डायबिटीज और मोटापे की बीमारी की वजह से लोगों को कई अन्य गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। भारत में असंतुलित खानपान और लाइफस्टाइल के कारण लाखों लोग डायबिटीज की बीमारी के शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज के मरीजों को हमेशा खानपान और जीवनशैली में सुधार जरूर करना चाहिए। हाल ही में ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों द्वारा की गयी स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes in Hindi) और मोटापे की बीमारी से पीड़ित मरीजों में अगर ब्लड फैट (Blood Fat in Hindi) बढ़ता है तो उन्हें कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
शरीर में मौजूद ब्लड में फैट का स्तर बढ़ने के कारण मसल्स की कोशिकाओं का स्ट्रक्चर बदल सकता है और इसकी वजह से आपके शरीर के सेल फंक्शन पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इस रिसर्च में यह कहा गया है कि ऐसे लोग जो डायबिटीज या मोटापे की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें लगातार अपने ब्लड फैट के लेवल की निगरानी करनी चाहिए और इसे कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में ब्लड फैट का स्तर बढ़ने से शरीर में गंभीर नुकसान हो सकता है। आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
डायबिटीज के मरीजों में ब्लड फैट बढ़ने से नुकसान (Increased Blood Fat Level in Diabetic Patients)
डायबिटीज की बीमारी दो तरह की होती है पहली टाइप 1 डायबिटीज और दूसरी टाइप 2 डायबिटीज। टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में अगर ब्लड फैट का स्तर बढ़ जाता है तो इसकी वजह से उनकी शरीर को कई गंभीर नुकसान होते हैं। लखनऊ के मशुर डायबेटोलॉजिस्ट डॉ एम के चंद्रा के मुताबिक शरीर में ब्लड फैट बढ़ने की वजह से टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। ब्लड में मौजूद फैट बढ़ने से शरीर में मौजूद सिग्नल सेल्स नष्ट हो जाते हैं और इसकी वजह से मरीज की स्थिति बहुत खराब हो सकती है। मसल्स सेल्स का स्ट्रेस बढ़ने के कारण कोशिकाओं की स्थिति में बदलाव होता है और इसकी वजह से उनके कामकाज पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों में ब्लड फैट का स्तर बढ़ने पर उनकी बीमारी और हालत दोनों बिगड़ने लगती है।
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मोटापे की बीमारी ब्लड फैट बढ़ने से होने वाली समस्याएं ( Increased Blood Fat Level in Obesity Patients)
असंतुलित खानपान और खराब जीवनशैली के कारण लोगों में मोटापे की समस्या होती है। इसकी वजह से शरीर में कई अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं। मोटापे के मरीजों में भी अगर ब्लड फैट का स्तर बढ़ता है तो इसकी वजह से उन्हें कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। मोटापे की समस्या से ग्रसित मरीजों में अगर ब्लड फैट का स्तर बढ़ता है तो टिश्यूज को नुकसान होता है और उसके बाद शरीर के अंदरूनी अंगों को भी नुकसान होने लगता है। इसी वजह से आपको कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। मोटापे के मरीजों में ब्लड फैट के बढ़ने से उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है।
ब्लड फैट या ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के उपाय (How To Control Triglycerides in Hindi)
डायबिटीज और मोटापे की बीमारी वाले लोगों में ब्लड फैट बढ़ना खतरनाक माना जाता है। ब्लड फैट को ही ट्राइग्लिसराइड्स कहा जाता है। इसे कंट्रोल में करने के लिए आपको नियमित रूप से हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल फॉलो करनी चाहिए। शरीर में सामान्य ट्राइग्लिसराइड्स लेवल 150mg/dL से कम होना चाहिए। मोटापा, डायबिटीज और खानपान में गड़बड़ी के कारण आपके ब्लड में मौजूद फैट या ट्राइग्लिसराइड का लेवल बढ़ जाता है। ऐसे लोग जो इस समस्या से पीड़ित हैं उन्हें समय-समय पर अपनी जांच जरूर करानी चाहिए। ब्लड फैट को कम करने के लिए आपको चीनी का कम सेवन करना चाहिए। इसके अलावा शराब और स्मोकिंग की आदत से बचना, अनसैचुरेटेड फैट्स का कम सेवन और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से आप इसे कंट्रोल में कर सकते हैं। डायबिटीज और मोटापे के मरीजों को समय-समय डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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