बच्चों को पसंद आते हैं 'स्पोर्ट्स लविंग पेरेंट्स', जानें स्पोर्टी पेरेंट्स बनने के 5 टिप्स

मां-बाप और बच्चों के बीच बढ़ती दूरियों को कम सकते हैं खेल। वहीं बच्चों को भी स्पोर्ट्स लविंग पेरेंट्स बहुत पसंद आते हैं।
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बच्चों को पसंद आते हैं 'स्पोर्ट्स लविंग पेरेंट्स', जानें स्पोर्टी पेरेंट्स बनने के 5 टिप्स

खेल किसी के लिए भी शीरीरिक, मानसिक और स्ट्रेस फ्री जीवन जीने का एक अच्छा जरिया हो सकता है। न केवल बच्चों के लिए, बल्कि बड़े-बूढ़ों के लिए भी खेलों में भाग लेना कुछ जरूरी गतिविधियों में से एक है। वहीं आज जहां बच्चे बाहरी खेलों से दूर हो कर एक कमरे तक सिमट कर रह गए हैं, वहां उनके माता-पिता ही हैं, जो उन्हें इसके लिए प्रेरित कर सकते हैं। आज माता-पिता के लिए भी खेल में भाग लेना एक बड़ी प्रतिबद्धता हो बन रही है। मां-बाप अगर खेलों में भाग लेते हैं, तो बच्चों को भी ये करने में इंटरेस्ट आता है। माता-पिता युवा एथलीटों के विकास में सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली योगदान देते हैं। वहीं इससे न सिर्फ उनके बच्चों को मनोबल बना रहता है, बल्कि उन्हें भी खेलने से कई फायदे होते हैं। तो अगर आप अपने बच्चे के लिए एक स्पोर्टी पेरेंट्स बनना चाहते हैं, तो ये 5 टिप्स इसमें आपकी मदद करेगी। आइए जानते हैं क्या हैं ये टिप्स?

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बच्चों के साथ मैच देखें और खिलाड़ियों के बारे में बात करें

आप अपने बच्चों के साथ बैठकर फुटबॉल, हॉकी या क्रिकेट मैच बैठकर देख सकते हैं। इस तरह आपको भी खेलों में इंटरेस्ट आएगा। फिर बच्चों से इसके बारे में बात करें। खेल के नियम और मानकों की चर्चा करें और खिलाड़ियों की बातचीत करते रहें। इस तरह आप नियमों को जान सकते हैं। इससे न केवल आपके लिए अपने बेटे या बेटी के साथ गतिविधि पर चर्चा करना आसान हो जाएगा, बल्कि यह शायद देखने के अनुभव को और अधिक सुखद बना देगा। कुछ युवा लीग खेलों में अपने बच्चे के साथ जाकर एक अच्छे स्पोर्ट्स लविंग पैरेंट्स बन सकते हैं। 

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रोज बच्चों के साथ खेलें

खेल को आज़माने के लिए कि आपका बच्चा जो खेलता है, उसमें शामिल होना एक बेहतर आइडिया हो सकता है।एक दर्शक के रूप में एथलीटों के प्रदर्शन से निराश होना या आलोचना करना आसान है, लेकिन वास्तव में भाग लेने से आपको यह अंदाजा हो जाएगा कि पासिंग, शूटिंग और कैचिंग जैसे सरल काम कितना मुश्किल लग सकते हैं। इस तरह आप अपने बच्चों के करीब आने लगेंगे। एक खेल की पेचीदगियों का अनुभव करने से आपको अपने बच्चे के साथ सहानुभूति रखने में मदद मिल सकती है और साथ ही आप उसे अपने खराब प्रदर्शन का उदहारण दे कर उन्हें अच्छा महसूस करा सकते हैं।

परिणामों की प्रशंसा करें

सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक जो बच्चे सीख सकते हैं, वह यह है कि प्रक्रिया का अर्थ परिणामों से अधिक है। जबकि हर किसी को जीतना, गोल करना और बास्केट बनाना पसंद है पर खेल खेलने वाले बच्चों का असली मूल्य किसी भी एक खेल के अंतिम स्कोर से कहीं अधिक है। हालांकि, अभ्यास, प्रशिक्षण, और दैनिक सुधार की प्रक्रिया में सीखे गए पाठ, स्कूल के काम में आप अपने बच्चे का सहयोग करके उन्हें खेलों के लिए प्रेरित कर सकते हैं। हर बार जब वो खेलने  जाएं तो उन्हें पूरे रोमांच के साथ भेजें। इस तरह बच्चे भी समझ जाएंगे और खेल समेत जीवन के हर फैसले के लिए आप पर भरोसा करने लगेंगे।

मैच और स्पोर्ट्स लीग दिखाने ले जाएं

एक स्पोर्ट्स लविंग पेरेंट्स हमेशा अपने शहर में होने वाले किसी भी मैच को देखना नहीं छोड़ता है। ऐसे में आपको पता है कि आपका बच्चा खेलों में रुचि लेता है तो, उसे बिना बताए मैच दिखान ले जाए। कोशिश करें कि उसे अच्चे कोच और मनपसंद खिलाड़ियों से मिला सकें। ये आपके बच्चों को बहुत पसंद आएगा। उसके लिए आपके तरफ से गिफ्ट भी हो सकता है। आप जितना अपने बच्चे को खेलों के लिए प्रेरित करेंगे उतना वो खुश हो जाएगा। इत तरह धारे-धीरे आप भी कुछ खेलों के गुणा-भाग समझने लगेंगे।

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बच्चे को हर तरह के खेलों में भाग लेने भेजें

अक्सर हम देखते हैं कि अक्सर पढ़ाई के कारण मां-बाप अपने बच्चों को खेलने से रोकते हैं। उन्हें बाकी दिन तो खेलने देते हैं पर शहर के बाहर मैच आदि के लिए जाने नहीं देते। इससे बच्चे की प्रतिभा और विश्वास में गिरावट आ जाती है। अगर आप अपने बच्चे को खेलने के लिए प्रोत्याहित करना चाहते हैं तो उनके स्कूल में बात करें, पढ़ाई में मदद करें और उन्हें इंटर- हाउस और इंटर-स्कूल मैचों में खेलने का मौका दें। उन्हें पूरी तैयारी के साथ खेलने भेजें। चाहें तो आप भी बच्चे के साथ जाएं। उसके हर मैच को फॉलो करें और बाद में उसकी कमियों और अच्छाइयों पर बात करें।

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