विकलांगता कोई अभिशाप नहीं है, वास्तविकता यह है कि इस दुनिया में कोई भी परिपूर्ण नहीं है, कोई न कोई कमी हर इंसान में होती है। इसी तरह हर इंसान में कुछ न कुछ अलग काबिलियत भी होती है। इंसान वही है जो अपनी खूबियों का पलड़ा भारी कर अपनी कमियों को पछाड़ देता है। हिम्मत और खुद पर विश्वास से कुछ भी मुश्किल नहीं है। ऐसा ही 32 साल के निक ने कर दिखाया।
युवक बना मोटिवेशनल स्पीकर
जीं हां 32 साल के निक वुजिसिस जिनके जन्म से ही हाथ पैर नहीं हैं, ऑस्ट्रेलियन मोटिवेशनल स्पीकर है और उनकी मोटिवेशनल स्पीच सुनने के लिए स्टेडियम लोगों से खचाखच भर जाता है। अब तक निक 50 देशों की यात्रा कर चुके और हजार से ज्यादा टॉक शो भी कर चुके हैं।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में पले-बढ़े निक ने डिप्रेशन का सामना भी किया है और स्कूल में दूसरे बच्चों के हंसी के शिकार भी हुए। जब वह 10 साल के थे, तब उन्होंने सुसाइड करने की कोशिश की थी। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी, इसके बाद निक ने पॉजिटिव एटिट्यूड पर काम किया और 17 साल की उम्र में उन्होंने पब्लिक स्पीकिंग की तरफ रूख किया और अपनी मेहनत से आज वह मोटिवेशनल स्पीकर है।
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हिम्मत और खुद पर विश्वास से कुछ भी मुश्किल नहीं
अब निक बड़ी संख्या में ऑडियंस को संबोधित करते हैं जिसमें बिजनेस ग्रुप्स और स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। निक की शारीरिक विकलांगता कारण जन्मजात विकार टेट्रा-अमेलिया सिंड्रोम है। हाथ पैर न होने के बावजूद वह अपने पैर की उंगुली से टाइप कर सकते हैं, चीजें उठा सकते हैं और यहां तक कि बॉल को किक भी मार सकते हैं। उनके केवल बाएं हिप्स पर एक छोटा सा पैर है जो उन्हें संतुलन बनाने में मदद करता है। वह तैराकी और स्काईडाइविंग भी करते हैं। निक अभी कैलिफोर्निया में अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रहते हैं।
निक एक नॉन प्रॉफिट मिनिस्ट्री 'लाइफ विद आउट लिम्ब्स' और 'एटिट्यूड इज एटिट्यूड' संचालित करते हैं। यह संस्थाएं उनके मोटिवेशनल स्पीच और बुलिंग के विरोध में चल रहे कैम्पेन को मार्केट करता है। निक में इतनी बड़ी कमी होने के बावजूद उनमें जीवन जीने का जबर्दस्त जज्बा है। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी लोग काफी पसंद करते हैं।
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