Doctor Verified

बच्चों की ओरल हेल्थ का ख्याल रखने के लिए पेरेंट्स अपनाएं डॉक्टर के बताए ये 5 टिप्स

Oral Health: बच्‍चों की ओरल हेल्‍थ का ख्‍याल रखेंगे तो कैव‍िटी, मसूड़ों की बीमारी और सांस से जुड़ी समस्‍या से बचाव हो सकता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
बच्चों की ओरल हेल्थ का ख्याल रखने के लिए पेरेंट्स अपनाएं डॉक्टर के बताए ये 5 टिप्स


Oral Health Tips For Toddlers in Hindi: क्‍या आपके बच्‍चे के दांत भी समय से पहले खराब होने लगे हैं? अगर हां, तो संभल जाएं। बचपन में दांत या मसूड़ों से जुड़ी समस्‍या होने से, आगे चलकर ओरल हेल्‍थ से जुड़ी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। लापरवाही के कारण बच्‍चों के दांतों में छेद हो जाते हैं। यह छेद दरअसल, दांतों में होने वाली कैव‍िटी है। खाने में मौजूद मीठी चीजें एस‍िड में बदल जाती हैं। यह एस‍िड, कैव‍िटी बनाने का काम करता है। अगर पर‍िवार में क‍िसी को दांतों से संबंध‍ित समस्‍या है, तो बचपन से ही बच्‍चों को ओरल हेल्‍थ पर गौर करें। श‍िशुओं के दांत छह महीने की उम्र से व‍िकस‍ित होने लगते हैं। इस उम्र से माता-प‍िता को बच्‍चों के मौख‍िक स्‍वच्‍छता का ख्‍याल रखना शुरू कर देना चाह‍िए। ओरल हेल्‍थ हमारे स्‍वास्‍थ्‍य का जरूरी ह‍िस्‍सा है। इसे नजरअंदाज नहीं क‍िया जा सकता। खासकर बच्‍चों के मामले में तो ब‍िल्‍कुल भी नहीं। इस बात को ध्‍यान में रखते हुए आज हम आपको बताएंगे बच्‍चों की ओरल हाइजीन का ख्‍याल रखने के कुछ ट‍िप्‍स। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।

1. बच्‍चे को मीठी चीजों से दूर रखें 

आजकल छोटे-छोटे बच्‍चों के दांतों में कैव‍िटी हो जाती है। ओरल हाइजीन से जुड़ी हेल्‍दी आदतों को फॉलो न करने के कारण, दांतों में सड़न होने लगती है। छोटे बच्‍चे टॉफी-चॉकलेट ज्‍यादा खाते हैं। मीठी चीजें खाने से दांतों के इनेम‍ल को नुकसान पहुंचता है। मीठी चीजें जब दांतों पर च‍िपकी रह जाती हैं तब बैक्‍टीरिया पनपने लगते हैं। छोटे बच्‍चों को सीम‍ित मात्रा में ही मीठी चीजों का सेवन करने दें। ज्‍यादा मीठा खाने से, कम उम्र में मोटापे की समस्‍या भी हो सकती है।    

2. द‍िन में 2 बार ब्रश कराएं 

छोटे बच्‍चों को द‍िन में 2 बार ब्रश कराएं। ऐसा करने से दांतों में बैक्‍टीर‍िया नहीं पनपेंगे। बच्‍चों के दांतों को स्‍वस्‍थ रखने के ल‍िए, फ्लोराइड वाले टूथपेस्‍ट का ही इस्‍तेमाल करें। 2 साल से बड़े बच्चों को फ्लोराइड टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना चाह‍िए। कई बच्‍चे, रात को सोने से पहले ब्रश करके नहीं सोते, इससे दांतों में कैव‍िटी हो सकती है। बच्‍चों को रात में दूध या स्‍नैक्‍स देते हैं, तो ध्‍यान रखें क‍ि बच्‍चे ने दांतों को साफ क‍िया है या नहीं।  

इसे भी पढ़ें- बच्चों के दूध के दांत निकलने पर ऐसे करें देखभाल, नहीं होगी परेशानी

3. बच्‍चों का डेंटल चेकअप कराएं 

dental checkup

छोटे बच्‍चों के दांतों को स्‍वस्‍थ रखने के ल‍िए, डेंटल चेकअप कराएं। इससे कैव‍िटी का पता चल जाता है। छोटे बच्‍चों के दांतों में कैव‍िटी का पता समय पर चल जाएगा, तो स्‍वस्‍थ दांतों को सड़ने से बचाया जा सकता है। जब बच्‍चा 1 साल का हो जाए या उसका पहला दांत न‍िकल जाए, तब उसे पहले डेंटल चेकअप के ल‍िए लेकर जा सकते हैं।

4. बच्‍चे को कुल्‍ला करना स‍िखाएं 

खाना खाने के बाद, कुल्‍ला करना एक अच्‍छी आदत है। यह छोटी सी आदत फॉलो करके आपका बच्‍चा, ओरल हेल्‍थ से जुड़ी समस्‍याओं से बच सकता है। कुल्‍ला करने से खाने के कणों को कैव‍िटी बनने से रोका जा सकता है। जब तक आपका बच्‍चा 7-8 साल का न हो जाए, तब तक दांतों को साफ करने में बच्‍चे की मदद करें।

5. ओरल हाइजीन में फ्लॉस भी जरूरी है

फ्लॉस‍िंग ओरल हाइजीन का एक जरूरी ह‍िस्‍सा है। बच्‍चे को द‍िन में कम से कम 1 बार तो फ्लॉस जरूर कराना चाह‍िए। बचपन में ही बच्‍चे को फ्लॉस करने की आदत डाल देंगे, तो उन्‍हें आगे समस्‍या नहीं होगी। जब आपके बच्‍चे के सभी दांत आ जाएं, तो उसे फ्लॉस‍िंग करवा सकते हैं। फ्लॉसिंग शुरू करने का अच्छा समय तब माना जाता है जब दो दांत छूने लगते हैं।

उम्‍मीद करते हैं, आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। लेख को शेयर करना न भूलें।

Read Next

क्या दांत निकलते समय शिशु को दस्त होना नॉर्मल है? जानें डॉक्टर की राय

Disclaimer