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रेसलर संग्राम सिंह ने लाइलाज बीमारी को दी मात, हेल्दी लाइफस्टाइल से ऐसे ठीक किया रूमेटाइड अर्थराइटिस

संग्राम सिंह को बचपन में रूमेटाइड अर्थराइटिस हो गया था। लेकिन आज वे बिल्कुल फिट और हेल्दी हैं। जानें, उन्होंने कैसे दी इस लाइलाज बीमारी को मात?
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रेसलर संग्राम सिंह ने लाइलाज बीमारी को दी मात, हेल्दी लाइफस्टाइल से ऐसे ठीक किया रूमेटाइड अर्थराइटिस


Sangram Singh Rheumatoid Arthritis Journey: अगर किसी बच्चे को ऐसी बीमारी हो जाए, जिस पर डॉक्टर भी हाथ खड़े कर दे, तो यह स्थिति बेहद भयावह हो सकती है। ऐसा ही रेसलर और एक्टर संग्राम सिंह के साथ भी हुआ, जिन्हें बचपन में रूमेटाइड अर्थराइटिस हो गया था। अर्थराइटिस की वजह से उन्हें अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना करना पड़ा। इस दौरान उन्हें पैरों में गंभीर दर्द होने लगा। वे अपने कार्यों को करने में भी पूरी तरह से असमर्थ हो गए। उन्हें ठीक करने के लिए उनके माता-पिता ने हर संभव कोशिश की। उन्हें अलग-अलग अस्पतालों में लेकर गए, लेकिन डॉक्टर्स ने इस बीमारी को लाइलाज बता दिया। लेकिन फिर भी रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित बच्चे (संग्राम सिंह) और उनके माता-पिता का हौसला नहीं टूटा। इसी हौसले के साथ संग्राम सिंह (Wrestler Sangram Singh) ने रूमेटाइड अर्थराइटिस को पूरी तरह से हराया और आज वे इतने फिट हैं कि कई लोग उनकी फिटनेस के कायल हैं। कई लोग ऐसे हैं, जो उनकी रूमेटाइड अर्थराइटिस की जर्नी के बारे में जानना चाहते हैं। तो चलिए, विश्व स्वास्थ्य दिवस यानी World Health Day (जो 7 अप्रैल को मनाया जाएगा) के मौके पर जानते हैं संग्राम सिंह से रूमेटाइड अर्थराइटिस को कैसे मात दी?

इस उम्र में हुआ रूमेटाइड अर्थराइटिस

संग्राम सिंह बताते हैं कि मैं बचपन में काफी कमजोर था। इसकी वजह से मैं 3 साल की उम्र में रूमेटाइड अर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ गया। शुरुआत में मुझे पैरों में तेज दर्द होता था। साथ ही, पैरों में गांठ भी बनने लगे थे। जब स्थिति गंभीर रूप लेने लगी, तो मेरे माता-पिता ने डॉक्टर्स को दिखाया। 

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sangram singh

बीमारी कभी ठीक नहीं हो सकती

संग्राम सिंह बताते हैं कि मेरे माता-पिता मुझे ठीक करने के लिए कई अस्पतालों में लेकर गए। यह एक गंभीर बीमारी थी, इसलिए बड़े-बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स को दिखाया। लेकिन डॉक्टर्स ने सीधा कह दिया कि यह बीमारी कभी ठीक नहीं हो सकती है। यह एक लाइलाज बीमारी है और  99.9 प्रतिशत लोगों में यह बीमारी ठीक नहीं हो पाती है। लेकिन मेरी मां ने हिम्मत नहीं हारी और मुझे ठीक करने का संकल्प लिया। यहीं वजह है कि 8 वर्षों तक बिस्तर पर रहने के बाद भी मैं आज एक रेसलर हूं।  

रूमेटाइड अर्थराइटिस में हुईं ये परेशानियां

रूमेटाइड अर्थराइटिस में मुझे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इस दौरान हमारे पास व्हील चेयर लेने तक के पैसे नहीं थे। सुबह मेरी आखें खुल तो जाती थी, लेकिन मेरी बॉडी मूव नहीं हो पाती थी। यहां तक कि बिस्तर पर लेटे रहना भी मेरे लिए आसान नहीं होता था। अर्थराइटिस का दर्द मेरे शरीर में फैलता जा रहा था। मेरे सभी जोड़ों तक दर्द फैल गया था। मुंह खोलते समय भी मुझे दर्द होता है। इसकी वजह से मुझे खाने-पीने में भी दिक्कत होने लगी। मुझे अपने पैरों पर खड़े होने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। 

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हेल्दी लाइफस्टाइल से ठीक हुआ अर्थराइटिस

जब डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर दिए, तो भी मेरी मां और मैंने हार नहीं मानी। वे मुझे ठीक करने के लिए तरह-तरह के देसी नुस्खे अपनाने लगीं। मेरी मां कभी सरसों के तेल से मालिश करती थीं, तो कभी तिल से तेल से मालिश करती थीं। इसके साथ ही, मैंने भी अपनी डाइट और एक्सरसाइज पर ध्यान देना शुरू किया। मेरी मां मुझे जो कुछ भी खिलाती थीं, मैं आराम से खा लेता था। मैंने रूमेटाइड अर्थराइटिस को हराने के लिए हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज की मदद ली। इससे मुझे काफी आराम मिला। जब धीरे-धीरे मैं इस बीमारी से उबरने लगा, तो मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और हमेशा भविष्य के बारे में सोचा।

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