलता का खतरा कम होता है। इस स्टडी के निष्कर्ष में बताया गया है कि हर उम्र में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हृदय विफलता (Heart Failure) की घटना और व्यापकता कम होती है।
हार्ट फेलियर में जेंडर को लेकर डॉक्टर की क्या है राय?- What is the doctor's Opinion about Gender in Heart Failure
पुरुषों में इस्केमिक हृदय रोग (Ischemic Heart Disease) और संरचनात्मक हृदय परिवर्तनों (Structural Heart Changes) की उच्च दर के कारण, कम उम्र में हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ता है। इस स्थिति में पुरुषों के अंदर सांस की तकलीफ और थकान जैसी समस्याएं हो सकती है। दूसरी ओर, महिलाओं को सूजन, धड़कन (Palpitations) और व्यायाम असहिष्णुता (Exercise Intolerance) जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों का कई बार देरी से पता चलता है, जिससे ट्रीटमेंट में देरी हो सकती है।
बता दें कि हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज दोनों ही हार्ट फेलियर के महत्वपूर्ण जोखिम कारक होते हैं। ये दोनों पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करते हैं। महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज के बाद हार्ट फेलियर की संभावना ज्यादा होती है, जबकि पुरुषों को कोरोनरी धमनी रोग (Coronary Artery Disease) के कारण ज्यादा जोखिम का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, हार्मोनल इफेक्ट (विशेष रूप से एस्ट्रोजन), मेनोपॉज से पहले महिलाओं को हृदय संबंधी सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे हार्ट फेलियर की शुरुआत में देरी हो सकती है।
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कुल मिलाकर, पुरुषों में हार्ट फेलियर की समस्या ज्यादा होती है। अगर आप हार्ट फेलियर से बचना चाहते हैं, तो शरीर में दिखने वाले लक्षणों को पहचानना जरूरी होता है। अगर लिंग-विशिष्ट (Gender Specific) जोखिमों को देखते हुए महिलाओं और पुरुषों को अलग ट्रीटमेंट दिया जाता है, तो इस स्थिति से बचाव किया जा सकता है।