पोलियो वैक्सीन से ही बढ़ रहा है भारत में पोलियो का खतरा, 100% छुटकारे के लिए जरूरी है ओरल पोलियो ड्रॉप्स

यूं तो भारत पोलियो मुक्त देश है पर डब्ल्यूएचओ की मानें तो भारत में पोलियो वैक्सीन से फैलने वाले कुछ पोलियो वायरस का खतरा अब भी है। इसके लिए जरूरी है कि इस वायरस से लड़ने के लिए भारत में हर बच्चे का पूर्ण रूप से टीकाकरण किया जाए।
  • SHARE
  • FOLLOW
पोलियो वैक्सीन से ही बढ़ रहा है भारत में पोलियो का खतरा, 100% छुटकारे के लिए जरूरी है ओरल पोलियो ड्रॉप्स


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा विश्व पोलियो दिवस (24 अक्टूबर) को विशेषज्ञों के एक स्वतंत्र आयोग ने घोषणा की है कि दुनिया भर में खतरनाक पोलियोवायरस टाइप 3 (डब्ल्यूपीवी 3) का उन्मूलन हो गया है। हालांकि, भारत वर्तमान में पोलियो मुक्त देश है। लेकिन, वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो वायरस (VDPV) बीमारी के मामले में भारत में अब तक 50 अलग-अलग मामले सामने आ चुके हैं। वीडीपीवी रोग ओपीवी (ओरल पोलियो वायरस) टीकाकरण के बाद फैला है, जहां ओपीवी वैक्सीन कमजोर पड़ा और इसके कारण कुछ जीवित वायरस वायरल हो गए। इस तरह लाखों बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। वहीं अब भारत में पोलियो उन्मूलन संस्थाओं को अधिक से अधिक बच्चों को टीके लगवाने पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है, जिससे कि न केवल वीडीपीवी का खतरा कम हो बल्कि जंगली पोलियो और वीडीपीवी बीमारी से 99 प्रतिशत सुरक्षा भी मिले।

Inside_POLIOININDIA

इसे भी पढ़ें : बच्चों में पोलियो से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब

पड़ोसी देशों से पोलियो फैलने का है खतरा 

पोलियो उन्मूलन का सर्टिफिकेशन करने वाले संस्था डब्ल्यूएचओ ने एसईएआर (दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र) देशों को 2014 में पोलियो-मुक्त घोषित किया गया था, जिसमें भारत का नाम भी शामिल था। भारत 2009 तक दुनिया में पोलियो के सभी मामलों में से लगभग आधे के लिए जिम्मेदार था और पोलियो उन्मूलन के लिए दुनिया के सबसे कठिन स्थानों में से एक माना जा रहा था। पर भारत पोलियो मुक्त हुआ। पर अब यहां फिर से पोलियो के फैलने का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल पाकिस्तान और अफगानिस्तान विश्व के दो ऐसे देश हैं जहां अब भी पोलियो पूरी तरह से नहीं खत्म हुआ है। ऐसे में भारत द्वारा किसी भी प्रकार की लापरवाही  देश में पोलियो को फिर से जिंदा कर सकती है। भारत में जब तक आईपीवी का टीकाकरण नहीं किया जाता है, तब तक पड़ोसी मुल्क( पाकिस्तान और अफगानिस्तान) से पोलियो वायरस के भारत में फैलने का खतरा बना रहेगा।

गौरतलब है कि पोलियो में दो प्रकार के टीकाकरण हैं, जो पोलियो वायरस के लड़ते है, जैसे पहला- निष्क्रिय पोलियो वायरस (आईपीवी) और दूसरा- मौखिक पोलियो वायरस (ओपीवी)। इंजेक्टेबल निष्क्रिय पोलियो वायरस वैक्सीन (आईपीवी) लगभग सभी बच्चों (100 में से 99) की सुरक्षा करता है, खासकर जिन्हें सभी अनुशंसित खुराक मिल जाती हैं। वहीं ओरल पोलियो वैक्सीन या ओपीवी में तीन (अब केवल दो ओपीवी 1 और ओपीवी 3) के विभिन्न प्रकार के सिरोटाइप का मिश्रण है। ये वायरस वास्तविक पोलियो वायरस की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया(इम्यूनिटी) की नकल करते हैं और वायरस को सेंट्रल नर्वस सिस्टम में फैलने से रोकते हैं। इसलिए बच्चों में इसका टीकाकरण करना बेहद जरूरी होता है।

इसे भी पढ़ें : पोलियो वैक्सीन में मिला टाइप-2 वायरस, यूपी, महाराष्ट्र से फिर सामने आ सकते हैं मामले

पोलियो की रोकथाम 100 प्रतिशत जरूरी है

भारत के UIP (यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम) में ओरल ओपीवी दिया जाता है, जो किसी व्यक्ति के लिए पोलियो वायरस से सुरक्षा प्रदान करता है। इस प्रकार पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान ने भारत को पोलियो मुक्त बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। पर अभी भी भारतीय बच्चों को पोलियो से 100 प्रतिशत मुक्त रखने के लिए, आईपीवी को नियमित टीकाकरण में प्रमुख टीका के रूप में उभारने की जरूरत है।

वहीं नवीनतम इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स वैक्सीनेशन दिशानिर्देशों की सिफारिश है कि बच्चों को निम्नलिखित चरणों, 6 महीने, 10 महीने, 14 सप्ताह और 18-24 महीनों में आईपीवी की चार खुराक मिलनी चाहिए। इसके अलावा ओपीवी को जन्म के समय, 6 महीने, 9 महीने और 4 साल से 6 साल के बीच मौखिक रूप से दिया जाना है।

पोलियो वायरस 2 और वायरस 3 को विश्व स्तर पर मिटा दिया गया है। अब दुनिया में केवल दो पोलियो-स्थानिक देश हैं। तो पोलियो के खिलाफ अंतिम जीत के लिए VDPV बीमारी को रोकना होगा। इसके लिए भारत को फिर से एक बड़ा अभियान चलाना होगा, विशेष रूप से IPV को रोकना और पोलियोवायरस 1 को मिटाने के लिए।

Read more articles on Health-News in Hindi

Read Next

इलैक्‍ट्रॉनिक गैजेट्स का ज्‍यादा इस्‍तेमाल बच्चों को लगा रहा कैफीन और शुगर की लत, शोध में हुआ खुलासा

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version