एक साथ दो बच्चों को लालन-पालन प्रसव के बाद मुश्किल है बल्कि गर्भ में एकाधिक गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। इसके अलावा जुड़वा गर्भावस्था के दौरान ज्यादा जोखिम होता है। जुड़वा बच्चे में कुछ बातें आमतौर पर एक जैसी होती हैं - जैसे लड़का-लड़का, लड़की-लड़की और लड़का-लड़की। जुड़वा गर्भावस्था के लक्षण भी सामान्य गर्भावस्था की तरह ही दिखते हैं। एकाधिक गर्भावस्था में मां का वजन तेजी से बढ़ने लगता है। आइए हम आपको जुड़वा गर्भावस्था से जुड़ी कुछ बातें बता रहा हैं जिनके बारे में शायद आप अनजान हैं।
जुड़वा गर्भावस्था में यह भी जानिए
1 - यदि महिला को एकाधिक या जुड़वा गर्भावस्था है तो उसे मॉर्निंग सिकनेस की समस्या ज्यादा दिखती है। सामान्य गर्भावस्था की तुलना में ट्विन्स में सुबह के समय अधिक थकान का एहसास होता है।
2 - जुड़वा बच्चों का डीएनए गर्भ में ही अलग हो जाता है। आस्ट्रेलिया के मर्डोक बाल अनुसंधान संस्थान (एमसीआरआई) के वैज्ञानिकों की ओर से कराये गए शोध में यह बात सामने आई है कि यदि गर्भ में जुड़वा बच्चे हैं तो गर्भावस्था के दौरान ही उनका डीएनए अलग हो जाता है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने जन्म के समय के गर्भनाल, गर्भनाल के रक्त आदि की मदद से समरूप और असमान जुड़वा बच्चों के समूह के डीएनए का अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला है।
3 - नोएडा के एक टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर में जनवरी 2012 को 7 महिलाओं ने 14 जुड़वा बच्चों को जन्म देने का वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया। यह पहली बार हुआ है जब एक साथ आईवीएफ तकनीक से 14 जुड़वा बच्चे एक साथ पैदा हुए हैं और सब स्वस्थ हैं। इससे पहले 2011 में वॉशिंगटन में आईवीएफ से 14 जुड़वा बच्चे पैदा होने का रेकॉर्ड बना था। लेकिन इनमें 3 बच्चों की मौत सिजेरियन के दौरान ही हो गई थी।
4 - जो महिलायें प्रेग्नेंट होने से पहले स्वस्थ रहती हैं उनमें जुड़वा बच्चों को जन्म देने की संभावना अधिक होती है। उटाह विश्वविद्यायल ने इसको लेकर एक शोध किया था। इस विवि के अध्ययनकर्ता के. आरा. स्मिथ के अनुसार, स्वस्थ महिलाओं के जुड़वा बच्चों को जन्म देने की अधिक सम्भावना होती है।
5 - जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं की उम्र बढ़ जाती है। 'प्रोसीडिंग्स ऑफ रॉयल सोसायटी बी' पत्रिका के मुताबिक, वास्तव में जो महिलाएं स्वाभाविक तौर पर जुड़वा बच्चों को जन्म देती हैं वे लम्बे समय तक जीवित रहती हैं और उनकी प्रजनन क्षमता अधिक होती है।
6 - जुड़वा गर्भावस्था में गर्भावस्था की जटिलताओं को कम करने के लिए अधिक फोलिक एसिड की आवश्यकता होती है। फोलिक एसिड की कमी को दूर करने के लिए फोलिक एसिड की दवाईयां खाना चाहिए।
7- ट्विन्स प्रेग्नेंसी में गर्भपात का खतरा ज्यादा होता है। पहली तिमाही के बाद दूसरी और तीसरी तिमाही में मिसकैरेज की संभावना बढ़ जाती है।
8- जुड़वा गर्भावस्था में गर्भावधि मधुमेह होने की संभावना ज्यादा होती है। जिसके कारण डिलीवरी के लिए सिजेरियन की आवश्यकता पड़ती है।
9- एकाधिक गर्भावस्था में प्री-मैच्योर डिलीवरी ज्यादा होती है। जुड़वा गर्भावस्था में सामान्यत: प्रसव 36वें या 37वें सप्ताह में प्रसव हो जाता है।
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