
How To Manage Your Life To Prevent Endometriosis In Hindi: एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय में होने वाली एक बहुत ही आम समस्या है। इस समस्या से लाखों-करोड़ों की संख्या में महिलाएं प्रभावित हैं। इस बीमारी के तहत, गर्भाशय की अंदरूनी परत बनाने वाली एन्डोमेट्रियल टिश्यूज गर्भाशय के बाहर की ओर बढ़ने लगती है। ऐसा होने पर महिलाओं को प्रॉपर ट्रीटमेंट करवाना पड़ता है और समय पर दवाईयां लेनी पड़ती है। लेकिन, डरने वाली बात ये है कि यह समस्या हेरेडिटरी यानी वंशानुगत है। यह समस्या अगर फैमिली में किसी को है, तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि भावी पीढ़ी को भी बीमारी हो। ऐसा आपके साथ न हो, इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी लाइफस्टाइल, डाइट आदि में बदलाव करें। इस लेख में दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल की सलाहकार-प्रसूति एवं स्त्री रोग डॉ. सुनीत कौर से जानिए किस तरह अपनी लाइफस्टाइल को मैनेज करके एंडोमेट्रियोसिस से बच सकते हैं।
डाइट में करें बदलाव
जिन घरों में एंडोमेट्रियोसिस की समस्या है, उन घरों की महिलाओं को अपनी डाइट में जरूरी बदलाव करने चाहिए। इसके लिए उन्हें ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा बढ़ानी चाहिए। ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए मछलियां जैसे सालमन, टूना को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, अंडा और वेजीटेरियन चीजें भी अखरोट, बादाम, चिया सीड, सोयाबीन आदि से भी आप ओमेगा-3 फैटी एसिड की भरपाई कर सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: गर्भाशय में दर्द हो सकता है एंडोमेट्रियोसिस रोग, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके
विटामिंस-मिनरल्स लें
आपको एंडोमेट्रियोसिस की संभावा को कम करना है, तो बहुत जरूरी है कि आप सभी जरूरी विटामिंस और मिनरल्स जरूर लें। इसमें सब्जियों के साथ-साथ फल भी शामिल करें। इसके साथ ही हाइबर डाइट लेनी चाहिए। इनकी मदद से एंटीऑक्सीडेंट्स बढ़ते हैं, जो एंडोमेट्रियोसिस का रिस्क काम करते हैं। इसके अलावा, सूजन आदि समस्या में कमी आती है, जिस वजह से एंडोमेट्रियोसिस के मरीज के लक्षण पर भी पॉजिटिव असर पड़ता है। यही नहीं, अपनी डाइट को कलरफुल बनाएं। कलरफुल डाइट में संतरे, बेरीज, पालक, डार्क चॉकलेट आदि शामिल कर सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या क्यों होती है? डॉक्टर से जानें इसका कारण और इलाज
सप्लीमेंट लें
आप डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट ले सकते हैं। एंडोमेट्रियोसिस के रिस्क को कम करने के लिए विटामिन ए, सी, ई और जिंक सप्लीमेंट्स लेने चाहिए। ये ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (फ्री रेडिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट के बीच बैलेंस का बिगड़ना, जिससे सेल्स को नुकसान होता है) को कम करते हैं और एंटीऑक्सीडेंट को बढ़ाते हैं। आपको बता दूं कि एंडोमेट्रियोसिस का मुख्य कारण, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस होता है। जब डाइट की हेल्प से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होगा, तो इसकी वजह से एंडोमेट्रियोसिस के जोखिम में कमी आने लगेगी। साथ ही, मरीजों में भी लक्षणों में राहत मिलती है, जैसे दर्द कम होता है।
एक्सरसाइज करें
एक्सरसाइज की मदद से भी एंडोमेट्रियोसिस के रिस्क को कम कर सकते हैं। असल में, एक्सरसाइज की मदद से हार्मोन बैलेंस रहते हैं। साथ ही एक्सरसाइज फील गुड हार्मोन रिलीज करते हैं, जिससे एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण प्रभावित होती है। एक्सरसाइज के साथ-साथ आप मेडिटेशन को भी अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना सकते हैं। मेडिटेशन एक तरह रिलेक्सेशन तकनीक है, जो एंडोमेट्रियोसिस के रिस्क को कम करने में मदद करती है। साथ ही, इससे मरीज के लक्षण मैनेज होते हैं और स्थिति में सुधार आता है।
image credit: freepik