पेरेंटिंग आज के समय में किसी भी माता-पिता के लिए मुश्किल हो गई है। ऐसे में कॉम्पिटिशन की इस दौर में हर माता-पिता अपने बच्चों को हर चीज में सबसे ऊपर देखना चाहते हैं। इस कारण माता-पिता अपने बच्चों को न सिर्फ पढ़ाई, बल्कि डांस, गाने, और कई गैम्स में आगे रखने के लिए कई कोचिंग, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स आदि जगहों पर उन्हें भेजना शुरू कर देते हैं। लेकिन कम उम्र में बच्चों के ऊपर इतना दबाव डालने से उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। समय से पहले बच्चों को बड़ा बनाने के चक्कर में उन्हें हर्रीड चाइल्ड सिंड्रोम हो सकता है। आइए पेरेंटिंग कोच अर्पिता अक्षे पिथवा से जानते हैं क्या होता है हर्रीड चाइल्ड सिंड्रोम और इसके कारण क्या है?
हर्रीड चाइल्ड सिंड्रोम क्या है? - What is Hurried Child Syndrome in Hindi?
हर्रीड चाइल्ड सिंड्रोम, एक ऐसी स्थिति है, जिसमें माता-पिता अपने बच्चों को जरूरत से ज्यादा व्यस्त रखते हैं। उन्हें उनकी उम्र से ज्यादा ट्रीट करते हैं, जिसके लिए पढ़ाई, खेल-कूद और अन्य गतिविधियों को करने के लिए प्रेशर डालते हैं। इतना ही नहीं, इन कामों को लेकर उन पर इतना प्रेशर डालते हैं कि वे बच्चों की जगह समझदारी से बड़ों की तरह व्यवहार करें। जिस कारण वह कम उम्र में ही बड़ा होने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
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हर्रीड चाइल्ड सिंड्रोम का कारण क्या है? - Hurried Child Syndrome Causes in Hindi
बच्चों को उनकी शारीरिक और मानसिक क्षमता से ज्यादा काम करने के लिए मजबूर करना।
उनके दिन को कई अलग-अलग गतिविधियों से भर देना, जिससे खेलने के लिए या आराम करने के लिए बहुत कम समय बचता है।
बच्चों से हर प्रतियोगिता या गतिविधि में जीतने की उम्मीद करना जिसमें वे भाग लेते हैं।
बच्चों से बच्चे वाले व्यवहार की जगह बड़ों वाला व्यवहार करने या समझदारी दिखाने या सही फैसले लेने का दबाव डालना।
बच्चों को बहुत कम उम्र में बड़ों के मुद्दों में शामिल करना।

बच्चों पर बड़ा होने का दबाव डालने का प्रभाव पड़ता है? - What happens when you put too much pressure on a child in Hindi?
- कम उम्र में तनाव, चिंता और डिप्रेशन का बढ़ना
- छोटी-छोटी असफलताओं से भी निपटने में मुश्किल होना
- दूसरों से लगातार वेलिडेशन की चाह रखना
- खुद पर कम विश्वास होना
- एकाग्रता की कमी होना
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निष्कर्ष
बच्चों को कम उम्र में ही बड़ों जैसा व्यवहार करने पर मजबूर किया जाता है, जिस कारण उनमें हर्रीड चाइल्ड सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। ऐसे में आप अपने बच्चों पर ज्यादा जिम्मेदारी देने से बचें और उन्हें खुद के लिए समय निकालने के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही बच्चों के साथ उनके उम्र के अनुसार ही व्यवहार करें। ध्यान रखें कि हर बच्चा अपनी सीखने की गति, रुचियों और क्षमताओं में बेहतर होता है, इसलिए उन्हें तनाव-मुक्त रखने की कोशिश करें।
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