शरीर में कोई भी परेशानी होने पर लक्षण बाहर नजर आने लगते हैं। लेकिन कई समस्याएं ऐसी भी होती हैं जिनके लक्षणों का आसानी से पता नहीं चल पाता। इसी तरह एक गंभीर समस्या है कैंसर, जिसमें कई बार बाहरी तौर पर लक्षणों का पता नहीं चल पाता है। ऐसे में समस्या का पता सिर्फ जांच के जरिए लगाया जा सकता है। वहीं कई अध्ययनों में कैंसर की जांच को इसका सीधा समाधान माना गया है। यानि अगर समय पर जांच पर ध्यान दिया जाए, तो कैंसर के गंभीर रूप लेने से बचाया जा सकता है। इस विषय को और भी गहनता से समझने के लिए हमने बात की मैक्स हॉस्पिटल (गुरुग्राम) के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉ देबाशीष चौधरी से, जिन्होनें हमे इस बारे में खास जानकारी दी।
पहले समझिए कितनी गंभीर है कैंसर की समस्या
कैंसर धीमी तौर पर फैलने वाली एक गंभीर समस्या है, जिसमें शुरूआत से ध्यान देना बेहद जरूरी है। इसकी शुरूआत में संक्रमित कोशिकाएं शरीर के किसी हिस्से में बनना शुरू होती हैं, जो धीरे-धीरे शरीर के अन्य भागों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर देती है। ऐसे में इसे कंट्रोल करना काफी मुश्किल हो सकता है।
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शुरूआती जांच कैंसर को रोकने में कैसे मदद कर सकती है- (Why Early Detection of Cancer Is Important)
जल्द ठीक होने की संभावना
अगर कैंसर के असर का पता शुरूआत में लगा लिया जाए, तो यह इलाज को और भी आसान बना सकता है। इससे शुरूआत में पता लगाया जा सकता है, कि संक्रमित कोशिकाएं शरीर को कितना प्रभावित कर रही हैं। साथ ही शरीर के किन हिस्सों में संक्रमण फैलने का ज्यादा खतरा हो सकता है। इससे समस्या को समय से कंट्रोल करने और समय पर इलाज कराने में मदद मिल सकती है।
ट्रीटमेंट की परेशानियों पर रोकथाम
समय पर जांच न सिर्फ कैंसर को कंट्रोल करने में मदद कर सकती है, बल्कि इसके जरिए ट्रीटमेंट के दौरान आने वाली परेशानियों पर भी रोकथाम हो सकती है। कैंसर की स्टेजिस बढ़ने के साथ थेरेपीज और सर्जरी भी ज्यादा करानी होती हैं। लेकिन कैंसर के इलाज की शुरूआत में सिंगल रेडिकल थेरेपी या सर्जरी भी काफी होती है। सर्वाइकल कैंसर के शुरूआती स्टेज को सर्जरी या रेडिकल थेरेपी से कंट्रोल किया जा सकता है। वहीं रेडिकल थेरेपी के जरिए पेट का कैंसर, कोलन कैंसर को शुरूआती स्टेज में ही कंट्रोल किया जा सकता है।
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ट्रीटमेंट का खर्चा कम करे
कैंसर के स्टेजिस बढ़ने के साथ ही दवाईयों और ट्रीटमेंट का खर्चा भी बढ़ने लगता है। ऐसे में समय-समय पर सर्जरी और थेरेपी की जरूरत पड़ती रहती है। वहीं समय पर जांच कराते रहने से समस्या शुरूआत में ही कंट्रोल हो सकती है। इससे ट्रीटमेंट में होने वाले अत्यधिक खर्चो को बचाया जा सकता है।
समस्याओं में राहत
कैंसर से पीड़ित मरीज धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है। उसे हरदम थकावट और कमजोरी महसूस होती रहती है। इस दौरान मरीज पाचन से जुड़ी कई समस्याओं का सामना भी करता है। वहीं कैंसर का इलाज जितना लंबा चलता है, मरीज की परेशानियां भी उतनी ज्यादा बढ़ने लगती हैं। लेकिन अगर समस्या पर शुरूआत में कंट्रोल कर लिया जाए, तो अगली स्टेजिस में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।