गर्भावधि मधुमेह का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चे पर पड़ता है। यदि मां गर्भावधि मधुमेह से ग्रस्त है तो इसे नियंत्रित करने की जरूरत है। इसे कंट्रोल न करने से बच्चे को हाइपोग्लाइसीमिया और पीलिया आदि हो सकता है। कुछ मामलों में मृत प्रसव की भी आशंका होती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज ग्रस्त महिला को अधिक भूख और प्यास लगती है, महिला के रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण गर्भनाल क्षतिग्रस्त हो सकता है, इससे बच्चे को ऑक्सीजन और अन्य पोषण नही मिल पाता है। इसलिए मां और बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए इसे नियंत्रण में रखना जरूरी है।
गर्भावधि मधुमेह को नियंत्रित करने के टिप्स
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खान-पान के द्वारा
मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है खान-पान पर विशेष ध्यान, डाइट प्लान के द्वारा मधुमेह को पूरी तरह से कंट्रोल किया जा सकता है। एक शोध में यह बात सामने आयी है कि गर्भावधि मधुमेह से ग्रस्त महिलायें यदि खान-पान पर ध्यान दें तो रक्त में शुगर के स्तर को लगभग 75 प्रतिशत तक नियंत्रित किया जा सकता है।
कार्बोहाइड्रेटयुक्त भोजन करने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है साथ ही यह ग्लूकोज की मात्रा को संतुलित करता है। खाने में चावल, रोटी, आलू, मटर, मक्का, फल, फलों का जूस, दूध, दही न अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कार्बोहाइड्रेट के स्रोत को खाने में शामिल कीजिए। ये धीरे-धीरे पचते हैं और रक्त शर्करा के स्तर में तेज वृद्धि को रोकते हैं।
नियमित व्यायाम
गर्भावधि मधुमेह के दौरान ब्लड में शुगर स्तर को नियंत्रित करने में व्यायाम बहुत सहायक है। यदि आप नियमित व्यायाम करती हैं, खाने के सही पैटर्न और इंसुलिन की खुराक का इस्तेमाल करते हैं, तो आप अपने ब्लड शुगर का सही स्तर बनाये रख सकती हैं।
वजन पर नियंत्रण
गर्भावस्था के दौरान शरीर का वजन बढ़ता है। हालांकि भ्रूण के कारण बढ़ रहे वजन को रोका नहीं जा सकता, लेकिन यदि आपके शरीर में इस दौरान अतिरिक्त चर्बी न आये तो मधुमेह नियंत्रण में रहेगा। इसलिए इस दौरान कोशिश यह कीजिए आपका वजन ज्यादा न बढ़े। गर्भावस्था के पहले ट्राइमेस्टर में वजन ज्यादा नहीं बढ़ता लेकिन दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर तक महिला सामान्य वजन लगभग 25 से 30 पाउंड तक बढ़ जाता है।
इंसुलिन के द्वारा
गर्भावधि के दौरान ब्लड में ग्लूकोज के स्तर को सामान्य रखने के लिए इंसुलिन लेना बहुत आवश्यक है। इस दौरान चिकित्सक आपको दो प्रकार (शॉर्ट ऐक्टिंग इंसुलिन और इंटरमीडिएट एक्टिंग इंसुलिन) के इंसुलिन लेने की सलाह देते हैं।
घर में ग्लूकोज़ मीटर से शुगर के स्तर कि जांच नियमित कीजिए, चिकित्सक के संपर्क में हमेशा रहिए।
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