क्‍या आपका बच्‍चा भी करता है ज्‍यादा बातें? इन 5 तरीके से स‍िखाएं उसे बात करने का सही तरीका

आपका बच्‍चा भी करता है ज्‍यादा बातें तो अपनाएं ये आसान ट‍िप्‍स ज‍िनकी मदद से आप उसे स‍िखाएं बात करने का सही तरीका 
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क्‍या आपका बच्‍चा भी करता है ज्‍यादा बातें? इन 5 तरीके से स‍िखाएं उसे बात करने का सही तरीका

कई बच्‍चे बेहद बातूनी होते हैं, बच्‍चों का कम बोलना या ज्‍यादा बोलना दोनों ही उनके खुद के व्‍यक्‍त‍ित्‍व के ल‍िए अच्‍छा नहीं माना जाता। अगर आपका बच्‍चा भी ज्‍यादा बातूनी है तो आपको उसकी ये आदत बचपन में ही ठीक कर देनी चाह‍िए ताक‍ि आगे चलकर उसे परेशानी न हो और लोगों से जरूरत से ज्‍यादा बात करके फंस न जाए या क‍िसी परेशानी में न बंध जाए। बच्‍चे चुलबुले जरूर होते हैं पर उन्‍हें उनकी सीमा बतानी जरूरी है क्‍योंक‍ि जो बच्‍चे ज्‍यादा बातूनी होते हैं वो खुद के ल‍िए या कभी-कभी दूसरों के ल‍िए परेशानी या शर्मिंदगी का कारण बन सकते हैं। 

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1. बच्‍चे को उसकी आदत के बारे में बताएं 

आपको बच्‍चे से बात करनी चाह‍िए और बच्‍चे को उसकी आदत के बारे में बताएं ताक‍ि बच्‍चे को इस बात का अंदाजा हो क‍ि वो ज्‍यादा बातूनी है। अगर आपका बच्‍चा बातूनी है तो आपको उससे बात करनी चाह‍िए, कई बार ऐसा होता है क‍ि हम बच्‍चे की बात सुनते नहीं है ज‍िसके कारण बच्‍चे में ज‍िद्द बन जाती है और आपका ध्‍यान अपनी ओर खींचने के ल‍िए बच्‍चे ज्‍यादा बोलने लगते हैं या वो तब तक छुप नहीं होते जब तक आप उनकी बात न सुन लें।  

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2. बच्‍चे को छोटे वाक्‍य बोलना स‍िखाएं 

आपको बच्‍चे से बात करके उसे लंबी बात को कम शब्‍दों में बोलना स‍िखाना चाह‍िए, अगर बच्‍चा लंबी बात को कम शब्‍दों में बोलना सीख जाएगा तो वो दूसरों के सामने ज्‍यादा बात करने से बच सकेगा। इसके अलावा अगर आपका बच्‍चा ज्‍यादा बोलता है तो आप उसे डायरी ल‍िखने की सलाह दें या आदत डालें ताक‍ि बच्‍चा अपने मन की बात डायरी में लि‍खे और इस तरह से उसे ज्‍यादा बोलने की आदत से भी बचा सकते हैं।  

3. बच्‍चे की सीमा तय करें (Set boundaries)

अगर आपका बच्‍चा भी ज्‍यादा बोलता है तो आपको उसकी सीमा तय करनी चाह‍िए। अगर बच्‍चा ज्‍यादा बोलता है तो आप उससे बात करें और उसे समझाएं क‍ि उसे क‍िससे और क‍ितनी बात करनी चाह‍िए साथ ही आपको बच्‍चे को औपचार‍िक और अनौपचार‍िक र‍िश्‍तों की जानकारी भी देनी चाह‍िए ताक‍ि बच्‍चे को इस बात की जानकारी हो क‍ि उसे क‍िस समय और क‍िस व्‍यक्‍त‍ि से क‍ितनी बात करनी चाह‍िए। बचपन में ही आप उसे इस बात के बारे में बता देंगे तो आगे चलकर बच्‍चे को ज्‍यादा परेशानी नहीं होगी।       

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4. कहीं आपके बच्‍चा बीमार तो नहीं (Identify disease)

कई बार बच्‍चों के ज्‍यादा बोलने का कारण बीमारी हो सकती है। अगर आपका बच्‍चा एडीएचडी (ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार) का श‍िकार है तो हो सकता है क‍ि आपका बच्‍चा ज्‍यादा बातें करता हो। ज‍िन बच्‍चों को एडीएचडी बीमारी होती है वो कई काम ज्‍यादा करते हैं ज‍िनमें से एक बोलना भी शामि‍ल है, तो आप लक्षणों की पहचान करने के बाद डॉक्‍टर से सलाह लें।   

5. बच्‍चे को बार-बार न टोकें (Avoid constant interruption)

अगर आप बच्‍चा ज्‍यादा बातूनी है तो उसे बार-बार टोकने से बचें, इससे बच्‍चा ज‍िद्दी हो जाएगा। आपको बच्‍चे को ज्‍यादा बोलने के नुकसान के बारे में बताना है साथ ही ऐसे उदाहरण दें जो उसकी उम्र के मुताब‍िक सटीक बैठें और बच्‍चे को समझ आ सकें। अगर आप बच्‍चे को हद से ज्‍यादा टोकेंगे तो आपका बच्‍चा ज्‍यादा गुस्‍सा कर सकता है या उसे कारण न समझ आए तो वो आपसे नाराज भी हो सकता है, बच्‍चे के आत्‍मसम्‍मान का ध्‍यान रखकर ही आपको उसकी समस्‍या को दूर करना है।     

इन आसान ट‍िप्‍स को फॉलो करके आप बच्‍चे के ज्‍यादा बोलने की आदत को खत्‍म कर सकते हैं, ज‍ितनी कम उम्र में इस आदत को ठीक कर लेंगे उतना ही आपके बच्‍चे के व्‍यवहार के ल‍िए ये स्‍टेप फायदेमंद होगा।

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