गर्भावस्था के दौरान महिलाएं कई प्रकार की समस्याओं से गुजरती हैं। लेकिन अभी तक सीजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारी को सीधे तौर पर गर्भावस्था से नही जोड़ा गया है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान हार्मोन्स के बदलाव और दवाओं के दुष्प्रभाव के चलते मानसिक विकार हो सकता है।
यदि बच्चे के जन्म से पूर्व मां को इस प्रकार की मानसिक विकार हो जाए तो इसका सीधा असर होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। यदि महिला प्रसव से एक महीने पूर्व सीजोफ्रेनिया से पीड़ित है तो इसके कुछ संभावित खतरे हो सकते हैं। सीजोफ्रेनिया से पीडि़त महिला गर्भावस्था के दौरान अपनी देखभाल करना भूल सकती है। इसलिए यदि गर्भावस्था के दौरान महिला सीजोफ्रेनिया से ग्रस्त है, तो उसके घरवालों को उसका खास खयाल रखना चाहिए। यदि आप या आपकी कोई करीबी गर्भवती इस प्रकार की समस्या से जूझ रही है तो ये बातें आपके लिए उपयोगी हो सकती हैं।
क्या है सीजोफ्रेनिया
सीजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार (साइकेटिक डिसऑर्डर) है। इसमें मरीज सच्चाई और वास्तविक दुनिया से अलग होकर अपनी ही दुनिया में खोया रहता है। सीजोफ्रनिया किसी को भी हो सकता है। लेकिन अभी तक के अध्ययन में सबसे ज्यादा सीजोफ्रेनिया के मामले किशोरावस्था और युवावस्था में देखने को मिलते हैं।
सीजोफ्रेनिया से पीडि़त व्यक्ति को हमेशा तरह-तरह की आवाजें सुनाई पड़ती हैं। वह हमेशा खुद को असुरक्षित महसूस करता है और उसे लगता है लोग उसके खिलाफ साजिश कर रहे हैं। इस बीमारी में दिमाग ठीक प्रकार से काम करना बंद कर देता है। इस बीमारी के होने के बाद आदमी के सोचने और समझने की शक्ति खत्म हो जाती है और वह खुद से कोई फैसला नही ले पाता। यह बीमारी अनुवांशिक, पारिवारिक तनाव या किसी अप्रिय घटना के कारण होता है।
सीजोफ्रेनिया से कैसे निपटें
दवाओं से
गर्भावस्था के दौरान मां को सीजोफ्रेनिया है तो इसे नियंत्रित करने के लिए दवाओं का सहारा लिया जा सकता है। लेकिन दवाओं का सबसे बुरा असर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। ये दवायें स्तन की ग्रंथियों को संक्रमित कर सकती हैं जिसके कारण बच्चे मां का दूध संक्रमित हो सकता है जो बच्चे को बीमार कर सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान सीजोफ्रेनिया के इलाज के लिए दवाओं का प्रयोग करने से अच्छा है कि सही तरीके से परामर्श लिया जाये।
धूम्रपान से बचें
स्मोंकिंग का गर्भावस्था पर बहुत बुरा असर पड़ता है, धूम्रपान के कारण सीजोफ्रनिया की आशंका बढ़ती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को धूम्रपान करने से बचना चाहिए, क्योंकि धूम्रपान करने से बच्चे का विकास अच्छे से नही हो पाता है, बच्चे का वजन कम हो सकता है। इसके अलावा महिलाओं को अप्रत्यक्ष धूम्रपान से भी बचना चाहिए।
अवांछित गर्भावस्था
सीजोफ्रेनिया से पीडि़त महिलायें सेक्स संबंधों के प्रति बहुत ही उदासीन होती हैं, उनके लिए प्रेग्नेंसी बस इत्तेफाक होता है। ऐसी महिलायें गर्भावस्था के लक्षणों को भी नहीं पहचान पातीं। इन महिलाओं गर्भधारण करने के बाद शुरुआत के कुछ महीनों तक गर्भावस्था की जानकारी नही हो पाती है। ऐसी महिलाओं के भ्रूण में असमानता को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड और खून की जांच बहुत जरूरी है।
पारिवारिक सहयोग
गर्भावस्था के दौरान सीजोफ्रेनिया से ग्रस्त महिलाओं को सबसे ज्यादा करीबी लोगों की जरूरत होती है। घर के लोगों को उसकी हालत को समझना चाहिए और उसे गंभीरता से लेना चाहिए। मरीज के परिवार को कोशिश करनी चाहिए कि वह उसका पूरी तरह से साथ दें, उसकी भावनाओं को समझें। ज्यादा से ज्यादा वक्त मरीज के साथ बिताएं और उसे समय-समय पर दवाइयां और पोषणयुक्त आहार दें। हमेशा उसे व्यस्त रखें, मरीज के तनाव या परेशानियों को दूर करने की कोशिश करें।
सीजोफ्रेनिया चार प्रकार का होता है - सिंपल सीजोफ्रनिया, पैरानॉएड सीजोफ्रेनिया, हेबेफ्रेनिक सीजोफ्रेनिया और केटाटॉनिक सीजोफ्रेनिया। गर्भावस्था में किसी भी प्रकार की आशंका होने पर तुरंत चिकित्सक से सलाह लें।