
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे शरीर में कई बदलाव होने लगते हैं। खासकर नींद उतनी नहीं आती जितनी पहले आया करती थी। इसके अलावा आपको दिनभर थकान महसूस होने लगती है और सोने का मन करता है। अगर आप भी ऐसा महसूस करते हैं तो आप अकेले नहीं हैं। 65 साल तक की उम्र के पुरुष या महिलाओं को सोने से सम्बंधी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।
दर्द (Pain)
उम्र बढ़ने के साथ-साथ आर्थराइटिस, बैक प्रॉब्लम, डायबिटीज और अन्य बीमारियों से शरीर में दर्द बना रहता है जिससे रातें जागकर काटनी पड़ती हैं। फिजिकल थेरेपी और सर्जरी से बैक पेन से छुटकारा मिल सकता है। अन्यथा कई बीमारियों को डॉक्टर की सहायता से काबू किया जा सकता है।
न्यूरोलॉजिकल परेशानी (Neurological Illness)
ऐसी बीमारियां तब पनपती हैं जब दिमाग के इलेक्ट्रिकल सिग्नल और नर्वस सिस्टम में परेशानी होने लगती है। पार्किंसन डिसीज में रातों की नींद उड़ जाती है। वहीं अल्जाइमर में सोने का समय आगे पीछे होने से परेशानी होने लगती है। इस स्थिति को भी डॉक्टर की सहायता से काबू किया जा सकता है।
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मेडिकेशन (medication)
दिल की बीमारियों, हाई ब्लड प्रेशर, पार्किंसन और थाइरोइड परेशानियों आदि की दवाईयाँ खाने से भी नींद प्रभावित होती है। बढ़ती उम्र में यह समस्या और विकट रूप धारण कर लेती है। ऐसे में अगर आपको लगातार नींद नहीं आ रही है तो दवाइयों के डोज़ को लेकर डॉक्टर से परामर्श लें ताकि रात को चैन से सो पाएं।
पेशाब के लिए उठना (Waking Up to Pee)
अगर आपको रात में एक बार से ज्यादा पेशाब के लिए उठना पड़ता है तो डॉक्टर इसे नॉक्टोरिया कहते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह समस्या आमतौर पर ज्यादा देखने को मिलती है। इसका कारण कोई बीमारी, दिल की बीमारी, ब्लैडर में परेशानी हो सकती है। नॉक्टोरिया से बचने के लिए शाम के बाद कैफीन और अल्कोहल का सेवन ना करें। नॉक्टोरिया के इलाज के तौर पर डॉक्टर वॉटर पिल्स (डायूरेटिक्स) प्रिस्क्राइब करते हैं जिसे रात में सोने से पहले ही ज्यादा पेशाब आती है और फिर आप चैन से सो सकते हैं।
मेनोपॉज (Menopause)
मिडिल एज में जब पीरियड बंद हो जाते हैं तो शरीर प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन जैसे हॉर्मोन बनाना भी बंद कर देता है। ऐसे में कई बार रात को सोते वक्त बहुत गर्मी या पसीना आने लगता है क्योंकि शरीर को इन हार्मोन्स की कमी महसूस होती है। ऐसे में डॉक्टर कुछ हॉर्मोन प्रिस्क्राइब करते हैं जिससे आपके रात में इस समस्या से दो-चार ना होना पड़े।
स्लीप रिदम बदलना (Sleep Rhythm Changes)
उम्र बढ़ने के साथ-साथ आप रात को जल्दी सोकर सुबह जल्दी उठाना चाहते हैं लेकिन ऐसा होने में परेशानी आती है क्योंकि बॉडी का नेचुरल स्लीप रिदम बढ़ती उम्र के साथ प्रभावित होने लगता है। अच्छी नींद के लिए सोने से पहले किताब पढ़ें या म्यूजिक सुनने से फायदा मिलता है। गर्म पानी से शॉवर या हल्की-फ़ुल्की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से भी अच्छी नींद की गुंजाइश बढ़ जाती है।
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मेंटल हेल्थ (Mental Health)
उम्र बढ़ने के साथ-साथ दिमागी परेशानियां जैसे डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर और नया मूड डिसऑर्डर भी होने लगती हैं जिससे नींद आनी कम हो जाती है। साथ ही जब जीवन में कोई अप्रत्याशित घटना घटती है या बुरा समय आता है तो भी नींद नहीं आती। दिन की शुरुआत एंजाइटी यानी चिंता से होती है और सोते समय भी यह घेरे रहती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लें और कोई बात परेशान कर रही है तो किसी करीबी से बात करके मन हल्का करें।
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