
आपने देखा होगा कि आजकल छोटे-छोटे बच्चे भी दिनभर फोन से लगे रहते हैं। 2-3 साल के बच्चे भी मोबाइल पर गेम्स खेलने, वीडियोज देखने, वीडियो कॉल करने में इतने एक्सपर्ट होते हैं कि कई बार बड़े तक झेंप जाते हैं। मोबाइल फोन न देने पर बच्चों का गुस्सा करना, रोना, चीखना और चिल्लाना आपने भी देखा होगा। लेकिन क्या आपने सोचा है कि उनमें इस तरह की आदत शुरू कैसे होती है? जवाब बहुत आसान है- पेरेंट्स की गलतियों के कारण। आजकल बच्चों को बिजी रखने के लिए माता-पिता खुद ही उन्हें गेम्स और वीडियोज चलाकर दे देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोबाइल या टैबलेट की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी बच्चों की आंखों के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकती है?
जी हां, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल पर छपी रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार दिमाग के समुचित विकास के लिए जन्म से 5 साल तक की उम्र बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसी उम्र में बच्चे विचार करना, तुलना करना, लिखना, पढ़ना, नई भाषा सीखने, क्रिएटिविटी जैसी क्षमताएं विकसित करते हैं। ये क्षमताएं दिमाग के अंदर करोड़ों न्यूरॉन्स के कनेक्शन के कारण पैदा होती हैं। लेकिन मोबाइल की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी इन न्यूरॉन्स के कनेक्शन में बाधा बनती है, जिससे बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है। आइए आपको बताते हैं कि पेरेंट्स की किन गलतियों के कारण बच्चों को मोबाइल चलाने की लत लगती है और इसे कैसे छुड़ा सकते हैं आप।
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माता-पिता की इन गलतियों के कारण बच्चों को लगती है मोबाइल की लत
- रोते हुए बच्चे को शांत करने के लिए मोबाइल पर वीडियोज चलाकर दे देना।
- बच्चा परेशान कर रहा है, तो उसे ऑनलाइन या ऑफलाइन गेम में उलझा देना।
- बच्चों को टाइम न देना, जिससे बोर होकर बच्चे टीवी, टैबलेट्स और मोबाइल का इस्तेमाल बोरियत मिटाने के लिए करने लगते हैं।
- बच्चों के सामने खुद भी हर समय फोन चलाना, वीडियोज देखना या सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना।
- बच्चों के वीडियोज शूट करना और ऑनलाइन पोस्ट करना, जिससे बच्चे का मोबाइल, सोशल मीडिया की तरफ इंगेजमेंट बढ़ता है।
- बच्चों को बाहर खेलने न जाने देना, जिससे बच्चे दिनभर घर पर रहते हैं और डिजिटल गेम्स से ही टाइमपास करते हैं।

कैसे छुड़ा सकते हैं बच्चों की मोबाइल की लत?
सीमित समय के लिए इस्तेमाल करने दें गैजेट्स
आजकल के बच्चों को गैजेट्स से पूरी तरह दूर रख पाना बहुत मुश्किल है। ऑनलाइन क्लासेज, स्कूल और दोस्तों के व्हाट्सएप ग्रुप्स, एनिमेटेड क्लासेज के इस जमाने में बच्चे अगर गैजेट्स का इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो कहीं न कहीं पीछे रह जाएंगे। लेकिन ध्यान रखने वाली बात ये है कि उन्हें सीमित समय के लिए ही इन गैजेट्स का इस्तेमाल करने की इजाजत दें और पढ़ाई-लिखाई, दोस्तों से बातचीत, स्कूल के ग्रुप मैसेज चेक करने या नई स्किल्स सीखने से जुड़ी चीजों के लिए ही गैजेट्स दें।
बाहर जाकर खेलने के लिए करें प्रेरित
बच्चों के विकास के लिए बेहतर यही है कि वो बाहर जाकर खेलें। बाहर खेलते समय उछल-कूद के दौरान उनकी एक्सरसाइज हो जाती है। इसके अलावा दूसरे बच्चों के साथ खेलने से उनमें सोशल स्किल्स और लैंग्वेज स्किल्स भी बढ़ती हैं।
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क्रिएटिव कामों में लगाएं
बच्चे अगर बोर हो रहे हैं तो उन्हें मोबाइल देने के बजाय किसी क्रिएटिव काम में लगाएं, जैसे- आर्ट बनाना, कार्ड बोर्ड से कोई चीज बनाना, मिट्टे के खिलौने बनाना, कलर बुक में कलर करना, इनडौर गेम्स खेलना आदि। ये क्रिएटिव चीजें करने से बच्चों के दिमाग का अच्छा विकास होता है।
बच्चों के साथ बैठें, बात करें
अगर आप बच्चों पर ध्यान नहीं देंगे तो उनमें कुछ न कुछ गलत आदतें विकसित होंगी ही होंगी। इसलिए अपने बच्चों के लिए दिन में थोड़ा समय जरूर निकालें, जब आप उनके साथ बैठकर सुकून से बात कर सकें। इस फ्री टाइम में आप उनसे उनके दिनभर किए गए कामों के बारे में पूछ सकते हैं, उनके सवालों के जवाब दे सकते हैं।
बच्चों के सामने कम इस्तेमाल करें फोन
बच्चों की मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए जरूरी है कि आप खुद भी उनके सामने मोबाइल का बहुत कम इस्तेमाल करें। कई बार बच्चे जब आपको फोन का इस्तेमाल करते हुए देखते हैं, तो वो भी फोन मांगने लगते हैं। आजकल बहुत सारे मां-बाप फ्री टाइम में भी सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहते हैं और बच्चों पर कम ध्यान देते हैं। इसलिए बच्चों के सामने जरूरी होने पर ही फोन चलाएं।