गर्भावस्था के दौरान मां का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह मां और भ्रूण दोनों को प्रभावित करता है। इस समय के दौरान, एक महिला की प्रतिरक्षा प्रणाली कई परिवर्तनों से गुजरती है जो गर्भावस्था की सफलता में योगदान करती है। ऐसे में जब पूरी दुनिया कोरोनावायरस से परेशान है, तो मातृ प्रतिरक्षा को बनाए रखने से संक्रमण से लड़ने में मदद मिल सकती है। अपर्याप्त पोषण और एनीमिया जैसी स्थितियां गर्भावस्था के दौरान संक्रमण के विकास के जोखिम को और बढ़ा सकती हैं। इसलिए, आज के वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट परिदृश्य में मां और बच्चे दोनों के लिए अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक स्ट्रोंग इम्यूनिटी बेहद जरूरी है।
प्रेग्नेंसी में इम्यूनिटी को कैसे प्रभावित करते हैं माइक्रो न्यूट्रिएंट्स?
कई सूक्ष्म पोषक तत्वों को आहार में शामिल करना शरीर के सूजन, इम्यून सेल फंक्शन और मॉड्यूलेशन की प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। ऐसे में इन पोषक तत्वों की थोड़ी सी कमी इम्यूनिटी को कम कर सकती है और प्रसव पूर्व संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकती है। साथ ही ये भ्रूण में कुछ बीमारियों के खतरे को बढ़ाते हैं, जिसका प्रभाव बच्चे के जन्म के बाद भी देखा जा सकता है।गर्भावस्था के दौरान एक महिला की प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करने में मदद करने के लिए जिंक, विटामिन सी, विटामिन डी जैसे इम्यूनिटी बूस्टर माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का पर्याप्त सेवन करना बेहद जरूरी है।
इसे भी पढ़ें: क्या प्रेग्नेंसी के दौरान नींबू-पानी पीना खतरनाक है? जानें गर्भावस्था में नींबू खाना चाहिए या नहीं
अपनाएं ये 5 इम्यूनिटी बूस्टर माइक्रो न्यूट्रिएंट्स
जिंक
जिंक विशेष रूप से इसलिए क्योंकि, इसकी एंटीऑक्सिडेंट कार्रवाई और सेलुलर विनियमन में भूमिका के कारण प्रतिरक्षा के निर्माण में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। ये एंटीऑक्सिडेंट प्रतिरक्षा नियामक यानी कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए केंद्रिय रूप से काम यही करता है। इसका नियमित सेवन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह शरीर में आरक्षित के रूप में संग्रहीत नहीं किया जाता है और शरीर इसका रेलुलर इस्तेमाल करता रहता है। इसके लिए खाने में तिल, अंडा और लहसुन आदि चीजों को जरूर शामिल करें।
सेलेनियम
यह जन्मजात इम्यूनिटी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और प्रतिरक्षा कोशिकाओं की आत्म-सुरक्षा प्रदान करता है। सेलेनियम की कमी वाले व्यक्तियों में वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाया है। इसलिए गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो सेलेनियम युक्त खाद्य पदार्थों पर ध्यान दें।
विटामिन बी
विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और फोलिक एसिड गर्भावस्था में सभी आवश्यक हैं और इम्यूनिटी बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विटामिन बी 6, बी 12 और फोलेट विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।विटामिन बी कॉम्प्लेक्स के स्रोतों में टमाटर, भूसी दार गेहु का आटा, अण्डे की जर्दी, हरी पत्तियो के साग, बादाम और अखरोट जैसे नट्स शामिल हैं।एक औंस नट्स में 544 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है, वहीं पीले रंग की 3 औंस टूना मछली खाने से आप 92 माइक्रोग्राम सेलेनियम पाया जा सकता है।
इसे भी पढ़ें: बुखार होने पर शिशु को स्तनपान कराना कितना है सेफ? जानें स्तनपान में किन सावधानियों का ध्यान रखना है जरूरी
विटामिन सी
यह आंत से आयरन के अवशोषण में सुधार करता है। एक महत्वपूर्ण एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है और पूर्व-एक्लम्पसिया के जोखिम को भी कम कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं अपने खानपान में विटामिन-सी युक्त चीजें जैसे कि आंवला, दही, संतारा और अंगूर आदि शामिल करें।
विटामिन डी
यह इम्यून सिस्टम के संरचनात्मक और कार्यात्मक घटकों को प्रभावित करने वाली एक केंद्रीय भूमिका निभाता है और मैक्रोफेज (सफेद रक्त कोशिका का एक प्रकार) के रोगाणुरोधी कार्य को नियंत्रित करता है। शरीर में विटामिन-डी की अच्छी मात्रा होने से मां और बच्चा दोनों संक्रमण से बचे रह सकते हैं। पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सब्जियों, मांस, डेयरी उत्पादों और फलों को आहार में शामिल करें।
Read more articles on Women's Health in Hindi