हर दफ्तर में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो आपसे जलते हैं या सहयोग की भावना नहीं रखते। इन्हें आमतौर पर सनकी की श्रेणी में रखा जाता है। इस तरह के लोगों से निपटना, साथ काम करने वालों के लिए आसान नहीं होता। यकीनन आपके ऑफिस में भी ऐसे कुछ लोग होंगे, अगर नहीं हैं तो आपके दुनिये के भाग्यशाली लोगों में से एक हैं। और यदि ऐसे लोग हैं जो न सिर्फ बार-बार आपका मूड खराब करते हों, बल्कि आपके काम करने की क्षमता पर भी असर डालते हों तो ऐसे मुश्किल लोगों से निपटना संभव है। तो चलिये जानें ईर्ष्यालु और बुरे सहकर्मियों से निपटने के कुछ आसान टिप्स।
ईर्ष्यालु सहकर्मियों से कैसे निपटें
देखिये यदि आपके सहकर्मि वाकई बुरे हैं तो आपके दिमाग में कुछ सवाल आने स्वभाविक हैं, जैसे आप चिंतित हैं कि आपकी सफलता से आपके सहकर्मी बेचैन हो रहे हैं? या क्या वो सच में ईर्ष्यालु हैं? यदि हां तो आपको यह सुनिष्चित करना होगा कि वे सच में आपसे ईर्ष्या करते हैं। यदि वाकई ऐसा है तो अनकी ईर्ष्या कई वजहों से हो सकती है, जैसे “पदोन्नति में अंतर, वेतन, पहचान, काम-काज में दक्षता या फिर औहदा। ईर्ष्यालु सहकर्मी सालाना समीक्षा के समय आपके, वरिष्ठों के साथ रिश्तों को बिगाड़ने की भी कोशिश कर सकते हैं। इनसे बचने के लिए इन लक्षणों के प्रति सचेत रहें, लेकिन अप्रिय और प्रतियोगी व्यवहार और ईर्ष्या को समाधान नहीं है। आक्रामक न हों। मामूली सा उकसाव भी ऐसे लोगों को आपके शब्दों को तोड़ने-मरोड़ने और उन्हें आपके ही ख़िलाफ़ इस्तेमाल करने में मदद कर सकता है। उन्हें निश्चित चिंतों से अवगत करायें– जैसे उनसे ईर्ष्यालु होने के आरोप लगाने के बजाय असहयोगी होने का स्पष्टीकरण मांगें।
जब कोई आपके काम और मेहनत का क्रेडिट ले तो
वाकई जब कोई आपकी की गयी मेहनत का क्रेडि खुद ले जाता है तो यह बहुद ही अपमानजनक और गुस्सा दिलाने वाला होता है। जिस काम के लिए आपने अतिरिक्त मेहनत और समय लगाया होता है और काम पूरा होने पर क्रेडिट कोई और ले रहा हो तो और आप हैरत में पड़ जाते हैं कि क्या करें? तो ऐसे में आपकी पहली प्रतिक्रिया यह हो कि आप शांत तरीके से अपने सहकर्मी के साथ मुद्दे पर बात करें। उसे स्पष्टतौर पर कहें कि आपको यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। बात करें पर उन्हें कटघरे में खड़ा न करें। और फिर नुकसान की भरपाई के लिए सभ्य तरीके से उस सहकर्मी और बॉस को वास्तविक स्थिति बताएं। यदि ऐसा एक बार से अधिक हो रहा है तो आप उसके बारे में एचआर से भी बता कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि सार्वजनिक रूप से उस व्यक्ति को अपमानित न करें।
कैसे करें समाधान
जब सहकर्मि बहुत ज्यादा परेशान करने लगे तो उसको तकलीफ बताएं। आक्रामक होने की बजाय विनम्रता के साथ उसे बताएं कि उसकी किस तरह की हरकतों या बातों से आपको परेशानी होती है और वे बातें क्यों सही नहीं हैं। हो सकता है कि वह इस बात से
अनजान हो कि उसकी हरकतों से आपको किस हद तक मानसिक तौर पर परेशानी झेलनी पड़ती है।
परिणाम देखें
एक बार बात करने के बाद देखएं कि क्या सहकर्मी के बर्ताव में आपकी बातों का कोई असर हुआ? यदि नहीं, तो इसका मतलब है कि आपका उससे फिर से टकराहट हो सकता है। आप चाहें तो एक बार फिर अपने उससे इस विषय पर एकांत में बात करके उसे सुधरने का दूसरा मौका दे सकते हैं, नहीं तो फिर आपको अलगा रास्ता ही आजमाना पड़ेगा।
सबक सिखाएं
यदि दो मौकों के बाद भी वह ना सुधरे तो उसे सबके सामने सबक सिखाएं। ऑफिस में आप ऐसे मुश्किल और बुरे लगों को अपने सेंस ऑफ ह्यूमर की मदद और सही टाइमिंग से सबक सिखा सकते हैं। इसके लिए आप सबके सामने उसकी झूटी बातों का जवाब दे सकते हैं और लगों को ये बता सकते हैं कि वह कितना झूटा है। आप चाहें तो उसे इशारों से अहसास करा सकते हैं कि उसकी बातें आपको चुभ रही हैं और आप ऐसा ज्यादा दिन तक नहीं सहेंगे।
मध्यस्थ का सहारा लें
अगर चीजें नहीं सुधर रही हैं तो अपने बॉस को मध्यस्थ बनाएं। यदि सहकर्मी सुधरने को तैयार नहीं हैं तो आप खुद कोई निर्णय लेने की बजाय अपने बॉस या मैनेजर को मध्यस्थ बना सकते हैं तो चीजें आपके लिए आसान हो जाएंगी। बॉस को नोट बनाकर इस मामले के बारे में इस तरह बताएं कि इससे आपके काम करने की क्षमता पर भी इसका असर पड़ रहा है। पूरी तैयारी के साथ ही बॉस से बात करें और उसे अपने विश्वास में लें।
ऑफिस में इन शब्दों के प्रयोग से बचें
वह ठीक नहीं है, असे ऐसा नहीं करना चाहिए आदि बोलने के बजाए तथ्यों को एकत्र करें, मामले का अध्ययन करके अपनी बात सही लोगों तक पहुंचाएं। या यह मेरी समस्या या जॉब नहीं हैं आदि का भी प्रयोग ना करें। यदि कोई आपसे जरूरी आग्रह कर रहा है, तो व्यस्त होने के बावजूद उनका समाधान किया जा सकता है। सहयोग की और शांत भावना से रहने पर कई समस्याओं से बचा जा सकता है।
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