इंटरमिटेंट फास्टिंग से कमजोरी, ओवरईटिंग, चिड़चिड़ेपन का रहता है खतरा, एक्सपर्ट से जानें जरूरी सलाह

इंटरमिटेंट फास्टिंग, गट मेटाबॉलिज्म और याद रखने की क्षमता को कैसे दुरुस्त किया जाए, जानें एक्सपर्ट की राय।
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इंटरमिटेंट फास्टिंग से कमजोरी, ओवरईटिंग, चिड़चिड़ेपन का रहता है खतरा, एक्सपर्ट से जानें जरूरी सलाह

मौजूदा वक्त में इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन कम करे का सबसे सही डाइट प्लान माना जाता है। साल 2019 के गूगल सर्च में भी ये डाइट प्लान सबसे ऊपर रहा था। वजन घटाने की कोशिशों में लगे लोगों के लिए ये न केवल फायदेमंद है बल्कि इसके प्रभाव भी देखने को मिले हैं। अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो रात को अपने सोने के वक्त और खाना खाने के समय के बीच के अंतर को ठीक कर इस डाइट प्लान का फायदा ले सकते हैं। ये डाइट न केवल वजन कम करने बल्कि पाचन तंत्र को आराम देने में भी मदद करती है। स्मार्ट ग्रुप के चैयरमेन और जनरल फिजिशियन डॉक्टर बी.के. मोदी ने इंटरिमटेंट फास्टिंग के बारे में कुछ जरूरी जानकारियां देते हुए गट मेटाबॉलिज्म सहित कुछ चीजों पर प्रकाश डाला है। तो आईए जानते हैं क्या कहना है उनका।

intermittent fasting

इंटरमिटेंट फास्टिंग कब और किन लोगों को करनी चाहिए? क्या इससे सेहत पर बुरा असर भी पड़ सकता है?

हमारे देश में व्रत रखना एक धार्मिक प्रक्रिया है, जबकी इंटरमिटेंट फास्टिंग भी एक विशेष प्रकार का व्रत है। जो लोग वजन कम करने की इच्छा रखते हैं, इंटरमिटेंट फास्टिंग, उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें कोई खास डाइट नहीं होती है, लेकिन फैट युक्त खाने से दूर रहने की सलाह दी जाती है। मोटे लोग इस दौरान केवल 6-8 घंटों तक ही खा सकते हैं। इसका मतलब यह है कि उन्हें बाकी के समय यानी की लगभग 16 से 18 घंटों के लिए व्रत रखना होता है। आमतौर पर इंटरमिटेंट फास्टिंग में, व्यक्ति को पोषणयुक्त नाश्ता करने व डिनर न करने की सलाह दी जाती है। इस प्रकार के व्रत का पालन करने से लोग आसानी से वजन कम कर पाते हैं। हफ्ते में कितनी बार इसका पालन करना है, यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है जो वजन कम करने की इच्छा रखता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग इतनी भी आसान नहीं है, क्योंकि इस दौरान लोगों को कमजोरी, मूड स्विंग, ओवरईटिंग, निंद में गड़बड़ी, चिड़चिड़ापन आदि जैसी समस्याएं होती हैं। इसलिए इसे अपनाने से पहले किसी अच्छे विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।

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डॉ. बी.के. मोदी ने अमेरिका, कनाडा व भारत के प्रीवेंटिव व इंटीग्रेटेड मेडिसिन के कुछ लीडरर्स के साथ मिलकर इंटरमिटेंट फास्टिंग, गट मेटाबोलिज़म, सूजन से बचाव, किसी भी उम्र में याद रखने की क्षमता में सुधार, जीनोमिक्स और रीजेनेरेटिव मेडिसिन आदि पर चर्चा का आह्वान किया है। यह चर्चा स्मार्ट ग्रुप द्वारा अमेरिकन अकैडमी ऑफ एंटी एजिंग मेडिसिन (ए4एम) के सहयोग से की जा रही है। अपने क्षेत्र के विस्तार की उम्मीद रखने वाले डॉक्टर, एक्सपर्ट्स, जेनरल प्रेक्टिश्नर, न्यूट्रिशनिस्ट, ऑल्टरनेटिव मेडिसिन प्रेक्टिशनर और हेल्थ केयर इस चर्चा में भाग लेंगे।

गट मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त बनाने के लिए क्या करें?

मेटाबॉल्जिम वजन कम करने में सहायक होता है इसलिए इसका दुरुस्त रहना आवश्यक है। हमारी अस्वस्थ और अनियमित दिनचर्या के कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिसके कारण हमारा वजन तेजी से बढ़ने लगता है। खान-पान की सही आदतों और नियमित व्यायाम की मदद से इसे बढ़ाया जा सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि ठंडे पानी के सवन से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है, क्योंकि जब हम ठंडा पानी पीते हैं तो अपने तापमान को बढ़ाने के लिए शरीर को अधिक ऊर्जा लगानी पड़ती है, जिससे मेटाबॉलिज्म बढ़ता है। जबकी असल में शरीर पर इसका कुछ खास असर नहीं पड़ता है। मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ाने का सबसे अच्छा विकल्प एक्सरसाइज है। इसलिए नियमित रूप से कम से कम 1 घंटा एक्सरसाइज करें और सादा व पोष्टिक खाना खाने की आदत डालें। इसके अलावा दिनभर में कम से कम 2 लीटर गुनगुने पानी का सेवन करें।

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किसी भी उम्र में याद रखने की क्षमता को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है?

हमारे खान-पान का असर न सिर्फ हमारे शरीर पर पड़ता है बल्कि हमारे दिमाग पर भी पड़ता है। सही खान-पान और अच्छी जीवनशैली के साथ हमारा दिमाग बढ़ती उम्र में भी अच्छे से काम करता है। हममे से कई लोग चीजों को ठीक से याद नहीं रख पाते हैं, जो हमारी खुद की गलतियों का परिणाम होता है। हमें बचपन से ही बताया जाता है कि बादाम खाने से दिमाग तेज होता है, लेकिन हम शायद ही इन चीजों को गंभीरता से लेते हैं। दरअसल, जो लोग नियमित रूप से बादाम का सेवन करते हैं, उनका दिमाग बादाम न खाने वालों की तुलना में काफी तेज होता है। बादाम की तरह अखरोट में भी विटामिन ई मौजूत होता है, जो दिमाग तेज रखने में मददगार होता है। इसके अलावा पौष्टिक भोजन व डेयरी प्रॉडक्ट्स के सेवन के अलावा एक सक्रिय दिनचर्या की मदद से भी दिमाग को तेज रखा जा सकता है। इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हमें तनाव से दूर रहना चाहिए और नियमित रूप से अच्छी नींद लेनी चाहिए। जो लोग बहुत कम सोते हैं, उनका दिमाग कमजोर पड़ने लगता है, जिससे बढ़ती उम्र में उन्हें भूलने की बीमारी होती है। दिमाग को तेज रखने के लिए खुद को हाइड्रेटेड रखने के अलावा कॉफी, डार्क चॉकलेट, हरी सब्जियां और मौसमी फलों को अपने आहार में शामिल करें।

रीजेनरेटिव मेडिसिन क्या है और इनके फायदे क्या हैं?

आज के दौर में हर कोई खूबसूरत दिखना चाहता है, लेकिन यह खूबसूरती उम्र समेत कई अन्य कारणों से मुर्झा जाती है। इस खूबसूरती को वापस पाना इतना आसान काम नहीं है, लेकिन रीजेनरेटिव मेडिसिन की मदद से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ और खूबसूरत दिख सकता है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति के शरीर के डैमेज्ड टिशू, सेल्स और अंगों को बदला या रिपेयर किया जाता है।

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