
शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्तनपान करवाना कई महिलाओं को एक चुनौती की तरह लग सकती है, लेकिन ये आपके और आपके बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। वहीं 'इंडिया अगेंस्ट कैंसर' की मानें, तो स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं के लिए 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च' (एनआईसीपीआर) एक पहल चला रही है, जिसमें वो भारत में महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग के लिए प्रोत्साहित करती है। जबकि स्तन कैंसर के जोखिम को जीवन शैली से जुड़े कुछ कारकों में बदलाव लाकार ठीक किया जा सकता है। पर एक शोध की मानें, तो स्तनपान स्तन कैंसर के जोखिम को ज्यादा कम कर सकता है। कई अध्ययनों में, स्तनपान, विशेष रूप से इसे लंबे समय तक पालन करवाने वाली महिलाओं में, स्तन कैंसर का जोखिम, स्तनपान न करवाने वाली महिलाओं की तुलना में कम होता है। इसी विषय पर आज 'ऑनली माई हेल्थ' ने डॉ. शैलजा माने से बात की, जो एमबीबीएस, एमडी हैं और पीजीडीपीसी, पाटिल विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।
NCBI के एक अध्ययन के अनुसार, स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं में निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं, जो स्तनपान से संबंधित हैं:
- -पीरियड्स की कमी
- -बहुत ज्यादा उम्र होने पर बच्चा पैदा करना
- -स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास
- -बॉडी मास इंडेक्स का ज्यादा होना
- -मेनोपॉज का जल्दी आना
कई महिलाएं बहुत कम समय के लिए ही स्तनपान करवा पाती हैं। दरअसल उनमें ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कई स्वास्थ्य कारणों से उनके स्तनों में दूध बनना बंद हो जाता है। एक अध्ययन की मानें, तो स्तन कैंसर के जोखिम और महिलाओं में स्तनपान की अवधि के बीच का संबंध 4 से 12 महीने से 6 से 8 साल तक रहा है। इसके अलावा, वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड द्वारा किए गए शोध में कहा गया है कि स्तनपान पिट्यूटरी हार्मोन्स को संशोधित करके स्तन कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है। स्तन में होने वाले शारीरिक परिवर्तन, जो दूध उत्पादन के साथ होते हैं, एक सुरक्षात्मक परत की तरह भी काम करते हैं।
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स्तनपान की अवधि
हालांकि विशेष रूप से स्तनपान कराने की परिभाषा देशों में काफी भिन्न होती है। लेकिन जो महिलाएं शिशु को छह महीने तक विशेष रूप से स्तनपान करवाती हैं, वे उन लोगों की तुलना में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण से कम पीड़ित होती हैं, जो आंशिक रूप से तीन या चार महीने तक स्तनपान करते हैं। ऐसे में मांओं को व्यक्तिगत रूप से शिशुओं को स्तनपान ज्यादा दिन तक करवाने की भी कोशिश करनी चाहिए। डॉक्टरों की मानें, तो एक स्वस्थ मां को अपने बच्चे को लगभग 6 माह तक स्तनपान करवाना ही चाहिए।
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वहीं एक स्वास्थ्य आहार और हेल्दी लाइफस्टाइल भी महिलाओं में स्तनकैंसर के खतरे को कम कर सकता है। स्तन कैंसर स्तन के विभिन्न स्थानों को प्रभावित कर सकता है और ये विभिन्न तरीकों से बढ़ सकता है। वहीं इसके इलाज में भी विभिन्न प्रकार के उपचार की आवश्यकता होती है। वहीं कुछ आम खान-पान की चीजें भी हैं, जिसे अपने डाइट में जोड़कर ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकता है। इसके लिए अपने अपनी दैनिक आहार आवश्यकताओं में इन चीजों को शामिल कर सकते हैं:
- -फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे कि साबुत अनाज, बीन्स
- -कम वसा वाले दूध और डेयरी उत्पाद
- -सोयाबीन आधारित उत्पाद
- -विटामिन ए, डी, ई की खुराक
- -ऐसे खाद्य पदार्थ जो पौधों पर आधारित होते हैं और एंटीऑक्सिडेंट हों जैसे बैंगन, अंगूर और जामुन।
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