अधूरी नींद से इन 4 तरह से बढ़ रहा है आपका वजन

अधूरी नींद के कारण इसका सीधा असर वजन पर पड़ता है, क्‍योंकि अधूरी नींद लेप्टिन का स्‍तर कम करती है और इसके कारण वजन बढ़ने के साथ दूसरी बीमारियां भी होती हैं।
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अधूरी नींद से इन 4 तरह से बढ़ रहा है आपका वजन


भरपूर नींद सेहत के लिए बहुत जरूरी है, यह जानने-समझने के बावजूद हम अक्सर नींद से समझौता करते रहते हैं और नींद में कटौती करते हैं। लंबे समय तक नींद की अवधि और उसकी गुणवत्ता से समझौता करना सेहत को नुकसान पहुंचाता है। यह समझना जरूरी है कि आहार और व्यायाम की तरह नींद भी सेहत का अभिन्न अंग है।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोलंबिया मेडिकल सेन्टर के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है, हर व्यक्ति की नींद संबंधी जरूरतें अलग होती हैं। 6 घंटे से कम की नींद कम से कम 700 जीन की गतिविधियों को प्रभावित करती है। यह इम्युनिटी, तनाव, जलन व सूजन को प्रभावित करती है। साथ ही हृदय रोग, दर्द, मधुमेह व कैंसर जैसे रोगों की संभावना बढ़ जाती है। अमेरिका की नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार वयस्कों के लिए 7-9 घंटे की नींद जरूरी है। हालांकि रिपोर्ट में 6-11 घंटे की नींद उचित बतायी गयी है।

नींद व वजन का संबंध

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार ग्रेलिन हार्मोन का अधिक व लैप्टिन हार्मोन का कम होना वजन को बढ़ाता है। नींद पूरी न होने पर शरीर में लेप्टिन का स्तर कम हो जाता है। यह हार्मोन शरीर को कम खाने का आदेश देता है। वहीं ग्रेलिन अधिक मात्रा में बनने लगता है। केवल एक रात की नींद पूरी न होना दिनभर खाने की ललक पैदा करता है। शोध कहते हैं, अधिकतर नींद पूरी नहीं करने वाले लोग दूसरे लोगों की तुलना में 549 कैलोरी अधिक खाते हैं। शोध बताते हैं कि नींद पूरी न होने पर खून में टी-सेल रक्तकणों की कमी हो जाती है व साइटोकाइंस बढ़ जाते हैं। हर रोज 30 मिनट की नींद कम लेना मोटापे के खतरे को बढ़ा देता है। इंसुलिन की रक्त शर्करा को सामान्‍य रखने की क्षमता कम हो जाती है।

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अन्य रिसर्च के अनुसार

'एनल्‍ज ऑफ इंटर्नल मेडिसिन' में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि व्यक्ति की सोने की आदतें उसके वजन को घटाती या बढ़ाती हैं। इसलिए अगर लोग अपने वजन को कम करना चाहते हैं, तो उन्हें हर रात पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। शोध में मोटापे के शिकार लोगों को शामिल किया गया था। उन पर दो सप्ताह तक भोजन, वजन और नींद संबंधित यह अध्ययन किया गया। इसमें उन्हें भोजन तो समान रूप से दिया गया, लेकिन अलग-अलग हफ्तों में उनकी नींद की अवधि बदल दी गई।एक दौर में उन्हें साढ़े आठ घंटे सोने दिया गया और अन्य दौर में साढ़े पांच घंटे। शोध में शिकागो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि दोनों ही समयावधियों में इन लोगों के औसत वजन में अलग-अलग कमी आई। उन्होंने पाया कि साढ़े आठ घंटे नींद लेने पर प्रतिभागियों का वजन, साढ़े पांच घंटे की नींद के दौरान कम हुए वजन के मुकाबले ज्यादा घटा था।

कम सोने वालों का वजन तो घटता है, लेकिन इसका परिणाम सकारात्मक नहीं रहता। उनके मुताबिक 'सफल डायटर्स' हमेशा अपनी मांसपेशियों में इजाफा करते हैं, जबकि उनका वजन इस दौरान कम होता है।

 

ImageCourtesy@Gettyimatges

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