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मोटापे से भी प्रभावित हो सकती है फर्टिलिटी, डॉक्टर से जानें कैसे?

मोटापा आजकल की एक बेहद आम समस्या बन गई है। अधिकतर लोग इसका सामना कर रहे हैं। मोटापा फर्टिलिटी को भी प्रभावित कर सकता है। 
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मोटापे से भी प्रभावित हो सकती है फर्टिलिटी, डॉक्टर से जानें कैसे?


Impact of Obesity on Fertility in Hindi: खराब खान-पान, लाइफस्टाइल और तनाव की वजह से आजकल लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इनमें मोटापे की समस्या भी एक है। मोटापा भले ही कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इसकी वजह से कई बीमारियां होने का जोखिम बढ़ जाता है। मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोगगों का कारण बनता है। इतना ही नहीं, मोटापे की वजह से लिवर और किडनी स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। आपको बता दें कि मोटापा फर्टलिटी यानी प्रजनन स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। मोटापा प्रजनन स्वास्थ्य पर बुरी तरह से असर डालता है। मोटापे का असर पुरुषों और महिलाओं, दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। आइए, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी ईस्ट की डॉ. निवेदिता मिश्रा से जानें कैसे मोटापा, फर्टिलिटी हेल्थ को प्रभावित करता है।

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मोटापा फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है?- How Being Overweight Affects Fertility Health in Hindi

मोटापे का महिला फर्टिलिटी पर प्रभाव

  • अधिक वजन या मोटापा हार्मोन्स के असंतुलन का कारण बनता है। जब शरीर में मोटापा बढ़ता है, तो इससे एस्ट्रोजन हार्मोन और प्रजनन हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे मासिक चक्र यानी पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। इससे ओव्यूलेशन से जुड़ी दिक्कतें होने लगती है। ऐसे में महिलाओं में प्रजनन की संभावना कम हो जाती है। यानी मोटापा हार्मोन्स और पीरियड्स को प्रभावित करके प्रजनन स्वास्थ्य पर असर करता है।
  • मोटापा या अधिक वजन वाली महिलाओं को पीसीओएस या पीसीओडी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं। इस स्थिति में महिलाओं के लिए  गर्भधारण करने की संभावना कम हो जाती है।
  • मोटापे की वजह से महिलाओं को गर्भावस्था से जुड़े खतरों से भी जूझना पड़ता है। इस स्थिति में गर्भकालीन डायबिटीज या समय पूर्व प्रसव हो सकता है।

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पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य पर भी पड़ता है प्रभाव

मोटापे का महिलाओं के ही नहीं, पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। मोटापे की वजह से पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम होने लगती है। इसके साथ ही, मोटापा शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता को भी प्रभावित करता है। ऐसे में शुक्राणुओं की क्वालिटी को बनाए रखने के लिए वजन को बनाए रखना जरूरी है।

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