अगर आपके फेफड़े अच्छी तरह काम कर रहे हैं तो आपका मस्तिष्क भी बेहतर काम करेगा। एक ताजा शोध में इस बात की ओर इशारा भी किया गया है। इसमें कहा गया है कि यदि स्वस्थ फेफड़े हों, तो उम्र बढ़ने के साथ-साथ दिमाग की कमजोरी होने की रफ्तार भी धीमी हो जाती है। समस्या को सुलझाने के रूप में इस तरह के मानसिक क्षमताओं को रखने के लिए एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है। फेफड़ों के स्वास्थ्य में गिरावट, याद्दाश्त में कमजोरी से संबंधित होती है।
दरअसल फेंफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग होते हैं। इसके खराब होने से अस्थमा, टीबी, दमा या फेंफड़े से संबंधित अन्य कोई भी गंभीर रोग हो सकता है। और उपरोक्त खबर के अनुसार याद्दाश्त भी। फेंफड़ों के स्वस्थ्य रहने से जहां संपूर्ण शरीर स्वस्थ्य रहता है वहीं यह दिमाग को भी सेहतमंद बनाए रखता है। एक शोध से पता चला है कि फेंफड़ों का स्वास्थ्य का असर दिमाग पर पड़ता है। फेंफड़ों में भरपूर शुद्ध हवा होने से दिमाग में ऑक्सिजन की पूर्ति भी होती रहती है।
ये तथ्य लगभग दो दशकों तक मरीजों पर किये गए एक स्वीडिश अध्ययन से सामने आये। समय के साथ यह संज्ञान में आया कि फेफड़े के कार्य करने की क्षमता कम होने पर ये संज्ञानात्मक नुकसान का कारम बन सकते हैं। इसका विपरीत होता है या नहीं इस बात के कोई तथ्य नहीं है (कि कमजोर दिमाग को फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है या नहीं)।
इस अध्ययन में 50 से 85 के बीच की आयु वाले 832 लोगों को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने देखा कि एक सेकेंड में एक व्यक्ति फेंफड़ों से कितनी हवा बाहर फैंक सकता है। साथ ही यह भी देखा कि गहरी सांस लेने के बाद छोड़ी हुई हवा की मात्रा क्या थी। इसके साथ-साथ ही शोधकर्ताओं ने इन लोगों के मस्तिष्क के संग्रहीत ज्ञान, स्मृति, और लिखने की क्षमता आदि को भी मापा। परिणामों में ये साफ पता चला कि फेफड़ों में कमजोरी और दिमाग की क्षमता (प्रोब्लम सोल्विंग क्षमता) में संबंध है।
क्यों होते हैं फेंफड़े खराब
फेंफड़े आमतौर पर धूम्रपान, तम्बाकू और वायु प्रदूषण के अलावा फंगस, ठंडी हवा, भोजन में कुछ पदार्थ, ठंडे पेय, धुएं, मानसिक तनाव, इत्र और रजोनिवृत्ति जैसे कारणों से रोग ग्रस्त हो सकते हैं। और जब किसी व्यक्ति के नाक, गला, त्वचा आदि पर इसका प्रभाव होता है तो इसे एलर्जी कहा जाता है।
कैसे रखें फेंफड़े को स्वस्थ
फेंफड़ों को स्वस्थ्य और मजबूत बनाए रखने के लिए धूम्रपान से दूर रहना चाहिए, खान-पान का ध्यान रखना चाहिए और अनुलोम-विलोम का अभ्यास करना चाहिए। अनुलोम-विलोम के बाद कपालभाति, भस्त्रिका और कुम्भक प्राणायाम भी करने चाहिए। इससे फेंफड़े स्वस्थ बने रहते हैं और दिमाग भी दुरुस्त रहता है।
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