जन्म लेने के बाद मां की जिम्मेदारियां बहुत बढ़ जाती हैं, मां को जितनी मुश्किलों का सामना 9 महीने के गर्भावस्था के दौरान करना होता है उससे कहीं ज्यादा मुश्किलें बच्चे के जन्म के बाद आती हैं।
मां बनने के बाद बच्चे की परवरिश में कई तरह की दिक्कतें आती हैं। जो पहली बार मां बनता है उनके लिए मुश्किलें और भी होती हैं। उनकी समझ में नहीं आता कि शिशु को क्या खिलाया जाए और किन चीजों से दूर रखा जाय। कई बार अनजाने में आप अपने लाडले को ऐसा आहार देती हैं जिससे उसका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। इसलिए बच्चे के खानपान की सारी जानकारी चिकित्सक के निर्देशों के अनुसार ही करना चाहिए।
6 महीने तक ब्रेस्टफीडिंग
जन्म के 6 महीने बाद तक बच्चे के लिए पहला आहार मां का दूध होता है। मां का गाढ़ा पीला दूध यानी कोलेस्ट्रम बच्चे की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। चिकित्सक भी बच्चे को 6 महीने तक केवल मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैं, 6 महीने के बाद आप बच्चे को अन्य आहार दे सकती हैं।
संक्रमण से बचायें
बच्चे की त्वचा बहुत नाजुक होती है, इसलिए नवजात शिशुओं को संक्रमण होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इसलिए उन्हें छूने या गोद में उठाने से पहले अपने हाथ साबुन से अच्छे से साफ कीजिए या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। बाहरी व्यक्ति को बच्चा उठाने के लिए बिलकुल न दें।
बच्चे को उठाते वत्क
बच्चे की त्वचा के साथ-साथ उसकी हड्डियां भी बहुत नाजुक होती हैं, शुरुआत के महीनों में बच्चे की गर्दन स्थिर नहीं रहती है इसलिए बच्चे को गोद में लेते वक्त या उसे कंधे से लगाते वक्त उसके सिर और गर्दन को अपने हाथ का सहारा जरूर दीजिए।
दूध पिलाते वक्त ध्यान रखें
जब बच्चा दूध पीता है तब वह सो जाता है, ऐसे में उसका पेट ठीक से नहीं भर पाता है। ऐसे में दूा पिलाते वक्त उसके तलवों को अंगुली से गुदगुदाते रहें, ताकि वह भरपेट दूध पी सके।
कब्ज होने पर रखें ध्यान
यदि शिशु को कब्ज है तो एक कप गर्म पानी में ब्राउन शुगर डालकर शिशु को पिलाएं। इससे उसे काफी आराम मिलेगा।
मालिस अच्छे से करें
बच्चों की मालिस करते वक्त ध्यान रखना चाहिए। चिकित्सक के सलाह के अनुसार ही बच्चे को तेल लगाना चाहिए। मालिश हल्के हाथ से करना चाहिए। मालिश दोपहर के समय करना चाहिए, ताकि बच्चे को ठंड न लगे।
डायपर रैश से बचायें
बच्चों के डायपर समय-समय पर बदलने चाहिए नहीं तो बच्चों को डायपर रैश हो सकता है। डायपर का चुनाव करते वक्त भी ध्यन रखना चाहिए, बच्चे को अच्छी गुणवत्ता का डायपर पहनायें।
इसके अलावा बच्चे की नियमित जांच करायें, चिकित्सक के निर्देशों के अनुसार ही उसका ख्याल रखें। नियमित टीकाकरण जरूर करायें।
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