
अगर चैन की नींद न मिले तो आपके लिए बड़ी मुश्किलें हो जाती हैं। दिन तो खराब होता ही है साथ ही साथ सेहत भी खराब होती है। निद्रा श्वास बाधा एक ऐसी ही समस्या है, जिसमें सोते समय सांस रुक जाती है। यह समस्या हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरन
नींद के बारे में काफी कुछ कहा जाता है। कई मिथ भी इस नींद के साथ जुड़े हुए हैं। और गाहे-बगाहे इन मिथों का अनुभव भी हमें होता रहता है। कुछ को हम हंसकर टाल देते हैं, जबकि कुछ मिथ पूरी तरह से गलत जानकारी पर आधारित होते हैं। और इन पर यकीन करना हमारे लिए खतरनाक भी हो सकता है। यहां हम आपको कुछ सामान्य मिथों के बारे में बता रहे हैं। साथ ही उनसे जुड़े तथ्यों की जानकारी भी दे रहे हैं। नेशनल स्लीप फाउंडेशन ने नींद से जुड़े इन मिथों की सूची तैयार की है-
मिथ-1
सिर्फ खर्राटे लेना ही नींद के दौरान श्वास बाधा का कारण है
तथ्य - खर्राटे नींद के दौरान श्वास बाधा का एक लक्षण है, लेकिन यह दोनों अलग-अलग चीजें हैं। नींद श्वास-बाधा वास्तव में किसी व्यक्ति की सांस को रात भर में करीब चार सौ बार तक रोक सकती है। यह रुकावट दस से तीस सेकेण्ड तक हो सकती है। खर्राटों के साथ सांस फिर शुरू हो जाती है। हालांकि, नींद के दौरान लिया जाने वाला यह ब्रेक आपको दिन भर थकान का अहसास करा सकता है।
मिथ 2
सोते समय श्वास-बाधा जानलेवा नहीं होती
तथ्य- सोते समय सांस लेने में परेशानी आपके शरीर और मन दोनों को थका देती है। रोजाना इसी घटना का दोहराया जाना कहीं न कहीं आपको मुश्किल में डाल सकता है। जब आप पूरी और सुकून भरी नींद नहीं सोते हैं, तो काम के दौरान आपको चोट लगने और दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही दिल का दौरा और हृदय संबंधी अन्य बीमारियां होने के अंदेशे में भी इजाफा होता है।
मिथ 3:
नींद के दौरान श्वास बाधा आपकी सांसों को नहीं रोकती
तथ्य- प्रतिरोधी निद्रा श्वास बाधा, नींद श्वास बाधा का सबसे सामान्य प्रकार है। इसमें जीभ, टॉन्सिल या गले के पिछले हिस्से में स्थित अन्य ऊत्तक आपके सांस लेने के मार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं। और जब आप सांस लेने की कोशिश करते हैं तो वायु मार्ग बंद होने के कारण आपको इसमें परेशानी होती है।
मिथ 4
निद्रा श्वास बाधा बुजुर्गों का रोग है
तथ्य- अमेरिका के स्वास्थ्य आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में 1.8 करोड़ लोगों को यह बीमारी है। सामान्यत: 40 की उम्र के ऊपर के लोग ही इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। लेकिन यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। अधिक वजन होना, पुरुषों, अफ्रीकन-अमेरिकन, लैटिन अमेरिकियों में समस्या होने का अंदेशा अधिक होता है। यह बीमारी अनुवांशिक भी होती है और परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी हो सकती है।
मिथ 5
एल्कोहल से नींद बेहतर होती है
तथ्य- एक दो पैग पीने के बाद आपको नींद का अहसास हो सकता है, लेकिन शराब चैन भरी नींद की गारंटी नहीं है। एल्कोहल नींद की गोलियों की तरह ही काम करता है। यह गले के पिछले हिस्से में स्थित मांसपेशियों को रिलेक्स कर देता है। इससे प्रतिरोधी निद्रा श्वास बाधा से पीड़ित लोगों के लिए खतरा और बढ़ जाता है।
मिथ 6
बच्चों को निद्रा श्वास बाधा नहीं होती
तथ्य- आपकी जानकारी के लिए बता दें प्रतिरोधी निद्रा श्ववास बाधा बच्चों में सामान्य है। दस में से एक बच्चे को यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी से पीड़ित अधिकतर बच्चों में इसके लक्षण सामान्य नजर आते हैं और आगे चलकर यह डिस्ऑर्डर का रूप ले लेते हैं। लेकिन, इस बीमारी का गंभीर रूप प्रभावित बच्चों में व्यवहारगत समस्याओं और गंभीर स्वास्थ्य परेशानियों का कारण बन सकता है।
मिथ 7
वजन का निद्रा श्वास बाधा से कोई सरोकार नहीं
तथ्य- हम पहले भी इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि मोटापा आपको प्रतिरोधी निद्रा श्वास बाधा दे सकता है। वजन कम करके वास्तव में आप इस परेशानी को कम भी कर सकते हैं। अपने डॉक्टर से पूछें कि आपके लिए सही वजन क्या होगा। और फिर उसके हिसाब से अपना कार्यक्रम तैयार करें। अगर आप अपने वजन का पांच से दस फीसदी भी कम कर लेते हैं, तो आपको लक्षणों में फर्क महसूस होगा। वजन कम करने के साथ ही धूम्रपान छोड़ने से भी आपको बहुत फायदा होगा।
मिथ 8
सोने की पोजीशन का निद्रा श्वास बाधा से कोई लेना-देना नहीं
तथ्य- करवट लेकर सोना असल में आपके लिए मददगार हो सकता है। कमर के बल सोने से गुरुत्वाकर्षण के कारण आपके गले के ऊत्तक पीछे की ओर जाकर वायु अवरुद्ध करते हैं। जब आप करवट लेकर सोते हैं, तो इससे गले को आराम मिलता है। बाजार में ऐसे तकिये भी मौजूद हैं, जो आपको करवट लेकर सोने में मदद करते हैं। कुछ लोग शर्ट के पिछले हिस्से में टेनिस बॉल भी सिल लेते हैं। इससे उन्हें करवट लेकर सोने में मदद मिलती है।
अगर आपका निद्रा श्वास प्रतिरोधकता का इलाज करवा रहे हैं तो, एक माउथपीस अथवा सीपीएपी (continuous positive airway pressure), जो श्वास मार्ग पर लगातार सकारात्मक दबाव डालता रहता है आपको रात भर अछी तरह सांस लेने में मदद करता है। सीपीएपी वयस्कों को इस बीमारी के इलाज में मदद करने के लिए सबसे उपयोगी और सामान्य उपकरण है।
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