
How To Tackle Your Child’s Unkind Behavior In Hindi: क्या आपका बच्चे अपने उम्र के बच्चों को पीटता है? क्या वह चोरी-छिपे दूसरों को नुकसाना पहुंचाता है? क्या वह दूसरों के खिलौने तोड़ता है? अगर आपका बच्चा दूसरों के साथ इसी तरह पेश आता है, तो समझ जाइए कि आपका बच्चे का व्यवहार दूसरों के साथ बहुत बुरा है। इस तरह व्यवहार करने की वजह से वह दूसरों का दोस्त नहीं बन सकता, किसी के साथ आसानी से घुलमिल नहीं सकता। ऐसे बच्चों का मानसिक विकास सही तरह से नहीं होता है। चूंकि इस तरह के बच्चे अक्सर अकेले और तन्हा रहते हैं, इसलिए इनके अंदर नकारात्मकता काफी ज्यादा भर जाती है। इनकी यह आदत अगर समय रहते न बदली जाए, तो बड़े होने के बावजूद इनकी आदतों में सुधार नहीं होता है, जो कि सही नहीं है। ऐसा आपके बच्चे के साथ न हो, इसलिए समय रहते उसकी आदतों जरूरी बदलाव करें।
संयमित व्यवहार करें
कई बार बच्चे इसलिए गुस्सैल हो जाते और दूसरों के साथ गलती व्यवहार करने लगते हैं, क्योंकि उनके पेरेंट्स उनके साथ अच्छी तरह पेश नहीं आते। छोटी-छोटी गलती पर बच्चे को बहुत ज्यादा डांट-फटकार लगाते हैं। इससे अलग, पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों के साथ अच्छी तरह और संयमित व्यवहार करें। अगर किसी वजह से बच्चे से गलती हो गई है, तो उसे समझाने की कोशिश करें। उसने क्या और क्यों गलत किया है, उसे बताएं। ऐसा करने से उसका गुस्सा कम होगा और दूसरों के साथ वह बदतमीजी भी नहीं करेगा।
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सजा देने से बचें
बच्चों को सजा देना, कभी भी किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है। सजा देने से बच्चा ढीट हो जाता है। यहां तक कि बारा-बार सजा मिलने की वजह से वह अपने पेरेंट्स से छिपकर गलतियां करता है। इस तरह उसकी आदत खराब होती चली जाती है। उसे समझ ही नहीं आता कि वह कब दूसरों के साथ गलत व्यवहार करने लगता है। अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे में ऐसी आदत डेवेलप न हो, तो जरूरी है कि उसकी हर गलती पर उसे सजा न दें। इसके बजाय अनजाने में की गई गलतियों को सुधारने का मौका दें।
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अपमान न करें
कई बार पेरेंट्स अपने बच्चों को सही सबक सिखाने के लिए दूसरों के सामने अपमान करते हैं। जरा आप सोचकर देखिए कि क्या ऐसा करना सही है? जी, नहीं। अपने बच्चों का अपमान कभी नहीं करना चाहिए, खासकर दूसरों के सामने ऐसा करना बच्चे के बालमन पर ठेस पहुंचाने जैसा है। बार-बार अपमानित होने की वजह से बच्चा गुस्सैल और आक्रामक हो जाता है। खुद पर संयम न रख पाने के कारण वह दूसरों के साथ गलत व्यवहार करने लगता है।
हतोत्साहित न करें
कहते हैं बच्चों के पहले चीयर लीडर उनके पेरेंट्स होते हैं। जी, बिल्कुल! अगर आप अपने बच्चे को मोटिवेट नहीं करेंगे, तो सोचिए कौन करेगा? आप अपने बच्चे को उसके हर काम के लिए प्रोत्साहित करें। हतोत्साहित करने से उसके मन में कुंठा भर सकती है। उसे लग सकता है कि उसके पेरेंट्स उसके किसी काम से खुश नहीं होते या फिर वह खुद किसी काम में बेहतर नहीं है। हर काम में हारने की भावना उसे दूसरों के साथ गलत व्यवहार करने के लिए मजबूर करती है। आपकी जरा सा प्रोत्साहन उसे बेहतर इंसान बना सकता है।
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