कुछ महिलाओं को स्वास्थ्य समस्याओं के चलते गर्भपात करना पड़ सकता है। वहीं, कुछ अपने व परिवार की सहमति से इस प्रक्रिया को अपनाती हैं। महिलाओं के लिए यह एक संवेदनशील पड़ाव होता है। इससे प्रक्रिया में कई बार महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है। हालांकि, यह एक सामान्य प्रकिया है, जो गर्भधारण के बाद की जा सकती है। लेकिन, इस प्रक्रिया के लिए केवल महिलाओं की सहमति होना बेहद आवश्यक है। इस लेख में मैक्स अस्पताल की स्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा जैन से जानते हैं कि गर्भपात महिलाओं को किस तरह से प्रभावित कर सकता है।
गर्भपात के प्रकार क्या होते हैं?
मेडिकेशन गर्भपात -Medication Abortion
मेडिकेशन गर्भपात में प्रारंभिक चरण में गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए फार्मास्यूटिकल्स यानी दवाओं का उपयोग किया जाता है। यह गैर-सर्जिकल विधि गर्भधारण के पहले दस हफ्तों के भीतर प्रभावी होती है, जिसमें महिलाओं को दवा दी जा सकती हैं।
प्रक्रियात्मक गर्भपात Procedural Abortion
प्रक्रियात्मक गर्भपात में गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए विभिन्न सर्जिकल तरीके शामिल होते हैं। सामान्य प्रक्रियाओं में सक्शन या एस्पिरेशन, डाइलेशन और क्यूरिटेज (dilation and curettage), डाइलेशन और इवेक्यूएशन (dilation and evacuation) शामिल हैं।
गर्भपात के बाद महिलाओं की सेहत पर क्या प्रभाव होते सकते हैं?
योनि से रक्तस्र
रक्तस्राव मासिक धर्म जैसा हो सकता है लेकिन आने वाले दिनों में मासिक धर्म की तुलना में हल्का होगा। पहले कुछ दिनों में यह ब्लीडिंग अधिक हो सकती है।
पेट में ऐंठन
गर्भपात के बाद महिलाओं के पेट में हल्का व तेज दर्द हो सकता है, जो कई कारकों पर निर्भर करता है। इसमें महिलाओं की प्रेग्नेंसी के समय के अनुसार लक्षण सामने आ सकते हैं। महिलाएं डॉक्टर के संपर्क कर दर्द कम करने वाली दवाएं ले सकती हैं।
चक्कर आना और बुखार
कई बार गर्भपात के बाद कुछ महिलाओ को बुखार या चक्कर आ सकते हैं। दरअसल, महिलाओं की मौजूद स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर यह लक्षण महसूस हो सकते हैं।
उल्टी व ठंड लगना
इस दौरान कुछ महिलाओं को उल्टी व ठंड लगने लगती है। ऐसे में उनको रूम टेम्परेचर में रहने की सलाह दी जाती है। साथ ही, कुछ दिन घर में आराम करने के लिए भी डॉक्टर कह सकते हैं।
प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ना
गर्भपात महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को विभिन्न तरीकों से प्रभावित कर सकता है, जो गर्भपात की विधि, गर्भवस्था का समय और व्यक्तिगत शारीरिक प्रतिक्रियाओं जैसे कारकों पर निर्भर करता है। गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) की चोट, गर्भाशय की परत पर घाव और भविष्य में प्रजनन संबंधी समस्याएं का जोखिम हो सकता है।
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वहीं, कुछ महिलाओं को मानसिक रूप से भी प्रभाव पड़ सकता है। इस दौरान कुछ महिलाओं को स्ट्रेस व एंग्जायटी हो सकती है। इसको कम करने के लिए वह एक्सरसाइज और योग आदि कर सकती हैं। इसके साथ ही, मेडिटेशन से स्ट्रेस को कम किया जा सकता है।
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