देशभर में कोरोना और ओमिक्रॉन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इन बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने संक्रमित व्यक्ति के इलाज को लेक नई गाइडलाइंस जारी की है। इन नई गाइडलाइन में सरकार ने कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टर्स को स्टेरॉयड का इस्तेमाल न करने की अनुसंशा की है। इसके अलावा कई अन्य दवाओं के इस्तेमाल भी रोक लगाई गई है। क्लीनिकल गाइडेंस फार मैनेजमेंट ऑफ एडल्ट कोविड-19 पेसेंट के नाम से संशोधित यह गाइडलाइंस अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)-कोविड-19 टास्क फोर्स और स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त निगरानी समूह (डीजीएचएस) ने जारी की गई है।
स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल
नई गाइडलाइंस में कहा गया है कि संक्रमण के इलाज में जरूरत से अधिक समय या फिर अधिक मात्रा में स्टेरायड जैसी शक्तिशाली दवाओं के इस्तेमाल से ब्लैक फंगस जैसे संक्रमण का खतरा बढ़ रहता है। ऐसे में इस तरह की दवाओं के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
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किन दवाओं का किया जा सकता है इस्तेमाल
गाइडलाइंस के मुताबिक मध्यम स्तर के संक्रमण वाले मरीज को इंजेक्शन मिथाइलप्रेडनिसोलो 0.5 से एक एमडी प्रति केजी को दो समान डोज या इसके बराबर डेक्सामेथासोन की डोज आमतौर पर पांच से 10 दिन तक दी जा सकती है। गंभीर संक्रमण होने पर रोगी को यह दवा की एक से दो एमजी प्रति केजी को दो समान डोज में पांच से 10 दिन तक दिया जा सकता है।
कोरोना से हल्के संक्रमण के मामलों में अगर 5 दिन के बाद भी मरीज को बुखार और खांसी की परेशानी है, तो उन्हें बिडसोनाइड 800एसीजी पांच दिनों तक 2 डोज दी जा सकती है। हालांकि, अगर खांसी की परेशानी 3 सप्ताह से अधिक समय से हो रहा है, तो इस स्थिति में टीबी या फिर अन्य समस्याओं की जांच कराएं।
गंभीर स्थिति के मरीजों के लिए गाइडलाइन
इसके अलावा नई गाइडलाइन के मुतबाकि, मध्यम या फिर गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति को आपातकाल में रेमडेसिविर (Remdesivir) का इस्तेमाल करने की अनुसंशा की गई है। हालांकि, ध्यान रखें कि यह दवा सिर्फ ऐसे मरीजों को दिया जाएगा, जो अस्पताल में भर्ती हैं और जिन्हें ऑक्सीजन पर नहीं रखा गया है। अगर संक्रमित मरीज की स्थिति 24 से 48 घंटे के अंतर गंभीर हो रही है, तो उन्हें टोसिलिजुमैब (Tocilizumab ) देने की अनुमति दी गई है। आइसीयू वाले मरीजों को भी यह दवा दी जा सकती है।
किन दवाओं पर लगी है रोक ?
सरकार द्वारा कोविड के इलाज को लेकर बदली गई गाइडलाइन में कई दवाओं पर रोक लगाया गया है। इस नई गाइडलाइंस में संक्रमित व्यक्तियों को तीन श्रेणि में बांटा गया है। इनमें हल्के, मध्यम और गंभीर रूप से संक्रमित मरीज शामिल हैं।
गाइडलाइन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोरोना से संक्रमित किसी भी श्रेणी के मरीजों के इलाज में मोलनुपिराविर और मोनोक्लोनल एंडीबाडी काकटेल जैसी एंटीवायरल दवा को शामिल नहीं किया गया है। इसके अलावा डाक्सीसाइक्लिन, आइवरमेक्टिन और फेविपिराविर जैसी दवाइयों को भी इस गाइडलाइंस से बाहर रखा गया है।
किन मरीजों को है भर्ती की आवश्यकता ?
ऐसे मरीज जिन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है, जिनका SpO2 स्तर में 90-93 प्रतिशत के बीच उतार-चढ़ाव होता है। उन मरीजों को वार्ड में भर्ती कराया जा सकता है और उन्हें मध्यम मामला माना जाएगा। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ऐसे रोगियों को ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाना चाहिए। इसके अलावा सप्लीमेंट ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता वाले सभी रोगियों में प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। ऐसा करने से मरीज की स्थिति में हर दो घंटे में बदलाव होता है।
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इसके अलावा मरीज में 30 प्रति मिनट से अधिक श्वसन दर, सांस फूलना या कमरे की हवा पर 90 प्रतिशत से कम SpO2 का स्तर है, तो इस तरह के मरीज को गंभीर रूप से संक्रमित माना जाना चाहिए और इस स्थिति से जूझ रहे मरीजों को तुरंत आईसीयू में भर्ती की आवश्यकता होती है, क्योंकि रेस्पिरेटरी सपोर्ट की जरूरत है।
गाइडलाइन के अनुसार, जिन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत अधिक होगी, उन्हें नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन (एनआईवी) - हेलमेट या फेस मास्क इंटरफेस जरूरत के हिसाब से लगाया जाएगा।
किन लोगों को है अधिक खतरा ?
नई गाइडलाइन में बताया गया है कि 60 से ज्यादा आयु के लोगों, कार्डियोवस्कूयलर डिसीज, कोरोनरी आर्टरी डिसीज, डायबिटिज, हाइपरटेंशन, इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड स्टेट जैसे- एचआईवी, किडनी या लिवर डिसीज, ट्यूबरक्लोसिस, क्रॉनिक लंग, केयरब्रोवस्कयूलर डिसीज और मोटापे से ग्रसित व्यक्तियों को कोरोना से संक्रमित होने का अधिक खतरा है।
ध्यान रखें कि कोरोना और ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए सतर्क रहें। घर से बाहर कम निकलें। साफ-सफाई का ध्यान रखें। जरूरत पड़ने पर बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें। सरकारा द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अच्छे से पालन ताकि आप और आपका परिवार कोरोना से सुरक्षित रह सके।