
Can Tuberculosis Patients Donate Blood: गंभीर बीमारी, इंजरी और स्वास्थ्य से जुड़ी कई गंभीर स्थितियों में मरीजों को खून की जरूरत होती है। ब्लड डोनेशन के जरिए ब्लड बैंक में खून इकट्ठा किया जाता है, जरूरत पड़ने पर मरीज को यह खून उनके ब्लड ग्रुप के हिसाब से दिया जाता है। ब्लड डोनेट करने वाले लोगों को इससे जुड़ी जरूरी सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। ब्लड डोनेट करने वाले व्यक्ति का डोनेशन से पहले चेकअप किया जाता है। अगर रिपोर्ट ठीक होती है, तभी डॉक्टर ब्लड डोनेट करने की सलाह देते हैं। लोगों का यह सवाल है कि क्या टीबी के मरीज भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं? टीबी या ट्यूबरक्लोसिस दरअसल एक संक्रामक बीमारी है, यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकती है। टीबी से ग्रसित मरीजों को डॉक्टर कई तरह की सावधानियों का ध्यान रखने की सलाह देते हैं। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि टीबी की बीमारी में रक्तदान कर सकते हैं या नहीं?
क्या टीबी में ब्लड डोनेट कर सकते हैं?- Can TB Patients Donate Blood in Hindi
ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से टीबी की बीमारी होती है। वैसे तो टीबी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, लेकिन ज्यादातर लोगों को फेफड़ों में टीबी की समस्या होती है। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ. समीर कहते हैं कि टीबी की बीमारी का इलाज करा रहे मरीज अगर किसी को ब्लड डोनेट करते हैं, तो ब्लड लेने वाले मरीज को भी इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है। इसकी वजह से एक्स्ट्रापल्मोनेरी ट्यूबरक्लोसिस होने का खतरा रहता है। टीबी के मरीज का खून लेने वाले व्यक्ति के लिवर, ब्रेन, स्प्लीन और बोन मैरो में टीबी के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए डॉक्टर टीबी के मरीजों को ब्लड डोनेट करने से मना करते हैं।
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क्या टीबी से ठीक होने के बाद ब्लड डोनेट कर सकते हैं?
टीबी के संक्रमण से पूरी तरह ठीक होने के बाद व्यक्ति ब्लड डोनेट कर सकता है। डॉक्टर के मुताबिक टीबी से ठीक होने के तीन महीने बाद व्यक्ति ब्लड डोनेट कर सकता है। इस स्थिति में ब्लड लेने वाले व्यक्ति को किसी तरह का खतरा नहीं रहता है। लेकिन ऐसे लोग जिन्हें टीबी शुरूआती स्टेज में यह जो लोग टीबी से तुरंत ठीक हुए हैं, उन्हें ब्लड डोनेट करने से बचना चाहिए।
टीबी का इलाज कैसे किया जाता है?- Tuberculosis Treatment in Hindi
टीबी की बीमारी में मरीज का इलाज महीनों तक चलता है। शुरुआती स्टेज में इसका पता चलने पर इलाज में आसानी होती है और मरीज जल्दी ठीक हो जाता है। डॉक्टर मरीज की गंभीरता के आधार पर उसका इलाज करते हैं। शुरुआत में मरीजों को एंटीट्यूबरकुलर दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। ये दवाएं मरीज में टीबी का पता चलने के बाद दी जाती हैं। टीबी के इलाज में मरीज को 6 महीने तक लगातार दवाओं का नियमित सेवन करना पड़ता है। गंभीर मामलों में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर एडवांस ट्रीटमेंट का सहारा ले सकते हैं।
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