देश में कोरोनावायरस (Coronavirus)की बढ़ती मरीजों की संख्या के बीच मुंबई के कस्तूरबा अस्पताल में एक 64 साल के व्यक्ति की मौत हो गई है। इसी के साथ कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 3 हो गई है और देश में 126 लोग इस वायरस से पीड़ित बताए जा रहे हैं। ये आंकड़ा 30 जनवरी से 17 मार्च तक का है, जिसमें पूरे देश में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच लोगों में इस बात को लेकर उत्सुकता है कि कोरोना के टेस्ट कैसे किए जा रहे हैं, टेस्ट कौन कर रहा है, वायरस से बचाव के लिए रणनीति क्या है। ऐसे तमाम सवाल हैं, जिनको लेकर लोगों के बीच कोरोना को जानने की हड़बड़ी है। इसके साथ ही ये भी जानना जरूरी है कि किन लोगों को टेस्ट कराना चाहिए और किन्हें नहीं।
किन लोगों को कराना चाहिए टेस्ट
अगर आपको सर्दी, खांसी या बुखार है और आप उन देशों की यात्रा करके नहीं आए है, जो इस समय उच्च जोखिम वाले हैं या फिर यात्रियों के संपर्क में नहीं आए हैं, तो संभावना है कि आपको कोरोनावायरस के लिए तुरंत जांच नहीं करानी है। सिर्फ दक्षिण कोरिया ही पूरे विश्व का एकमात्र देश है, जहां रोजाना 12,000 लोगों की स्वास्थ्य जांच की जा रही है।
भारत में कैसे हो रहा टेस्ट
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक, चीन, हॉन्ग-कॉन्ग, जापान, साउथ कोरिया, सिंगापुर, ईरान और इटली जैसे अधिक खतरे वाले देशों की यात्रा करने वाले लोग अगर किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो उनकी जांच जरूर होगी। इनमें वे भी शामिल हैं, जिन्हें इन देशों से निकालकर लाया गया है। इसके अलावा वे लोग, जो इन देशों से वापस लौटें हैं और उन्हें सूखी खांसी, सर्दी या बुखार है तो उनकी भी जांच की जा रही है। अगर किसी व्यक्ति में इसके लक्षण दिखाई देते हैं तो वह सरकार की दी हेल्पलाइन पर कॉल कर सकता है। उस व्यक्ति को एंबुलेंस मुहैया कराई जाएगी और पास के अस्पताल ले जाया जाएगा। जहां उसका नमूना लिया जाएगा और पॉजिटिव पाए जाने पर आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा।
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प्रभावित देशों से आए लोगों की ही जांच दूसरों की नहीं
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और आईसीएमआर के अधिकारियों के मुताबिक, भारत में अधिकतर मामलों को महत्वपूर्ण मामलों के रूप में वृगीकृत किया गया है जबकि वायरस का स्त्रोत बाहरी होने के कारण कुछ मामलों को स्थानीय ट्रांसमिशन के रूप में भी वृगीकृत किया गया है। ये वे लोग होते हैं, जो विदेश से आए अपनी रिश्तेदारों या दोस्तों के संपर्क में आने के बाद पॉजिटिव हुए हैं। इस बीमारी के तीन चरण हैं पहला स्टेज है, जिसमें सिर्फ महत्वपूर्ण मामले देखे जा रहे हैं। दूसरा स्टेज है स्थानीय ट्रांसमिशन। डॉक्टर दूसरे स्टेज तक चिंता का विषय नहीं मान रहे हैं। लेकिन स्टेज 3 कम्युनिटी ट्रांसमिशन और स्टेज 4 महामारी है। स्टेज 3 इसलिए घातक है क्योंकि ये एक विशाल समुदाय या क्षेत्र को प्रभावित करती है, जिसमें वायरस के फैलने का मूल स्त्रोत पता लगाना बहुत मुश्किल होता है।
कैसे किया जा रहा लोगों का चयन
आईसीएमआर ने यात्रा इतिहास के बिना इन्फ्लूएंजा और निमोनिया जैसी बीमारियों के रैंडम नमूनों की जांच शुरू की है। 15 फरवरी से 29 फरवरी के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने 150 नमूनों का परीक्षण किया। यह परीक्षण फरवरी में 13 प्रयोगशालाओं में किया गया था और यह पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या ये कम्युनिटी ट्रांसमिशन है। हालांकि, नमूनों में से कोई भी पॉजिटिव नहीं पाया गया। यह सैंपल 15 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया गया और अब यह हर हफ्ते आईसीएमआर के अधिक वायरस अनुसंधान और नैदानिक प्रयोगशालाओं में हो रहा है।
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देश में कितनी टेस्टिंग लैब और कैसे लिया जाता है सैंपल
ICMR के अनुसार, देश में 51 प्रयोगशालाएं हैं, जिसमें से प्रत्येक में प्रति दिन 90-100 नमूनों की जांच की जा रही है। हालांकि, सरकारी प्रयोगशालाओं को ज्यादा परीक्षण के भार का सामना नहीं करना पड़ रहा है। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में अच्छी आरक्षित क्षमता है। आईसीएमआर के मुताबिक, अब तक इन 51 प्रयोगशालाओं में प्रति दिन 60-70 से अधिक नमूने प्राप्त नहीं हुए हैं।" परीक्षण से पहले, वायरस से संक्रमित होने के संदेह वाले व्यक्ति के नाक और गले की स्वैब ली जाती है।
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