Parenting Tips: बच्चों को डिजिटल गैजेट्स देने से पहले बरतेंगे ये सावधानियां, तो नहीं बनेगी इनकी आदत

बच्चों की परवरिश में शुरुआत से ही अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखें, तो उनमें डिजिटल गैजेट्स की आदत नहीं लगेगी और विकास अच्छा होगा।
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Parenting Tips: बच्चों को डिजिटल गैजेट्स देने से पहले बरतेंगे ये सावधानियां, तो नहीं बनेगी इनकी आदत

आजकल बच्चे पैदा होते ही डिजिटल टेक्नोलॉजी से घिर जाते हैं। यही कारण है कि अब के बच्चे तकनीकी से बहुत जल्दी दोस्ती कर लेते हैं। आपने भी अपने आसपास ऐसे बहुत सारे बच्चे देखे होंगे जो 2-3 साल की उम्र ही गेमिंग, इंटरनेट सर्फिंग, यू-ट्यूब पर वीडियोज प्ले करने में उस्ताद हो जाते हैं। तकनीक ने हमारे जीवन को आसान बनाया है। मगर बहुत कम उम्र में डिजिटल गैजेट्स के इस्तेमाल से बच्चों में कई तरह की समस्याएं भी देखने में मिली हैं। बच्चे सबसे ज्यादा स्क्रीन वाले गैजेट्स जैसे- टीवी, मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट आदि के आदी हो जाते हैं। इसके कारण बहुत कम उम्र में ही बच्चों में कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं पैदा होना शुरू हो गई हैं। अगर आप अपने बच्चों को डिजिटल गैजेट्स के इन दुष्प्रभावों से बचाना चाहते हैं, तो शुरूआती दिनों में ही उन्हें गैजेट्स देते समय कुछ सावधानी बरतना जरूरी है।

बच्चों के शांत करने के लिए न दें गैजेट्स

अक्सर आजकल के मां-बाप बच्चों को मोबाइल, टैबलेट इसलिए दे देते हैं कि ताकि बच्चा इनमें बिजी रहे और वो अपने दूसरे काम कर सकें। बच्चों को परेशान होने से बचने के लिए गैजेट्स देने से ही उनमें इसकी आदत की शुरुआत होती है। बच्चे बाद में रोकर या जिद करके जब आपसे इन गैजेट्स की मांग करते हैं, तो आप उन्हें रोक नहीं पाते हैं। इसलिए शुरुआत से ही बच्चों को इस बात की आदत न डालें कि वो मोबाइल गेम्स या वीडियोज देखकर शांत होना सीख लें। बच्चों को शांत करने के दूसरे इनोवेटिव तरीके खोजें।

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गेम्स और वीडियोज का न लगाएं चस्का

बहुत छोटे बच्चों को गेम्स और वीडियोज की समझ नहीं होती है, मगर स्क्रीन पर रंगों और प्रकाश के लगातार परिवर्तन से उनका ध्यान बंट जाता है और वे खुश हो जाते हैं। जबकि थोड़ा बड़े होने पर जब वे वीडियोज और गेम्स को समझने लगते हैं, तब तक स्क्रीन वाले डिजिटल गैजेट्स की उन्हें आदत लग चुकी होती है। इसलिए शुरुआत से ही बच्चों को ऐसे गैजेट्स देकर उनको इसका चस्का न लगाएं।

बच्चों के सामने कम करें गैजेट्स का इस्तेमाल

याद रखें बच्चों के सबसे पहले टीचर उनके मां-बाप होते हैं। बच्चे अपने शुरुआती दिनों में ज्यादातर चीजें अपने मां-बाप और घर के अन्य सदस्यों से सीखते हैं। आजकल पेरेंट्स भी दिनभर अपने मोबाइल, सोशल मीडिया या लैपटॉप पर बिजी रहते हैं, जिसे देखकर बच्चे भी आपसे प्रेरित होते हैं। इसलिए अगर घर में कोई छोटा बच्चा है, तो ध्यान दें कि कम से कम उसके सामने इन गैजेट्स का इस्तेमाल तभी करें, जब बहुत जरूरी हो।

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एजुकेशनल एप्स से कराएं दोस्ती

बच्चे जब 5 साल की उम्र पार कर लें और स्कूल जाने लगें, तब आप धीरे-धीरे गैजेट्स से उनकी दोस्ती करा सकते हैं। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका ये है कि बच्चों के लिए इंटरनेट पर बहुत सारे स्टडी एप्स और एजुकेशनल वीडियोज पड़े हुए हैं। आप बच्चों को अपने स्कूल होमवर्क में और किताबी चीजों को समझने में इन वीडियोज और एप्स की मदद लेने की सलाह दे सकते हैं। मगर इसमें भी आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के गैजेट्स के इस्तेमाल का समय तय करें।

बाहर खेलने पर दें जोर

आजकल के बच्चे अपने घर में रहकर गैजेट्स में उलझे रहते हैं, जिसके कारण उनमें मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और दूसरी समस्याएं होने लगी हैं। ऐसे में अगर आप बच्चों को इन बीमारियों से बचाना चाहते हैं, स्वस्थ रखना चाहते हैं और शरीर का बेहतर शारीरिक विकास चाहते हैं, तो उन्हें रोजाना 2 घंटे घर से बाहर पार्क या लॉन में खेलने के लिए कहें। बच्चे घर के अंदर रहकर इंटरनेट से जितना नहीं सीख सकते हैं, उससे ज्यादा चीजें वे बाहर जाकर दूसरे लोगों के साथ घुल-मिलकर सीख सकते हैं।

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